Chhattisgarh

भारत व नेपाल के बौद्ध विहारों व ऐतिहासिक स्थलों का हुआ शैक्षिक भ्रमण…

ब्लाक रिपोर्टर सक्ती- उदय मधुकर 

सक्ती – श्रमण सेवाभावी संस्था छत्तीसगढ़ व महाराष्ट्र के संयुक्त तत्वावधान में 17 दिवसीय बौद्ध विरासत धम्म यात्रा का आयोजन 5 नवंबर से 20 नवंबर तक किया गया। इस दौरान करीब 6 हजार कि.मी. से भी अधिक दूरी की यात्रा तय की गयी जिसमें छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र सहित पड़ोसी देश नेपाल तक पहुंचकर करीब 38 ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण किया गया। इस संबंध में बिसाहू लाल बौद्ध राष्ट्रीय अध्यक्ष दी रजिस्टर्ड बुद्धिस्ट सोसायटी आफ इंडिया ने बताया कि इस भ्रमण की शुरूआत 5 नवंबर को छत्तीसगढ़ के शिमला कहे जाने वाले मैनपाट से हुआ जबकि समापन 20 नवंबर को नागपुर के दीक्षा भूमि में हुआ। इस ऐतिहासिक भ्रमण में भारत देश के उन सभी ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण किया गया जो गौतम बुद्ध के जीवनकाल से जुड़े हुए है। इसके अलावा देश के समृद्ध विरासत, संस्कृति व कला का दर्शन किया गया। संपूर्ण यात्रा चेतन बौद्ध संचालक श्रवण सेवाभावी संस्था महाराष्ट्र व हिरेन्द्र बौद्ध राष्ट्रीय महासचिव दी रजिस्टर्ड बुद्धिस्ट सोसायटी आफ इंडिया व संचालक श्रवण सेवाभावी संस्था छत्तीसगढ़ के मार्गदर्शन में हुआ।

सर्वप्रथम यात्रा छत्तीसगढ़ राज्य के मैनपाट पहुंची जहंा मोनेस्ट्री, दलदली स्पाट, उलटा पानी व बौद्ध मंदिरों का भ्रमण किया गया। जिसके बाद यात्रा उत्तर प्रदेश के सारनाथ पहुंची जहां धम्मेक स्तूप, चैखड़ी स्तूप, मूलगंध कुटी महा विहार, पुरातत्व संग्रहालय, पिपरहवा, कुशीनगर स्थित महापरिनिर्वाण स्तूप का अवलोकन किया गया। इसी तरह से यात्रा बिहार राज्य के बोधगया पहुंची जहां महाबोधि महाविहार, महाबोधि बोधिवृक्ष, निरंजना नदी, सुजाता स्तूप, विदेशी टेम्पल, सुजाता खीर दान, प्रज्ञा बोधी गुफा, संग्रहालय, नालंदा, चीनी यात्री हेन्गसान कुटी, प्राचीन विश्वविद्यालय, पुरातत्व संग्रहालय, वैशाली स्थित अस्थि धातु स्तूप, अशोक स्तंभ, विश्व शांति स्तूप, लखनऊ स्थित अंबेडकर पार्क, आगरा का ताजमहल व आगरा का किला, मध्यप्रदेश साची स्थित विश्वप्रसिद्ध सम्राट अशोक स्तूप, इंदौर के महू स्थित बाबा साहेब अम्बेडकर का जन्म स्थली, महाराष्ट्र के नागपुर के दीक्षाभूमि, कामठी ड्रैगन पैलेस, नागलोक जैसे जगहों का भ्रमण किया गया। तो वही भारत के पड़ोसी देश नेपाल व राजधानी काठमाण्डू स्थित विश्वप्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर व बुद्ध के महल कपिलवस्तु, बुद्ध की जन्म स्थली लंुबिनी के बुद्ध विहार का भ्रमण किया गया। उत्तर प्रदेश के सारनाथ जहां बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया और देश को राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह मिला उस स्थल के संग्रहालय का अवलोकन किया गया। इसके अलावा कांशी विश्वनाथ व गंगा घाट देखा गया। प्रत्येक ऐतिहासिक स्थलों के लिए गाइड की सहायता ली गयी जिनके द्वारा उन ऐतिहासिक स्थलों से जुड़ी संपूर्ण जानकारी विस्तार पूर्वक प्रदान की गयी। राज्यपाल पुरस्कृत शिक्षक राजेश कुमार सूर्यवंशी ने बताया कि इस 17 दिवसीय भारत यात्रा के दौरान देश की समृद्ध सांस्कृतिक व ऐतिहासिक विरासत को देखने व समझने का अवसर मिला जिन्हे हम किताबों में पढ़ते व पढ़ाते चले आ रहे है। ऐसे भ्रमण से हमें इतिहास की वास्तविकता दिखी है तो वही समूचा भूगोल साकार हो उठा है। ऐतिहासिक महत्त्व के स्थानों के भ्रमण से पुस्तकों में पढ़ी हुई तथ्यों और छवि प्रकाशित होकर साकार हो गयी है। नवाचारी शिक्षक श्री सूर्यवंशी ने बताया कि भारत में शैक्षिक यात्राएँ कई मायनों में महत्वपूर्ण हैं। ऐतिहासिक यात्रा में रामाधार बौद्ध, कलश, विजय सर्वे, पुष्पा सर्वे, शांति, संतराम, रूखमणी, उत्तम तारण, जानकी तारण, राजेश कुमार सूर्यवंशी, सत्या सूर्यवंशी, सारांश सूर्यवंशी, अभिलाषा सूर्यवंशी, गणेश ताम्रकार, द्रोपती, श्याम बिहारी, कल्याणी, सरोजनी सर्वे, सरिता लास्कर, नाथूराम सर्वे, कौशल्या, चंद्रिका भवानी, रामनारायण भवानी, ऋषभ भवानी, रत्नेश, चेतन बौद्ध, शौर्य बौद्ध, श्रेय बौद्ध, ज्योती बौद्ध, निरुपाला मनोहर गजभिये, शिल्पा बौद्ध, सपना खोब्रागडे, राजू गजभिये, राजेंद्र पौणीकर, सपना गजभिये, उपेस्ना दादाजी मेश्राम, सेजल राजेंद्र पौणीकर, शिवाणी राजेंद्र पौणीकर, ऊज्वला गजभिये, सपना जहेंस गजभिये, आर्वी जहेंस गजभिये, आरोही जहेंस गजभिये, दादाजी मेश्राम, हिरेन्द्र बौद्ध, बिसाहू लाल बौद्ध, गेंदा बौद्ध, भागीरथी बौद्ध, गंगा बाई बौद्ध, देवेंद्र बौद्ध, प्रेम बौद्ध शामिल हुए।

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