हसदेव की तरह कुसमुंडा क्षेत्र में सैकड़ों विशालकाय पेड़ो की अंधाधुंध कटाई, ग्रामीणों ने जताया विरोध
सतपाल सिंह के साथ ओम गवेल की खबर....
कोरबा – जिले के कुसमुंडा क्षेत्र में वर्षों पुराने विशालकाय वृक्षों को बड़ी आसानी से और मनमर्जी तरीके से काटा जा रहा है,और ये मनमर्जी कोई और नहीं कुसमुंडा प्रबंधन कर रही है। बीते माह जहां ग्राम खमरिया में बसावट देने के नाम पर हरे भरे बांस बाड़ी पर डोजर चला दिया गया वहीं अब वैशाली नगर माता कर्मा महाविद्यालय से लगें खेतों में नील गिरी के विशाल सैकड़ों पेड़ो को धरासायी करने का काम एस ई सी एल कुसमुंडा प्रबंधन द्वारा किया जा रहा है, ताजूब की बात है की ये पूरा काम बड़े ही गुपचुप तरीके से किया जा रहा है,पेड़ काटने वाले हाथ ठेकदार के हैं जिसे अपनी पेड़ काटने का ठेका भी नही मिला हैं,वहीं पेड़ काटने के दौरान कुसमुंडा प्रबंधन के कोई अधिकारी भी सामने नहीं खड़े हैं। रविवार की दोपहर खमरिया ग्राम के ग्रामीणों की नजर कटे हुए पेड़ों पर पड़ी,वे दौड़ते भागते मौके पर पंहुचे,देखा तो सैकड़ों विशालकाय नीलगिरी के पेड़ जमीदोज हो चुके थे,कई पेड़ काटे जा रहे थे।ग्रामीणों को देख पेड़ काटने वाले हाथ थम गए, ग्रामीणों ने पेड़ काटने वालों से पूछा की किसके कहने पर वे पेड़ काट रहें है तो उन्होंने बताया की गेवरा के एक ठेकेदार ने उन्हें पेड़ काटने के लिए कहा है,ग्रामीणों ने काम रुकवा कर ठेकेदार को बुलाने के लिए कहा,जिसपर थोड़ी देर बाद ठेकेदार मौके पर पहुंचा। ग्रामीणों के पूछने पर ठेकेदार बताता हैं की वह कुसमुंडा प्रबंधन के सिविल विभाग थे अधिकारियों के कहने पर पेड़ों की कटाई कर रहा है,वहीं ग्रामीणों द्वारा पेड़ काटने के अनुमति कागज दिखाने कहा तो ठेकेदार बगले झांकने लगा। फिलहाल पेड़ो की कटाई ग्रामीणों द्वारा रुकवा दी गई है।आपको बता दें कुसमुंडा प्रबंधन द्वारा ग्राम खमरिया से लगे जमीनों को खाली करवाने तरह तरह के प्रपंच किए जाते रहे हैं,बावजूद उसके प्रबंधन की गलत नीतियों की वजह से कोई स्थाई सफलता नहीं मिल पाई है। बीते कुछ दिन पूर्व भी खमरिया ग्राम के बांस बाड़ी पर डोजर चला दिया गया,जिसका ग्रामीणों ने विरोध किया, खबरें भी प्रकाशित हुई,कुछ दिन काम बंद करने के बाद प्रबंधन द्वारा धीरे धीरे पूरी बांस बाड़ी को उजाड़ दिया गया। अब प्रबंधन की नजर नीलगिरी के पौधों पर है। प्रबंधन ग्राम खमरिया की खाली जमीनों को अपनी अधिग्रहित जमीन बताती है पर कोई भी दस्तावेज दिखा नही पाती जिस वजह से ग्रामीणों और प्रबंधन के मध्य तनातनी का माहोल निर्मित है। वहीं ग्राम खमरिया के आसपास काटे जा रहे हरे भरे पेड़ों पर वन विभाग की चुप्पी भी समझ से परे हैं।