घने जंगलों के गांवों में स्कूली बच्चों की ट्रेनिंग.. ग्रामीणों को हाथियों से बचने की ट्रेनिंग, बच्चे सुगंधित तेल न लगाएं, चमकीले कपड़े नहीं पहनें
छत्तीसगढ़ के उत्तरी हिस्से, खासकर तमोर पिंगला, सेमरसोत और बादलखोल जैसे अभयारण्यों के आसपास हाथियों के आक्रामक झुंड ग्रामीणों को जान और माल का बड़ा नुकसान पहुंचा रहे हैं। हाथियों के झुंड से कैसे सुरक्षित रहें, ऐसा क्या करें जिनसे वे आक्रामक न हों… अब हाथी विशेषज्ञ दो दर्जन से ज्यादा गांवों के बड़े-बूढ़ों ही नहीं बल्कि बच्चों को भी इसके टिप दे रहे हैं। ये ट्रेनिंग सेशन कई हफ्तों से चल रहे हैं। हालात ये हैं कि स्कूल जाते समय बच्चों ने सुगंधित तेल या कोई भी खुशबूदार सामग्री का इस्तेमाल छोड़ दिया है।
ऐसे कपड़े नहीं पहनते जो भड़कीले या चमकदार हों। हर बच्चा जानने लगा है कि जंगल से गुजरते समय हाथी अपने कान फटकारें तो उसकी आवाज कैसी होती है और झुंड कितनी दूर होता है। इस ट्रेनिंग का असर ये हुआ है कि इन गांवों में अब बताई गई सावधानियां बरतते हुए खेतों में काम में लगे रहते हैं और हाथियों के चिंघाड़ते हुए झुंड उनके नजदीक से गुजर जाते हैं, बिना किसी नुकसान के।
अब कई गांवों ने सीख लिया सुरक्षित रहना
केस 1 – सूरजपुर डिवीजन के मोहनपुर में हाथी आते हैं, खेत चरते हैं और चले जाते हैं। इस दौरान ग्रामीण अपना काम करते रहते हैं। वे भीड़ नहीं लगाते, हाथियों को भगाने की कोशिश नहीं करते। इससे नुकसान कम होता है।
केस 2 – सरगुजा के उदयपुर ब्लाक में खुज्जी बकोई गांव में हाथी अक्सर आते हैं। लोग उन्हें भगवान मानते हैं, खाना रख देते हैं। उन्होंने हाथी की लीद सुखाकर घरों में टांगी है। मान्यता है कि इसे देखकर हाथी शांत रहते हैं।
बचाव के जरूरी टिप्स
- भीड़ से हाथी नाराज होकर हमले करते हैं।
- हाथी को देखने पेड़ पर न चढ़ें। वे नीचे खड़े हो गए तो महंगा पड़ेगा।
- जंगल से लगे मकानों में न रहें। हाथी ऐेसे घरों को निशाना बनाते हैं।
- जंगल क्षेत्रों में खलिहान न बनाएं। सोएं बिलकुल नहीं।
- घर में शराब-महुआ रखने से बचें। हाथी को दूर से गंध आ जाती है।
- जहां हाथी हों, वहां शाम से सुबह तक सड़क-पगडंडी पर नहीं चलें।