अनुराग कृष्ण शास्त्री (श्री कन्हैया जी) ने भागवत कथा के चौथे दिवस गजेंद्र मोक्ष, समुद्र मंथन, वामन अवतार, श्रीराम चरित्र एवं श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की कथा का रसपान कराया
बाराद्वार – बालंदिया परिवार के द्वारा 18 से 25 सितंबर तक आयोजित पितृमोक्षार्थ गयाश्राद्ध अंतर्गत श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन स्थानीय मां काली मंदिर के सामने किया गया है। कथा के चौथे दिवस 21 सितंबर को ब्यासपीठ से श्री अनुराग कृष्ण शास्त्री ने उपस्थित श्रोताओं को गजेंद्र मोक्ष, समुद्र मंथन, वामन अवतार, श्रीराम चरित्र एवं श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की कथा का श्रवण कराया। श्री शास्त्री ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा भवसागर से पार लगाने का सर्वोत्तम आधार है, इसलिए भागवत कथा जरूर सुने और कथा में सुनाए गए प्रसंगो को अपने जीवन में आत्मसात करे। इससे मन को शांति भी मिलेगी साथ ही मानव जीवन का कल्याण भी होगा। बाराद्वार में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिवस की कथा सुनाते हुए श्री शास्त्री ने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा में वह सारे गुण व्याप्त हैं जिनके माध्यम से प्राणी अपना कल्याण कर सकता है। कथा वाचक अनुराग कृष्ण शास्त्री ने कृष्ण जन्मोत्सव को लेकर ऐसा समां बांधा कि श्रध्दालु अपनी जगह पर बैठे ही रहे। बॉक्स – इस दौरान श्रीकृष्ण का जन्म उत्सव धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम स्थल को विभिन्न प्रकार से सजाया गया था एवं खुशियां मनाई गई। श्री शास्त्री ने बताया कि मन में हर हमेशा जिज्ञासा बनी रहनी चाहिए, जिस प्रकार बालपन में बालको को कुछ नया देखने व सुनने से उसके मन मे ंउसे जानने की जिज्ञासा होती है। इसलिए अपने अंदर के बालपन को हमेशा बनाए रखना चाहिए। कथा में आगे उन्होने बताया कि भगवान युगों-युगों से भक्तों के साथ अपने स्नेह रिश्ते को निभाने के लिए अवतार लेते आये हैं तथा विष्णु पुराण के अनुसार, एक बार महर्षि दुर्वासा के श्राप से स्वर्ग में धन, ऐश्वर्य और वैभव खत्म हो गया। इस समस्या के समाधान के लिए सभी देवी-देवता भगवान विष्णु के पास पहुंचे तब विष्णु जी ने देवों और असुरों के बीच समुद्र मंथन कराने का उपाय बताया।