गायों को लावारिस छोड़ रहे पशुपालक पर हो कायर्वाही-अमर झा

 

जगदलपुर .नगरनिगम जगदलपुर शहर में गौवंशीय पशुओं की हालत दिन पर दिन बदतर हो रही है। शहर में जगह-जगह कूड़े के ढेरों पर लावारिस गायों को मुंह मारते देखा जा सकता है। भूखी प्यासी ये गायें कभी सड़े गले खाद्य पदार्थ और प्लास्टिक की पन्नियां खाकर अपनी भूख मिटाती हैं और प्यास बुझाने के लिए कीचड़युक्त गंदा पानी पीना इनकी मजबूरी बन गई है।
नगरनिगम जगदलपुर शहर की ही बात करें तो यहां वर्तमान में सैकड़ों गौवंशीय पशु सुबह से ही सड़कों पर लावारिस छोड़ दिए जाते हैं। दिन भर इन गायों को गंदगी से ही पेट भरना होता है। तपती धूप हो या घनघोर बारिश इन गायों को इनके हाल पर छोड़ दिया जाता है।
जो गायें सड़कों पर अक्सर नजर आती हैं उनमें से अधिकांश गायें पशुपालकों की हैं। पशुपालक सुबह गायों से दूध निकालकर उन्हें खुला छोड़ देते हैं। शाम को गाय से पुन: दूध निकालकर उन्हें रात को बांध दिया जाता है। सुबह होने पर फिर इन्हें छोड़ देते हैं। पशुपालकों द्वारा सड़कों पर छोड़े गए यही गौवंशीय पशु अक्सर तस्करों का निशाना बनते हैं।
तस्करों की नजर भी इन घुमंतू पशुओं पर बनी ही रहती है। वहीं कचरे से दूषित पदार्थ खाने से गोवंशीय पशुओं की असामयिक मौत हो रही है। सड़कों पर विचरण करने वाले ये गौवंशीय अक्सर वाहनों से दुर्घटना के शिकार भी हो जाते हैं। कई
बार इन्हें आवारा कुत्तों के हमलों का भी शिकार बनना पड़ता है। नगरनिगम द्वारा समय-समय पर बड़ी बड़ी बातें तो किया जाता है लेकिन शहर में घुमंतू गायों की दुर्दशा को लेकर आज तक कोई ठोस पहल नहीं की गई।

*पशुपालक और निगम प्रशासन दोनों जिम्मेदार*

गायों की दुर्दशा पर पशुपालक और प्रशासन दोनों जिम्मेदार हैं। गायों की दुर्दशा का आलम यह है कि आये दिन इन्हें आवारा कुत्तों का शिकार होना पड़ रहा, पशुपालक इन गायों से दूध निकालकर अच्छा खासा मुनाफा कमाते तो है पर इनके उचित रहन-सहन की व्यवस्था नही की जा रही मुनाफा नही देने वाले पशुओं को ये हमेशा के लिए लावारिश छोड़ देते है।
नगरनिगम द्वारा लावारिश छोड़ रहे पशुपालकों
पर कड़ी कार्रवाई के साथ भारी जुर्माने का भी प्रावधान किया जाना चाहिये। जिसे गावंशियो की ठीक तरह से सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।।।

Ravindra Das Bureau Bastar

ब्यूरो चीफ बस्तर

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