
छत्तीसगढ़ में समृद्धि, संस्कृति और संसाधन को बेचने और बचाने की लड़ाई है
रायपुर : छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि छत्तीसगढत्र में समृद्धि, संस्कृति और संसाधन को बेचने और बचाने की लड़ाई है। कांग्रेस जनता की सृमद्धि के लिये और भाजपा अडानी के मुनाफे के लिये छत्तीसगढ़ में सरकार बनाना चाहती है। भूपेश सरकार की पहली प्राथमिकता “सामाजिक न्याय“ के साथ आम जनता की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक समृद्धि है। भारतीय जनता पार्टी के लिए छत्तीसगढ़ केवल संसाधनों के दोहन के लिए आवश्यक है। भाजपाई अडानी के व्यावसायिक लाभ के लिए छत्तीसगढ़ में सत्ता हथियाने बेचैन हैं। 15 साल जब छत्तीसगढ़ में रमन सिंह की सरकार थी , खासतौर पर 2014 से 2018 जब केंद्र और राज्य दोनों जगह भाजपा की सरकारें थी, उस दौरान छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़िया जनता पर सबसे ज्यादा अत्याचार हुए। जल-जंगल- जमीन छीनी गई। छत्तीसगढ़ के खनिज संपदा अडानी को सौंप दिया गया। इसी दौरान 2016-17 में बैलाडीला के नंदराज पर्वत की लोह अयस्क माइंस अडानी को दे दिए जिसके लिए रमन सरकार ने फर्जी ग्राम सभा के प्रस्ताव तैयार करवाए और बस्तर के धार्मिक महत्व के स्थल को भी खनन के लिए अडानी को दे दिया। भूपेश सरकार ने आते हैं उस ओएमयू को रद्द कर दिया, लेकिन अंतिम आदेश आज तक मोदी सरकार में लंबित है। छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी इसलिए सत्ता हथियाना चाहती है ताकि नदराज पर्वत फिर से अडानी को सौंपा जा सके।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भूपेश बघेल सरकार ने विगत 5 वर्ष में हर वर्ग के हितग्राहियों का बराबर ध्यान रखा है। 1 लाख़ 75 हजार करोड रुपए सीधे हितग्राहियों के खातों में अंतरित किया है। भूपेश सरकार ने न केवल लोहंडीगुडा में रमन सरकार में छिनी गई आदिवासियों की जमीन निःशुल्क वापस की बल्कि 5 लाख़ 18 हज़ार से अधिक वन अधिकार पट्टे बांटे हैं। रमन सरकार के दौरान लाखों की संख्या में पट्टे के आवेदन निरस्त कर दिए गए थे। मोदी के मित्र अडानी के हित में बाधक बनने वाले हजारों की संख्या में आदिवासियों को 1379 फर्जी प्रकरण बनाकर जेल में बंद किया गया था, जिनकी भूपेश सरकार में रिहाई हुई। 90 हजार एकड़ से अधिक भूमि रमन सरकार ने किसान और आदिवासियों से चलकर अपने उद्योगपति मित्रों को सौंप दिया। कभी पावर प्लांट लगाने के नाम पर, कभी रतनजोत की खेती तो कभी औषधि खेती के नाम पर भाजपा के समय किसानों को जमीन से बेदखल किया जाता रहा।