INN24 EXCLUSIVE : कोरबा परिवहन विभाग में मृत व्यक्ति ने वाहन बेचने के बाद स्वयं कराया नाम ट्रांसफर,,, मृत व्यक्ति ने थाने में दी आरसी बुक गुम होने की शिकायत,,,, स्वयं परिवहन कार्यालय कोरबा पहुंच कर कराया वाहन का भौतिक सत्यापन,,, एजेंट,अधिकारी पर विभागीय और पुलिस जांच लंबित l
कोरबा परिवहन में ऐसी व्यवस्था है जिसके अंतर्गत मृत व्यक्ति स्वयं उपस्थित होकर अपने वाहन के बिक्री उपरांत नाम ट्रांसफर के प्रक्रिया में भौतिक सत्यापन के लिए स्वयं उपस्थित हो सकता है जी हाँ यह मामला कोरबा परिवहन कार्यालय का है जिसमें बिलासपुर जिला के कुली निवासी अजय कुमार साहू जिनकी मृत्यु 17/05/2019 को वाहन दुर्घटना में हुई थी तब वह एक माल वाहक वहान के स्वामी थे जिसका क्रमांक CG12AT7554 है, उनके मृत्यु के 2 वर्ष बाद वह स्वयं बिलासपुर सिविल लाइन थाना पहुंचकर आरसी बुक के गुम हो जाने की शिकायत दर्ज करते हैं और वहां से पावती लेकर नए आरसी बुक के लिए आवेदन स्वयं देते है ताकि नामांतरण की प्रक्रिया में आगे बढ़ा जा सके।
इस पूरे मामले में अजय कुमार साहू के नाम से एचडीएफसी बैंक 24 सितंबर 2021 को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट उनकी मृत्यु के बाद जारी करती है, उसके बाद कोरबा डीटीओ कार्यालय में नाम ट्रांसफर की प्रक्रिया शंकर बंजारा (नए वाहन स्वामी) द्वारा एजेंट पन्ना साहू के माध्यम से प्रस्तुत कर दिया जाता है, कमाल की बात है अजय साहू स्वयं थाना सिविल लाइन बिलासपुर में पहुंचकर अपने आरसी बुक के गुम हो जाने की शिकायत दर्ज करते हैं और उसके बाद नए आरसी बुक की कॉपी प्राप्त की जाती है जिसके बाद नाम ट्रांसफर की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इस पुरे प्रकरण में एजेंट पन्ना साहू की मुख्या भूमिका है जो अधिकारी एवं कर्मचारी के साथ मिलकर इस पुरे प्रकरण को अंजाम देते है। पहले मृत्यु की जानकारी छुपा कर शाशन को राजस्व की हानि हुई, फिर पुलिस कम्प्लेन फर्जी बनाया गया (जिसकी जांच लंबित है) जो की शाश्कीय दस्तावेज में छेड़कानि की गयी और परिवहन कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारी के मिलीभगत कर इस मामले हो पूरा किया गया।
- क्या मृत व्यक्ति स्वयं थाना पहुंच कर शिकायत कर सकता है?
- क्या पुलिस कम्प्लेन फर्जी की जा सकती है?
- क्या फर्जी पुलिस कम्प्लेन कर किसी भी गाड़ी की आरसीबुक निकली जा सकती है?
- क्या मृत व्यक्ति स्वयं परिवहन कार्यालय पहुंच कर वाहन के नाम ट्रांसफर प्रक्रिया में शामिल हो सकता है?
- क्या एजेंट और कर्मचारी मिलकर इस प्रकार का कृत्य कर सकते है ?
- क्या राज्य शाशन को राजस्व की हानि पहुंचने वाले लोगो पर कार्यवाही नहीं होगी?
- क्या इस तरह से चोरी की गाड़ी का भी नाम ट्रांसफर किया जा सकता है जिसमे वाहन स्वामी की आवश्यकता नहीं होती सिर्फ खरीददार चाहिए ?
गंभीर प्रश्न है पर वर्त्तमान परिवहन अधिकारी द्वारा जांच किया जा रहा है, थाना रामपुर में जांच चल रहा है, परिवहन आयुक्त कार्यालय में जांच चल रहा, जिला कलेक्टर कार्यालय में जाँच चल रहा है, जो पिछले एक साल से लंबित है इस बीच वाहन का भौतिक सत्यापन करने वाले अधिकारी का ट्रांसफर हो गया , कोरबा परिवहन अधिकारी का ट्रांसफर हो गया और मामले में संलिप शाखा प्रभारी का भी ट्रांसफर हो गया और मामला ठन्डे बास्ते में चला गया।
इन सब में यह देकने वाली बात है की नियमों का उलंघन खुलेआम हो रहा है, पैसो का लेन देन हो रहा है पर कार्यवाही नहीं हो रही है जिससे सभी के हौसले बुलंद है।