
भरभरा कर गिरा छत का प्लास्टर, बाल बाल बचा SECL कर्मी परिवार, इधर ब्लास्टिंग से छिटके पत्थर से टूटा आंगन में रखा वाशिंग मशीन….
कोरबा – जिले के खदानों में किए जा रहे हैं बेतरतीब ढंग से ब्लास्टिंग की वजह से लोग ना ही घर के अंदर सुरक्षित है और ना ही घर के बाहर, ताजा मामला कुसमुंडा क्षेत्र का है जहां जीएम ऑफिस के सामने बने रेस्क्यू कॉलोनी के क्वार्टर नंबर RM ११ में निवासरत कुसमुंडा खदान में पदस्थ सीनियर डंपर ऑपरेटर निरंजन सिंह का परिवार आज बेहद डरा हुआ हैं, निरंजन सिंह ने बताया कि वे सभी अपने बेडरूम में सो रहे थे इसी दौरान उनकी बेटी ने उन्हें उठाया और कहा कि पापा उसके सिर के ऊपर कुछ रेत मलबा जैसा गिर रहा है तो निरंजन छत की तरफ देखें और सभी को तुरंत बिस्तर से उठ जाने को कहा, जैसे ही सभी लोग बिस्तर से उठे, छत का प्लास्टर भरभरा कर बिस्तर पर जा गिरा, अगर कुछ पल और देरी हो जाती तो छत के प्लास्टर का यह बड़ा सा टुकड़ा बेड में सोए लोगों के सिर पर जा गिरता । आपको बता दें कुसमुंडा क्षेत्र में सिविल विभाग की भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है कई काम कागजों में और कई काम जो धरातल पर होते हैं सभी में जमकर भ्रष्टाचार किया जाता है जिस वजह से लोगों के जान पर बनती है। हमने अपने चैनल के माध्यम से कई बार करोड रुपए के डिसेंट हाउसिंग ठेका कार्य के तहत हुए बड़े भारी भ्रष्टाचार का भी खुलासा किया था । बावजूद इसके एसईसीएल के उच्च अधिकारियों द्वारा इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया जिस वजह से आज करोड रुपए खर्च कर कॉलोनी के क्वार्टरों में भ्रष्टाचार के गिलावे से किया गया हर कार्य आए दिन किसी ना किसी के घर में प्लास्टर के रूप में गिर रहा है।
वहीं ब्लास्टिंग से जुड़ी दूसरी खबर कुसमुंडा खदान से लगे ग्राम बरपाली की है जहां कदम चौक के पास महेतर दास पर का परिवार रहता है और बीते दिन इतनी तीव्रता के साथ ब्लास्टिंग हुई की पत्थर और ठोस मिट्टी के बड़े-बड़े टुकड़े घर के आंगन में गिर गए जिससे घर के आंगन में रखा वाशिंग मशीन भी टूट गया । सभी लोग बेहद डर गए इस हादसे में हालांकि वाशिंग मशीन ही टूटा, किसी जन को शारीरिक रूप से चोट नहीं लगी। हां पर एक गरीब के लिए वर्षो की मेहनत से पाई पाई जोड़कर लिया गया वाशिंग मशीन का टूटना भी परिवार के लिए बेहद दुखद हैं।
ऐसा पहली बार नहीं है कई बार खदान क्षेत्र से लगे गांव में इस तरह की घटनाएं घट रही है, खदान गांवों के बेहद करीब आ चुका है, और जब भी ब्लास्टिंग होती है तो न सिर्फ उनके घरों पे पत्थर गिरते हैं जिससे वे स्वयं घायल होते हैं, और घर की छतों को भी बेहद नुकसान होता है, घरों की दीवारों पर बड़े-बड़े दरारें पड़ चुकी है। प्रबंधन द्वारा सब ठीक करने, क्षतिपूर्ति देने,बालस्टिंग की तीव्रता कम करने इत्यादि का आश्वाशन दिया जाता है परंतु धरातल पर खदान के किनारे बसे लोग बेहद परेशान हैं,खदान विस्तार के तहत मुवावजे,बसावट और विस्थापन की प्रक्रिया बेहद धीमी है।