रसोई गैस की दाम में की गई बढ़ोतरी को तत्काल वापस ले सरकार- सीपीआई
रसोई गैस की दाम में की गई बढ़ोतरी को तत्काल वापस ले सरकार- सीपीआई
कोण्डागांव 03 मार्च । सरकार से रसोई गैस की दाम में की गई बढ़ोतरी को तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए सीपीआई के कम्युनिश्ट जयप्रकाष नेताम ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि सीपीआई जिला परिषद कोण्डागांव, रसोई गैस के सिलेंडर के दाम में 50 रुपए की एक और बढ़ोतरी किए जाने की कड़े शब्दों में निंदा करती है। यह बढ़ोतरी, जनता पर बोझ ऐसे समय पर और बढ़ाने जा रही है, जबकि खाने-पीने की तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतें, पहले ही लगातार बढ़ रही है।
कमर्शियल उपयोग के रसोई गैस सिलेंडर के दाम में इस साल दूसरी बार बढ़ोतरी की गयी है। रसोई गैस की दाम में की गई बढ़ोतरी से तमाम तैयार खानों की लागत बढ़ जाएगी और इससे महंगाई में और इजाफा होगा।
नौ साल पहले मोदी सरकार के आगमन पर लोगों को उम्मीद बंधी थी कि सरकार के वायदे के अनुसार देश विकास के मार्ग पर आगे बढ़ेगा। किसानों, मजदूरों, बेरोजगारों एवं गरीबों को समाज में समुचित स्थान मिलेगा, भ्रष्टाचार और महंगाई पर लगाम लगेगी और पूरा देश एवं जनता विकास के मार्ग पर आगे बढ़ेंगे और हमारा देश सचमुच में एक विश्व गुरु बनेगा। मगर मोदी सरकार के पिछले नौ साल का इतिहास बता रहा है कि उनके द्वारा की गई सारी घोषणाएं और विकास के नारे आम जनता, किसानों, मजदूरों और बेरोजगारों के लिए सबसे बड़े छलावा ही सिद्ध हुए हैं। साल दर साल भारत के किसानों, मजदूरों और नौजवानों के साथ सबसे बड़ा धोखा सिद्ध हुआ है। गरीबी में भारत दुनिया का सिरमौर बना हुआ है।
किसान और मजदूर पिछले नौ सालों में और भी ज्यादा गरीब हुए हैं। उनके दुख तकलीफों में महंगाई ने और ज्यादा इजाफा कर दिया है। आजादी के 75 साल बाद भी उन्हें फसलों का न्यूनतम सपोर्ट प्राइस नहीं मिलता, उनकी फसलों की सरकारी खरीद नहीं होती है। करोड़ों मजदूरों को न्यूनतम वेतन नहीं मिलता है। अखबारों की रिपोर्ट बताती है कि भारत के 85 प्रतिषत मजदूरों को मालिकान द्वारा न्यूनतम वेतन भुगतान नहीं किया जाता है। अब तो हालात ये हो गए हैं कि देश के अधिकांश पूंजीपतियों द्वारा श्रम कानूनों का पालन नहीं किया जा रहा है और उनका सरासर उल्लंघन किया जा रहा है जिस वजह से मजदूरों को गरीबी के गर्त में धकेला जा रहा है।
किसान और मजदूरों के बच्चों में बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। दुनिया में सबसे ज्यादा बेरोजगार भारत में हैं, जो किसान और मजदूर के बेटे और बेटियां हैं। रोजगार को लेकर उनका भविष्य अंधकार में हो गया है। आम जनता अपनी और अपने बच्चों की पढ़ाई, लिखाई, दवाई, शिक्षा और रोजगार को लेकर सबसे ज्यादा परेशान हैं। निजी अस्पतालों और निजी विद्यालयों में लूट जारी है, सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में डॉक्टर, नर्सिंग, वार्ड बॉय, दवाइयां नहीं हैं, आधुनिक चिकित्सा उपकरणों का लगभग अभाव है और उन्हें प्राइवेट मालिकों के हाथों में लुटने के लिए छोड़ दिया गया है।