चौधरी मित्रसेन आर्य की 93वीं जयंती पर इंडस पब्लिक स्कूल -दीपका में हुआ हवन-पूजन, विद्यार्थियों ने सशिक्षक दी यज्ञ में आहुति

दुनिया में कुछ विरले लोग होते हैं जो अपने सत्कर्म के पदचिन्ह छोड़ जाते हैं-डॉक्टर संजय गुप्ता।

इस परिवर्तनशील संसार में जिसने जन्म लिया है, उसकी मृत्यु निश्चित है। लेकिन जन्म लेना उसी का सार्थक है,जो अपने कार्यों से कुल, समाज और राष्ट्र को प्रगति के मार्ग पर अग्रसर करता है। महाराजा भतृहरि के इन महावाक्यों को चरितार्थ करता चौधरी मित्रसेन आर्य का जीवन सत्य,संयम और सेवा का अद्भुत मिश्रण रहा। इनके लिए स्वहित को छोड़ मानव हित ही सर्वोपरि रहा। 15 दिसंबर 1931 को हरियाणा के हिसार जिले के खांडा खेड़ी गाँव में चौधरी शीशराम आर्य के घर में माता जीवो देवी की कोख से चौधरी मित्रसेन आर्य का जन्म हुआ।अपने पूर्वजों से मिले संस्कार व अपनी पत्नि के साथ चौधरी मित्रसेन जी सन् 1957 में रोहतक में एक लेथ मशीन के साथ अपना खुद का व्यवसाय शुरु किया।

एक गृहस्थ व व्यवसायी होते हुए भी उन्होंने अपने जीवन में ऐसे आदर्श स्थापित किए जिन्हें यदि हम अपना लें तो रामराज्य की कल्पना साकार की जा सकती है।चौधरी जी के विचार थे हमें हर कार्य को करने पहले यह सोच लेना चाहिए कि इसके करने से सबका हित होगा या नहीं ।यदि व्यक्तिगत रुप से लाभ लेने वाला कोई कार्य समाज के लिए अहितकर है तो उस कार्य को कदापि नहीं करना चाहिए।

ऐसे महान विभूति के जन्मदिन के पावन अवसर पर दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में हवन-पूजन का आयोजन किया गया।प्रातः प्रार्थना स्तुति के पश्चात वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हवन का विशेष आयोजन किया गया। जिसमें विद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता एवं शैक्षणिक प्रभारी श्री सब्यसाची सरकार सर एवं शैक्षणिक प्रभारी श्रीमती सोमा सरकार मैडम जी की गरिमामयी उपस्थिति में विद्यालय के सभी शिक्षक-शिक्षिकाएँ एवं बच्चों तथा कर्मचारियों ने हवन में आहुति देकर चौधरी मित्रसेन जी को अपनी श्रद्धा एवं सम्मान अर्पित की। विद्यालय में अध्यनरत सभी विद्यार्थी एवं शिक्षक शिक्षिकाओं ने यज्ञ पर आहुति देकर चौधरी मित्रसेन जी के प्रति अपना सम्मान व्यक्त किया।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए विद्यालय की वरिष्ठ शिक्षिका एवं प्री प्राइमरी एवं प्राइमरी की शैक्षणिक प्रभारी श्रीमती सोमा सरकार ने कहा कि जीवन पर्यन्त परोपकार एवं परहित के आदर्श पर चलने वाले और समाज को एक दिशा और दृष्टि देने वाले चौधरी मित्रसेन जी भौतिक रुप से आज हमारे बीच नहीं हैं,लेकिन उनके विचार, कार्य और उनकी दृष्टि युगों-युगों तक भावी पीढ़ी हेतु एक प्रेरणास्रोत रहेगी।

बेटियों की शिक्षा-दीक्षा एवं उनकी सुरक्षा के प्रति चौधरी जी ने अभूतपूर्व कार्य किये हैं । हवन के पश्चात विद्यालय के बच्चों द्वारा एक भजन प्रस्तुत किया गया तथा एक नृत्य नाटिका के माध्यम से समाज में बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ और बेटियाँ होती हैं कुलवंती का संदेश प्रस्तुत किया गया। पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से सभी बच्चों चौधरी मित्रसेन आर्य की जीवनी एवं उनके कार्यों के बारे में बताया गया। इस पावन अवसर पर विद्यालय में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता एवं विद्यालय के शैक्षणिक प्रभारी श्री सब्यसाची सरकार सर एवं शैक्षणिक प्रभारी श्रीमती सोमा सरकार के द्वारा उपहार देकर सम्मानित किया गया ।

इस अवसर पर विद्यालय में चौधरी मित्रसेन के जन्मदिवस के पावन अवसर पर सभी विद्यार्थियों एवं कर्मचारियों को मिठाई वितरित की गई।
विद्यालय के शैक्षणिक प्रभारी श्री सब्यसाची सरकार सर ने अपने उद्बोधन में कहा कि इस विश्व में प्रतिदिन असंख्य लोग पैदा होते हैं और मृत्यु को भी प्राप्त होते हैं। लेकिन हम उनको ही याद करते हैं या वही हमारे दिल में सदा के लिए बसते हैं जिनके कार्य नेक होते हैं ।अतः हमें अपने जीवन में धन- दौलत, मान – सम्मान को महत्व न देकर सत्कर्मों को महत्व देना चाहिए और शायद यही संदेश चौधरी जी ने हम सबको दिया है ।उनका व्यक्तित्व हम सबके लिए प्रेरणादायी है।

इस पावन अवसर पर विद्यालय प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा कि दुनिया में कुछ ही विरले लोग ऐसे होते हैं जो अपने सतकर्मों के पदचिन्ह छोड़ जाते हैं।जो दूसरों के लिए हमेशा अनुकरणीय होते हैं।चौधरी मित्र सेन ऐसे व्यक्तित्व के धनी थे।वे जीवनभर हमारे लिए मिसाल एवं प्रेरणास्रोत बने रहेंगे। उनका चरित्र एवं उनका व्यक्तित्व हम सबके लिए प्रेरणा स्रोत हैं ।उन्होंने प्रत्यक्ष – अप्रत्यक्ष रूप से हम सबको सत्कर्म ,सदाचार ,परोपकार एवं प्रत्येक को स्नेह करने की शिक्षा दी ।जो कि मानव का महत्वपूर्ण नैतिक मूल्य होता है ।उन्होंने नैतिक मूल्यों पर विशेष जोर दिया । जिससे हमारा जीवन सफल व सुखमय होता है।

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