चित्रोत्पला गंगा महानदी के संगम पर अस्थि विसर्जन संस्कार को मिल रहा प्रोत्साहन
महानदी तट विकास प्राधिकरण का हो गठन...अधिवक्ता चितरंजय पटेल
जिला ब्यूरो सक्ती- महेन्द्र कर्ष
महान संत रैदास की कहावत मन चंगा को कठौती में गंगा… आज चित्रोत्पला गंगा महानदी संगम में अस्थि विसर्जन करते हुए मानस पटल पर स्मरित हुई जब पुण्य सलिला में कुल पुरोहित के सान्निध्य में मंत्रोच्चार और विधि विधान से ब्रम्हलीन माताश्री का अस्थि विसर्जन संस्कार संपादित हुआ, यह बात बताते हुए उच्च न्यायालय अधिवक्ता चितरंजय सिंह पटेल ने बताया कि आज जब छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा चित्रोत्पला गंगा महानदी बारह माह अथाह जल राशि से परिपूरित है तब भी परंपरागत भयवश अमीर_ गरीब हर व्यक्ति प्रयागराज तक पहुंचने की जद्दोजहद में व्याकुल और परेशान है।
खासकर! जब महाकुंभ में भगदड़ के भय से आतंकित राज सत्ता व धर्म सत्ता ने लोगों को संगम तो क्या, प्रयाग राज में प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया है, तब यह बात जेहन में अनायास ही आया कि जब धर्म सत्ता के अनुसार जैसे किसी भी जल में गंगा जल मिला देने से वह गंगा जल हो जाता है वैसे ही चित्रोत्पला गंगा का जल भी गंगा सागर होकर बंगाल की खाड़ी में विसर्जित हो जाती है, शायद तभी शास्त्रों में पुण्य सलिला महानदी को चित्रोत्पला गंगा से विभूषित किया गया है, तब इस आलोक में यह बात भी समयानुकूल स्थापित हो जाती है कि छत्तीसगढ़ वासियों के लिए यह बात सटीक है कि अपने अस्थि विसर्जन जैसे श्राद्ध कर्म भी पुण्य सलिला चित्रोत्पला गंगा के संगम स्थल चंद्रपुर, शिवरीनारायण व राजिम में संपादित करना शास्त्रोक्त एवं समयानुकूल है। सिर्फ आवश्यकता है कि इस दिशा में धर्म सत्ता के साथ राज सत्ता के लोग खुले दिल से इसे प्रोत्साहित करें अर्थात धर्म सत्ता के लोग इन तीन स्थलों को छत्तीसगढ़ के कांशी, प्रयाग और हरिद्वार की महिमा प्रदान करें तो वहीं राज सत्ता के लोग इन स्थलों को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने अधोसंरचना के विकास को गति प्रदान करें अर्थात घाटों के निर्माण में सड़क_बिजली_पानी की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करें । इस अधोसंरचना के निर्माण में वैकल्पिक रूप से सर्व समाज का सहयोग भी लिया जा सकता है यथा सरकार सभी समाज को निःशुल्क भूखंड आबंटित कर उन्हें घाट और मंदिर, धर्मशाला निवास आदि अधोसंरचना निर्माण के लिए प्रोत्साहित करे तब निश्चित ही प्रदेश में पर्यटन के साथ लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेगा और लोग धार्मिक परंपरा के आड़ में अनावश्यक शोषण से मुक्ति पा सकेंगे। इसलिए कोविड के प्रकोप और कुंभ के भगदड़ से सबक लेकर छत्तीसगढ़िया हित में सार्थक प्रयास वक्त की मांग है।
इस संबंध में अधिवक्ता चितरंजय पटेल ने छत्तीसगढ़िया संस्कृति व धरोहर के संरक्षक विष्णु देव सरकार से मांग किया है कि महानदी तट विकास प्राधिकरण का गठन कर राजिम से चंद्रपुर तक संगम स्थलों के समुचित विकास की कल्पना को साकार करे।