आई.पी.एस. दीपका में प्रायमरी कक्षा के वार्षिक क्रीड़ोत्सव का हुआ रंगारंग आयोजन
जीवन के मैदान में खेल है आगे बढ़ने का मूलमंत्र-डॉ संजय गुप्ता
छात्र के सर्वांगीण विकास हेतु खेलों का उसके जीवन में होना आवश्यक है । खेल बिना बालपन अधूरा सा लगता है । खेल जहाँ एक ओर शारीरिक तंदुरूस्ती प्रदान करता है वहीं प्रतिस्पर्धा एवं सामुहिक रूप से कार्य करने के लिए प्रेरित भी करता है । विद्यालयों में पढ़ाई के साथ-साथ विशेष रूप से खेल के लिए समय दिया जाता है ताकि छात्रों का शारीरिक एवं मानसिक विकास सतत् रूप से होता रहे । इसलिए विद्यालय में प्रतिदिन के खेल गतिविधियों के अलावा वर्ष में एक बार वार्षिक खेल उत्सव का आयोजन किया जाता है ।
दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में एक दिवसीय वार्षिक खेल दिवस का आयोजन किया जिसमें प्रायमरी कक्षा के अनेक खेलों में बच्चों और उनके साथ अभिभावकों ने भारी उत्साह के साथ भाग लिया । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता के साथ विद्यार्थियों के अभिभावकों की गरिमामयी उपस्थिति में विद्यालय ध्वजारोहण के पश्चात परेड की सलामी और रंगारंग कार्यक्रम के साथ खेल दिवस की शुरूआत की गई और खेल दिवस के मशाल को विद्यार्थियों एवं खेल प्रशिक्षक के द्वारा प्रज्वलित कर एनुअल स्पोर्ट्स मीट 2024 के प्रारंभ की घोषणा की ।
स्कुल मैदान में अनेक प्रतियोगिता आयोजित हुई जिसमें 3 री से 5वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों हेतु 100 मीटर 200 मीटर एवं 400 मीटर रेस ,एवं रिले रेस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। सभी प्रतियोगिताओं में विद्यार्थियों ने अपना दमखम दिखाया एवं विजेताओं को पदक से सम्मानित किया गया। प्रतियोगिता के आयोजन में विद्यालय के क्रीड़ा प्रशिक्षक श्री रति सर एवं अविनाश सर सहित , शैक्षणिक प्रभारी श्रीमती सोमा सरकार तथा सभी शिक्षिकाओं का भरपूर योगदान रहा। कीड़ांगन में उपस्थित अभिभावकों ने तालियां बजाकर खिलाड़ियों का उत्साह वर्धन किया। प्रतियोगिता के साथ अभिभावकों के लिए विशेष प्रतियोगिता का आयोजन किया इस आयोजन में अभिभावकों के लिए विशेष प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । महिलाओं के लिए टग ऑफ वार का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता का भी सभी ने खूब आनंद लिया।सभी विजेताओं को स्वर्ण,रजत एवं कांस्य पदक से अभिभावकों सहित विद्यालय के प्राचार्य महोदय ने सम्मानित किया।
श्री अविनाश महंत (खेल प्रशिक्षक )ने कहा कि वस्तुतः खेल मनोरंजन और शक्ति के सम्पूरक हैं। खेलों से खिलाड़ियों का शरीर स्वस्थ तथा मजबूत बनता है, उनके शरीर में चुस्ती, स्फूर्ति और शक्ति आती है। खेलने से शारीरिक एवं बौद्धिक विकास होता है। खेलों में भाग लेने से मानसिक तनाव कम हो जाता है, शरीर के पूर्ण स्वस्थ होने से उसमें रोग–निरोधक क्षमता आ जाती है।
श्री रति सर( खेल प्रशिक्षक ) ने कहा कि स्वस्थ शरीर में जीवन का आनन्द निहित माना गया है। शरीर यदि रोगों का घर है, तो वह आनन्द का भी भण्डार है। इसके लिए यह जरूरी है कि तन के साथ मन भी स्वस्थ रहे। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम, योगासन तथा खेलकूद आदि का विशेष महत्त्व है। इनमें भी खेलों का अनेक कारणों से महत्वपूर्ण स्थान है।विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में खेलकूद की सुविधाएँ इसीलिए उपलब्ध कराई जाती हैं, ताकि युवकों के व्यक्तित्व का निर्माण हो सके। स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन में स्वस्थ आत्मा निवास करती है। खेलों में भाग लेने से जहाँ शारीरिक क्षमता की वृद्धि होती है, वहाँ व्यक्ति के चरित्र का भी विकास होता है । वह अन्याय, शोषण, उत्पीड़न एवं अनाचार का साहस और दृढ़ता से मुकाबला कर सकता है। महापुरुषों के जीवन पर दृष्टि डालें, तो श्रीराम, श्रीकृष्ण, अर्जुन, महाराणा प्रताप, शिवाजी, स्वामी विवेकानन्द आदि सब शक्तिशाली थे। वे किसी–न–किसी प्रकार की शारीरिक विद्या एवं कौशल में प्रवीण थे। इसी कारण वे यशस्वी बने। अस्वस्थ व्यक्ति तो स्वयं के लिए बोझ होता है। अतएव व्यक्तित्व के निर्माण के लिए खेलों का विशेष महत्व है।
श्रीमती सोमा सरकार (शैक्षणिक प्रभारी) ने कहा कि खेलों में भाग लेने से ऐसी भावना का विकास होता है, जिससे आदमी सुख और दुःख में एकसमान रहता है। खेल–भावना के कारण हार और जीत को सहजता से लिया जाता है तथा परस्पर मैत्री भावना का विकास होता है। खेलों से ओजस्वी एवं उदात्त स्वभाव के साथ सहजता का गुण आ जाता है। प्रतिस्पर्धा बढ़ने से लक्ष्य प्राप्त करने की भावना इससे बढ़ती है।
डॉक्टर संजय गुप्ता (प्राचार्य इंडस पब्लिक स्कूल दीपका) ने कहा कि खेलों से विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास तो होता ही है साथ ही साथ वे अध्ययन के साथ सामंजस्य बनाकर सतत् अपने मुकाम की ओर अग्रसर होते हैं । खेल विद्यार्थी जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । जिस प्रकार नाम, प्रसिध्दि और पैसा प्राप्त करने के लिए शिक्षा बहुत आवश्यक है । उसी प्रकार स्वस्थ्य शरीर और मस्तिष्क प्राप्त करने के लिए खेल आवश्यक है ।
खेल गतिविधियों में शामिल होना प्रत्येक विद्यार्थियों के लिए बहुत आवश्यक है । यह न केवल शारीरिक ताकत प्रदान करता है बल्कि, यह मानसिक शक्ति को बढ़ाता है । किसी भी व्यक्ति की सफलता मानसिक और शारीरिक ऊर्जा पर निर्भर करती है और खेल इसका सशक्त माध्यम है ।जीवन में खेलों का विशेष महत्त्व है। मानसिक एवं शारीरिक विकास सन्तुलित होता रहे, इसी बात को ध्यान में रखकर विद्यार्थियों को खेलकूद एवं व्यायाम आदि का शिक्षण–प्रशिक्षण दिया जाता है। व्यक्तिगत जीवन से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक खेलों से जो लाभ मिलता है, उससे खेलों का महत्त्व स्वतः ज्ञात हो जाता है। खेल बहुत तरीकों से हमारे जीवन को उन्नत करने का कार्य करता है। यह हमें अनुशासन और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की सीख देता है। यह हमें शारीरिक और मानसिक दोनों तरीके से स्वस्थ रहने में मदद करता है। नियमित रूप से खेल खेलना हमारे मानसिक कौशल के विकास में काफी सहायक सिद्ध होते हैं। खेल कई प्रकार के नियमों द्वारा संचालित होने वाली एक प्रतियोगी गतिविधि है। यहां मैं नेतृत्व और अनुशासन की शिक्षा देता है।