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विश्व महिला दिवस के उपलक्ष्य पर आई0 पी0 एस0-दीपका में हुआ शानदार आयोजन, किया गया महिलाओं का सम्मान

भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्तव दिया गया हैं।बच्चों में संस्कार भरने का काम माँ के रुप में नारियों के द्वारा ही किया जाता है- डॉ. संजय गुप्ता ।

सदियों से महिलाएँ विभिन्न प्रकार के अत्याचार और दमन का सामना करती रही हैं।इतिहास गवाह है कि मुगल काल से लेकर आज पर्यंत महिलाओं पर अत्याचार या प्रताड़ना की खबर हम प्रतिदिन समाचार पत्र में पढ़ते रहते हैं।कहने को तो आज विज्ञान ने तरक्की कर ली है,दुनिया बहुत आगे जा चुकी है,पर आज भी समाज में महिलाओं के प्रति अत्याचार और शोषण की घटनाएँ आम हो चुकी हैं।यह पुरुष प्रधान देष की ओछी मानसिकता प्रदर्षित करता है।
कहा जाता है जहाँ नारी की पूजा होती है,वहाँ देवता निवास करते हैं।यह बात सौ फीसदी सत्य भी है।यदि हम वाकई नारियों का सम्मान करें इस बात में कोई संदेह नहीं कि हमारा घर-परिवार एवं सर्वत्र सुख-शांति का वातावरण रहेगा।आज महिलाएँ प्रत्येक क्षेत्र में अपनी काबिलियत का लोहा मनवा रही हैं। वह सामाजिक क्षेत्र हो,राजनीतिक क्षेत्र हो,आर्थिक क्षेत्र हो या औद्योगिक क्षेत्र हो।प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं ने अपनी उपस्थिति से पुरुषों को यह बता दिया है कि वे किसी से कम नहीं हैं।

समाज में महिलाओं के योगदान व उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए विश्वभर में 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। आज महिलाओं ने सड़क से लेकर संसद तक और जमीन से लेकर आसमान तक अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है और पुरुषों को दाँतों तले उंगली दबाने पर मजबूर कर दिया है। आज महिलाओं के प्रति पुरुषों की सोच में बदलाव आया है। पर आज भी हम गाहे-बगाहे महिला उत्पीड़न की खबरों से सिहर जाते हैं। आज तक जिन क्षेत्रों में केवल पुरुषों का ही वर्चस्व था,उन क्षेत्रों में भी हमारे राष्ट्र की बेटियों ने अपनी पहचान बनाई है।हम बात कर रहे हैं फायटरप्लेन की, जिसे पहली बार महिला पायलट के रुप में रीवा(म0प्र0) की अवनी चतुर्वेदी,बगुसराय की ने उ़ड़ाया। धुर नक्सल क्षेत्र कहे जाने वाले गीदम दंतेवाड़ा (छ0ग0) की रेलवे लोको पायलट श्रीमती प्रतिभा एस बंसोड़ ने सफलतापूर्वक अपने कार्य को अंजाम तक पहुँचाया और एक बार फिर महिलाओं ने अपनी सफलता का परिचय दिया।ऐसे कई मिसाल हैं जिससे साबित होता है कि आज महिलाएँ किसी भी स्तर पर पुरुषों से कम नहीं हैं।

दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में नारी सम्मान का पर्व विश्व महिला दिवस नारी सशक्तिकरण के रुप में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन श्री सुखेंदु सिंह राय एवं श्री देबाशीष परिदा ने किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रमुख रुप से आमंत्रित अतिथियों-श्री निशांत कुमार (डीएफओ कटघोरा), डॉ0शशि सिंधु (प्रेसीडेंट, एसीबी महिला समिति), सम्भवी सिंह, सीनियर साफ्टवेयर इंजीनियर, मिसेस कैथलीन(मजिस्ट्रेट दर्री), श्रीमती ज्योति नरवाल, श्रीमती अमृता गुप्ता, श्रीमती वंदना चौधरी, श्रीमती सुनिता साहू, श्रीमती रेखा सहारन, श्रीमती संगीता वर्मा, श्रीमती चंद्रा विशेष रुप से उपस्थित थे।

कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रमुख रुप से आमंत्रित अतिथियों ने विद्यालय के प्राचार्य डॉ संजय गुप्ता, शैक्षणिक प्रभारी श्री सब्यसाची सरकार एवं श्रीमती सोमा सरकार के साथ दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की । विश्व महिला दिवस के इस पावनअवसर पर विद्यालय में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम अपने-अपने क्षेत्र में सफल महिला अतिथियों को विद्यालय की शिक्षिका श्रीमती स्वाति सिंह के द्वारा तिलक लगाकर एव ंपुष्प्गुच्छ देकर स्वागत किया गया । कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती के तैल्य चित्र परमाल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन से हुई।कार्यक्रम में उपस्थित अतिथयों के प्रति सम्मान एवं स्नेह प्रकट करते हुए आई0पी0एस0-दीपका की शिक्षिकाओं ने कर्णप्रिय स्वागत गीत की प्रस्तुति दी। तत्पश्चात विद्यालय के नृत्य प्रशिक्षक श्री हरिशंकर सारथी एवं रुमकी हलधर के दिशा निर्देशन में तैयार नृत्य का आगंतुक महिलाओं ने आकर्षक प्रस्तुति दी, जो कि नारी सशक्तिकरण थीम पर आधारित थी।विद्यालय में आगंतुक अभिभावक श्रीमती अमृता गुप्ता ने भी विश्व भर में नारी की महिमा को मंडित करती नयनाभिराम नृत्य की प्रस्तुति दी । विद्यालय की महनीय अतिथि श्रीमती ज्योति नरवाल ने भी नारी की शक्ति एवं क्षमताओं को प्रदर्शित करती नारी सशक्तिकरण एवं नारी के त्याग पर आधारित कर्णप्रिय कविता की प्रस्तुति दी। इस कविता ने भी खूब तालियां बटोरी।

विद्यालय की शिक्षिका श्रीमती मधु पात्रा ने महिलाओं के त्याग, बलिदान, शौर्य एवं पराक्रम को प्रदर्शित करती कविता का वाचन किया इस कविता की भी उपस्थित अभिभावकों ने भूरी – भूरी प्रशंसा की। आगंतुक महिलाओं के लिए विद्यालय में रोचक खेलों का भी आयोजन किया गया।इन खेलों में बलून ब्लास्टिंग गेम का सभी ने भरपूर आनंद लिया। आगंतुक मात्र शक्तियों हेतु फैशन शो का भी आयोजन किया गया। इसमें भी महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान दिलाते हुए अपनी स्थिति का लोहा मनवाने वाले अंदाज में अपने आत्मविश्वास का प्रदर्शन किया।
नारी सशक्तिकरण को व्यक्त करती आकर्षक नृत्य का प्रदर्शन इंडस पब्लिक स्कूल विद्यालय की शिक्षिकाओं ने किया जो काबिले तारीफ रही। इसके अलावा टॅग ऑफ वार गेम में विद्यालय की महिला शिक्षिकाएँ विजयी रहीं ।
कार्यक्रम में विशेष रुप से आमंत्रित महिलाओं को उनके समाज को दिए अनेक सामाजिक कार्य से संबंधित योगदान हेतु प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रमाण-पत्र और मेडल देकर सम्मानित किया गया। गौरतलब है कि ये वे महिलाएँ जिन्होंने अद्वितीय साहसिक व सामाजिक कार्य कर नारी सशक्तिकरण की दिशा में अतुलनीय योगदान दिया है।

श्री निशांत कुमार (डीएफओ कटघोरा) ने कहा कि आज महिलाएँ प्रत्येक क्षेत्र में अव्वल हैं।आज वे पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं।आज उन्हें हम किसी भी स्तर में कम नहीं आंक सकते। आज वे प्रत्येक क्षेत्र में अपनी सफलता का परचम लहरा रही हैं।

कार्यक्रम में उपस्थित अभिभावक श्रीमती ज्योति नरवाल ने कहा कि आज नैतिक शिक्षा अति अनिवार्य है।आज महिलाओं को शिक्षित होने के साथ-साथ ही साथ स्वावलंबी होना अतिअनिवार्य है।समाज बदलेगा तो परिवार बदलेगा; परिवार बदलेगा तो अच्छे राष्ट्र का निर्माण होगा।

श्रीमती अमृता गुप्ता ने कहा कि आज का दिन विश्व भर में महिलाओं को सम्मान देने का दिन है। हम आज के ही दिन क्यों महिलाओं के प्रति हमारे हृदय में हमेशा सम्मान रहना चाहिए।कहा भी जाता हे-यत्र नारयस्तु पुज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता।अतः हमें सदा नारियों का सम्मान करना चाहिए।आज हमें महिलाओं के नाम पर ही सम्मान नहीं अपितु उनके कार्यों एवं उपलब्धियों को देखकर सम्मान करना चाहिए।

श्रीमती नीलोफर सिंह, मोटिवेशनल स्पीकर ने कहा कि आज का दिन विश्व भर में महिलाओं को सम्मान देने का दिन है। हम आज के ही दिन क्यों महिलाओं के प्रति हमारे हृदय में हमेशा सम्मान रहना चाहिए।कहा भी जाता हे-यत्र नारयस्तु पुज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता।अतः हमें सदा नारियों का सम्मान करना चाहिए।आज हमें महिलाओं के नाम पर ही सम्मान नहीं अपितु उनके कार्यों एवं उपलब्धियों को देखकर सम्मान करना चाहिए।

श्रीमती जानकी कैथल (मजिस्ट्रेट दर्री) ने कहा कि आज नैतिक शिक्षा अति अनिवार्य है। आज महिलाओं को शिक्षित होने के साथ-साथ ही साथ स्वावलंबी होना अतिअनिवार्य है। समाज बदलेगा तो परिवार बदलेगा;परिवार बदलेगा तो अच्छे राष्ट्र का निर्माण होगा।

सम्भवी सिंह, सीनियर साफ्टवेयर इंजीनियर कहा कि आज से ही नहीं सनातन काल से ही महिलाओं का अपना विशेष स्थान रहा है।वे सदा से ही पूजनीय रही हैं।उनका सम्मान जमीनी स्तर पर भी सदा होना चाहिए।आज स्थिति बदल गई है,आज महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के प्रति सरकार भी कटिबद्ध है।

कार्यक्रम को सफल बनाने में विद्यालय के शिक्षक-शिक्षकाओं का विशेष सहयोग रहा एवं प्राचार्य महोदय डॉ0संजय गुप्ता ने आमंत्रित अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

विद्यालय के प्राचार्य डॉ0संजय गुप्ता ने कहा कि आज कोई भी क्षेत्र महिलाओं की उपस्थिति से अछूता नहीं है,वे प्रत्येक क्षेत्र में अपनी सफलता का परचम लहरा रहीं हैं।भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्तव दिया गया हैं।बच्चों में संस्कार भरने का काम माँ के रुप में नारियों के द्वारा ही किया जाता है।नारी प्रकृति की अनुपम देन है; नारी धरती से भी ज्यादा सहनशील है।उसके अंदर हर प्रकार की योग्यताएँ एवं कुशलताएँ भरी हुई हैं।आज के वैश्विकरण वाले प्रतिस्पर्धी दौर में महिलाएं सिर्फ घर ही नहीं संभालतीं बल्कि देश, दुनिया की तरक्की में भी अपना योगदान दे रही हैं। घर से लेकर विभिन्न क्षेत्रों चाहे वह आईटी सेक्टर हो या बैंकिंग या अन्य, सभी में अपनी प्रतिभा और कार्य कौशल का लोहा मनवा रही हैं। महिलाओं के इसी हौसले और जज्बे को सराहने और सम्मान देने के लिए दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को मनाने का मंतव्य यही था कि महिलाओं को उनकी क्षमता प्रदान की जाए तथा महिला सशक्तीकरण किया जाए। मानसिकता कहें या जड़ता, कहीं न कहीं पुरुष महिलाओ को अपने से नीचा समझता आया है इस मानसिकता में परिवर्तन करना बहुत जरुरी था और यह केवल महिलाओं को बेहतर अवसर प्रदान करके ही किया जा सकता था। जब महिलाओं को अवसर प्रदान किए गए तथा महिला सशक्तीकरण किया गया तो महिलाओं ने अपने आप को बेहतर रूप से साबित किया। यह महिलाओं की योग्यता और क्षमताओं का परिणाम है जो आज महिलाएं बेहतर स्थिति में हैं। मगर अभी भी महिलाओं के लिए काफी काम किया जाना बाकी है, बहुत से परिवर्तनों के बावजूद आज भी महिलाओं को संघर्ष करना पड़ता है। उन्हें शिक्षा, सम्मान और समानता के लिए अभी भी बहुत संघर्ष करना पड़ता है।

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