राजधानी में आज धूमधाम से निकलेगी भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा, सीएम और राज्यपाल समेत हजारों श्रद्धालु होंगे शामिल

रायपुर : आज से शुरू हो रही नौ दिवसीय भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा की तैयारियां पूरी हो चुकी है। रथयात्रा के दिन भगवान जगन्नाथ के भक्त पुरी में हजारों की तादाद में मौजूद होते हैं। छत्तीसगढ़ में भी कई जगहों पर भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है। भगवान जगन्नाथ और उनके भाई बलभद्र और छोटी बहन सुभद्रा के रथ को भक्तों को दर्शन कराने के बाद गुंडिचा मंदिर ले जाने की तैयारी की जाती है। तीनों रथों को भव्य तरीके से सजाया जाता है।
प्रदेश के मुखिया पूजा करके करेंगे यात्रा का शुभारंभ
वहीं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भी रथयात्रा उत्सव पर उत्साह देखा गया। यहां भी धूमधाम से पूरी तैयारी कर ली गई है। राजधानी के पुरानी बस्ती और अवंती विहार मंदिर से यात्रा निकाली जाएगी। गायत्री नगर स्थित जगन्नाथ मंदिर के संस्थापक पुरंदर मिश्रा ने बताया कि रथयात्रा के लिए राज्यपाल और मुख्यमंत्री को आमंत्रित किया गया है।
प्रदेश के मुखिया रथ के आगे सोने से निर्मित झाड़ू से बुहारने की रस्म निभाकर रथयात्रा को रवाना करेंगे। भगवान 10 दिनों मौसी के घर विश्राम करके 29 जून को देवशयनी एकादशी पर वापस मूल मंदिर में लौटेंगे। रथयात्रा की वापसी को बहुड़ा यात्रा कहा जाता है। वहीं आज सीएम भूपेश बघेल मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में वीडियो कान्फ्रेसिंग द्वारा गोधन न्याय योजना के अंतर्गत हितग्राहियों को राशि का अंतरण करेंगे।
राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथयात्रा पर्व के अवसर पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने अपने संदेश में कहा है कि रथयात्रा हमारी आस्था एवं संस्कृति से जुड़ा पर्व है। ऐसे त्यौहार हम सबको एकसूत्र में बंधने का अवसर देते हैं और आपसी सौहार्द्र बढ़ाते हैं। राज्यपाल ने इस अवसर पर सभी नागरिकों की खुशहाली की कामना की है।
आज राजधानी के इन जिलों से निकाली जाएगी रथयात्रा
राजधानी के लगभग 10 जगन्नाथ मंदिरों में 20 जून यानी आज निकाली जाने वाले रथयात्रा की तैयारी पूरी कर ली गई है। गायत्री नगर, सदरबाजार, टुरी हटरी पुरानी बस्ती, लिली चौक, आमापारा, अश्विनी नगर, पुराना मंत्रालय परिसर, आकाशवाणी कालोनी, गुढ़ियारी, कोटा के मंदिरों से रथयात्रा निकाली जाएगी। भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भैय्या बलदेव और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर अपनी मौसी के घर जाकर विश्राम करेंगे। भगवान के विश्राम स्थल को गुंडिचा मंदिर कहा जाता है।