Chandrayaan-3 के लॉन्च के बाद कहां गिरे रॉकेट के 4 हिस्से, जानें ये धरती के लिए कितने खतरनाक

चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग 14 जुलाई, 2023 की दोपहर 2:35 बजे की गई थी। इसके बाद 16.15 मिनट पर लॉन्च व्हीकल मॉड्यूल-3 यानी LVM-3 रॉकेट चंद्रयान-3 से अलग हो गया था। इसी तरह चंद्रयान रॉकेट के एक के बाद एक 4 हिस्से अलग हो गए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि चंद्रयान तो चांद पर जा रहा है, लेकिन रॉकेट के हिस्से कहां गए। आज हम आपको इसी सवाल का जवाब देने वाले हैं कि चंद्रयान के चार हिस्से कहां-कहां गिरे हैं।
पहला हिस्सा: चंद्रयान-3 को ले जाने वाले रॉकेट का पहला हिस्सा जो धरती पर गिरा, इसरो ने उसका नाम S200 दिया था। S200 रॉकेट के निचले हिस्से में किनारों की तरफ लगे स्ट्रैपऑन है। ये हिस्सा रॉकेट से करीब दो मिनट सात सेकेंड के बाद 62.17 किलोमीटर पर अलग हुआ और जमीन पर गिर गया था। स्ट्रैपऑन की लंबाई 26.22 मीटर थी। रॉकेट के लॉन्च वीडियो में इस हिस्से को अलग होते भी देखा जा सकता है। ये हिस्सा स्ट्रैप ऑन्स बंगाल की खाड़ी में कहीं गिरे होंगे, जिन्हें जल्द ही खोजा जा सकता है।
दूसरा हिस्सा: चंद्रयान का दूसरा हिस्सा 114 KM ऊपर जाने के बाद अगल हुआ था। ये रॉकेट का सबसे ऊपरी हिस्सा होता है। इसे पेलोड फेयरिंग कहते हैं। अब चंद्रयान-3 रॉकेट के कोर स्टेज L110 के साथ चांद की ओर जा रहा है। यह हिस्सा कारमान लाइन से ऊपर अंतरिक्ष में जाकर अलग हुआ, वहां पर ग्रैविटी का असर कम हो जाता है। ये हिस्सा बाद में ग्रैविटी में फंसकर वायुमंडल पार करके धरती पर कहीं गिरता है।
तीसरा हिस्सा: चंद्रयान का तीसरा हिस्सा कोर इंजन होता है, जो कि 175 KM ऊपर जाकर अलग हुआ। ये रॉकेट का लिक्विड स्टेज इंजन है, जिसे L110 नाम दिया गया है। जब यह हिस्सा चंद्रयान से अलग हुआ था, उस वक्त तक रॉकेट को लॉन्च हुए करीब 5 मिनट हो चुके थे। अब यह हिस्सा अंतरिक्ष में तैर रहा है। इसी तरह अंतरिक्ष में तैरते हुए कभी धरती की ग्रैविटी में आएगा और जमीन पर गिरेगा।
चौथा हिस्सा: चंद्रयान-3 का चौथा हिस्सा क्रायोजेनिक इंजन है। क्रायोजेनिक इंजन का नाम C25 दिया गया है, जो चंद्रयान से सबसे अंतिम में अलग होता है। क्रायोजेनिक इंजन जिस गति से जा रहा होता है, वह पांच किलोमीटर और ऊपर चला जाता है, फिर वहां से चंद्रयान-3 अलग हो जाता है।