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Alphonso Mango : सबसे बेस्ट ये किस्म के आमो की जोरदार पैदावार और किसानो को भी मिल रहा तगड़ा दाम देखे अधिक जानकारी

Alphonso Mango : सबसे बेस्ट ये किस्म के आमो की जोरदार पैदावार और किसानो को भी मिल रहा तगड़ा दाम देखे अधिक जानकारी

Alphonso Mango : सबसे बेस्ट ये किस्म के आमो की जोरदार पैदावार और किसानो को भी मिल रहा तगड़ा दाम देखे अधिक जानकारी नाशिक मंडी में 17 मार्च को न्यूनतम दाम 20000, अधिकतम 45000 और औसत दाम 35000 रुपये क्विंटल रहा. दूसरी ओर मुंबई फ्रूट मार्केट में 16 मार्च को आवक बहुत अधिक होने के कारण किसानों को मिलने वाला न्यूनतम दाम 12000 और पका हुआ मीठा रसीला आम खाना किसे पसंद नहीं होगा. भारत में आम 1500 से ज्यादा किस्म के पाए जाते हैं. अल्फांसो, दशहरी, लंगड़ा जैसे किस्म तो बहुत प्रचलित हैं. लेकिन क्या स्वाद में मीठे इस फल का डायबिटीज के मरीज सेवन कर सकते हैं? क्या आम के सेवन से ऐसे लोगों का ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है? क्या आम जैसे फल से डायबिटीज के मरीजों को डरना चाहिए? ये कुछ बड़े प्रश्न हैं.




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Alphonso Mango : सबसे बेस्ट ये किस्म के आमो की जोरदार पैदावार और किसानो को भी मिल रहा तगड़ा दाम देखे अधिक जानकारी

सबसे महंगा आम माने जाने वाले अल्फांसो (हापुस) की अब मंडियों में बंपर आवक हो रही है. मुंबई फ्रूट मार्केट में 16 मार्च को रिकॉर्ड 12834 क्विंटल हापुस आम की रिकॉर्ड आवक हुई, जबकि अगले दिन इसकी आवक घटकर सिर्फ 285 क्विंटल रह गई.  हापुस आम महंगा होने की वजह से रिटेल में दर्जन में बिकता है, लेकिन महाराष्ट्र एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड ने मंडी में इसका थोक कारोबार क्विंटल में दिखा रखा है. जिससे पता लगता है कि किसानों को इसका अधिकतम थोक दाम 450 रुपये किलो जबकि न्यूनतम 200 रुपये किलो मिल रहा है. हापुस का एक आम औसतन 200 ग्राम तक होता है. रिटेल में इसकी कीमत 1500 से 2500 रुपये दर्जन तक होती है.एक्सपर्ट मानते हैं कि अगर डायबिटीज के मरीज का ब्लड शुगर लेवल स्टेबल हो तो आम का सेवन किया जा सकता है. बस इस पर ध्यान देना होगा कि आपको सही समय पर और एक लिमिट में ही आम का सेवन करना होगा. एक आम में करीब करीब 15 ग्राम कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है और सिर्फ 30 ग्राम कार्बोहाइड्रेट प्रतिदिन ऐसे मरीजों को लेने की सलाह दी जाती है. अलग अलग आम में मिठास भी अलग अलग मात्रा पाया जाता है. कुछ आमों में दूसरों के डबल मात्रा में मिठास होती है तो कुछ में बहुत कम

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Alphonso Mango : सबसे बेस्ट ये किस्म के आमो की जोरदार पैदावार और किसानो को भी मिल रहा तगड़ा दाम देखे अधिक जानकारी

आम को फलों का राजा कहा जाता है जबकि  अल्फांसो को  आमों का राजा कहा जाता है.फिलहाल, किसानों को मिलने वाले दाम की बात करें तो नाशिक मंडी में 17 मार्च को न्यूनतम दाम 20000, अधिकतम 45000 और औसत दाम 35000 रुपये क्विंटल रहा. दूसरी ओर मुंबई फ्रूट मार्केट में 16 मार्च को आवक बहुत अधिक होने के कारण किसानों को मिलने वाला न्यूनतम दाम 12000 और अधिकतम 25000 रुपये क्विंटल रहा. हालांकि, बेहतरीन गुणवत्ता का अधिकांश हापुस आम एक्सपोर्ट हो जाता है. इसके स्वाद की वजह से विदेशों में इसकी काफी मांग है. यह आम महाराष्ट्र के कोंकण और रत्नागिरि क्षेत्र में पैदा होता है

एक दर्जन में कितने आएंगे आम आज हम बताएंगे

यदि आप हापुस आम को प्रति किलोग्राम मान रहे हैं, तो प्रत्येक आम का औसत आकार 150 ग्राम से शुरू होकर 350 ग्राम तक होता है. अल्फांसो आम का औसत वजन 175 से 150 ग्राम तक होता है. इस तरह एक किलो में 6 हापुस आम होंगे. इसका ऑनलाइन आर्डर करते समय इस बात का ध्यान रखिए.

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असली अल्फांसो आम की पहचान आज हम बताएंगे

महंगा होने की वजह से नकली होने की संभावना ज्यादा रहती है. असली अल्‍फांसो की खुशबू बहुत स्‍ट्रॉन्‍ग होती है. अगर ये कमरे में है तो इसकी खुशबू पूरे रूम में भर जाएगी. – जबकि केमिकल युक्‍त नकली अल्‍फांसो में खुशबू नहीं होती.छिलके से सीधा आम खाने के उलट मैंगो शेक या फिर मैंगो जूस जैसी चीजों का सेवन करना घातक हो सकता है. क्योंकि एक गिलास मैंगो जूस में एक से ज्यादा आमों का रस होता है. डायबिटीज के मरीजों को हर दिन आधा आम खान चाहिए. ब्लड शुगर और पोटेशियम का लेवल अधिक होने पर आम के सेवन से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें. सुबह की वॉक के बाद, वर्कआउट करने के बाद, खाना खाने के बाद आम का सेवन किया जा सकता है.

इस आम के एक्सपोर्ट होने के अलग है नियम होते है

अल्फांसो आम को एक्सपोर्ट करने के ल‍िए अलग न‍ियमों का पालन करना पड़ता है.अगर अमेरिका देश की बात करें तो वहां अल्फांसो को एक्सपोर्ट करने से पहले विकिरण ट्रीटमेन्ट किया जाता है और उसमें वहां का इंस्पेक्टर खुद मौजूद रहता है. उसके सामने ही ट्रीटमेंट होता है. बाकी देशों के लिए इतने सख्त नियम नहीं हैं. आस्ट्रेलिया और मलेशिया में भेजने से पहले भी ट्रीटमेंट होता है, लेकिन इन देशों का कोई प्रतिनिधि मौजूद नहीं होता. मिडल ईस्ट में सबसे ज्यादा आम भेजा जाता है.

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