KORBA BREAKING : पूर्व सहायक आयुक्त माया वारियर और SDO इंजिनियर समेत 4 फर्म पर भ्रष्टाचार के आरोप में FIR दर्ज

कोरबा : कोरबा की तत्कालीन सहायक आयुक्त रही माया वारियर सहित SDO इंजिनियर सहित 4 फर्म के खिलाफ FIR दर्ज हो गया है, पूरा मामला छात्रावास मरम्मत के नाम पर केंद्र सरकार से मिले करोड़ों रूपये के फंड में भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है। कई वर्ष बीत जाने के बाद अंततः मामले में कलेक्टर अजीत वसंत के निर्देश पर आदिवासी विकास कोरबा में पदस्थ रही तत्कालीन सहायक आयुक्त माया वारियर, एसडीओं अजीत तिग्गा, PWD के सब इंजीनियर के खिलाफ जांच उपरांत कार्रवाई के लिए विभाग ने पत्र प्रेषित कर दिया है। इसके साथ ही केवल कागजो में कार्य दर्शाते हुए मोटी रकम डकारने वाले कई ठेका कम्पनिया जांच के रडार में है प्रारंभिक जांच में सामने आया जिम्मेदार अधिकारियों ने करोड़ों रूपये के भ्रष्टाचार को अंजाम देने में कोई कसर नहीं छोड़े और भारत सरकार के अनुच्छेद 275 (1) परियोजना केंद्रीय मदअंतर्गत प्राप्त राशि के करोडो रुपए का भ्रष्टाचार को अंजाम दिए इस मामले में पूर्व सहायक आयुक्त माया वारियर सहित SDO इंजिनियर सहित 4 फर्म के खिलाफ FIR दर्ज कराया गया है लेकिन करोडो रूपये के भ्र्ष्टाचार में और कई लोगो की संलिप्तता के कयास लगाए जा रहे है।
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इस मामले की लिखित शिकायत RTI कार्यकर्त्ता व् पत्रकार जीतेन्द्र साहू के द्वारा पूर्व में प्राथमिक से उच्चस्तर तक किया गया था जिसके बाद यह मामला और प्रकाश में आया काफी लम्बे समय के बाद अब जांच की उम्मीदे तेज होने के कयास लगाए जा रहे है । करोड़ों रूपये के भ्रष्टाचार और फिर इस भ्रष्टाचार की जांच कितनी धीमी गति से की जाती है इसका बेहतर उदाहरण कोरबा जिला में स्पष्ट देखा जा सकता है। पूर्व की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान कोरबा जिला में जमकर भ्रष्टाचार का खेल खेला गया जिसमे कोयला लेवि और DMF में भ्रस्टाचार प्रमुख था, वर्ष 2023 में आदिवासी विकास विभाग को केंद्र सरकार से संविधान के अनुच्छेद 275(1) के तहत वर्ष 2021-22 में 6 करोड़ रूपये का आबंटन किया गया था। उस वक्त तत्कालीन सहायक आयुक्त माया वारियर ने केंद्र सरकार से मिले इस फंड में छात्रावास-आश्रमों में मरम्मत और नवीनीकरण कार्यो के लिए करीब 4 करोड़ रूपये का आबंटन किया गया। लेकिन धरातल पर कुछ कार्यो की केवल औपचारिकता निभाते हुए केवल कागजो में इस कार्य को करते हुए करोडो रुपए के भ्रष्टाचार को अंजाम दे दिया गया।
करोडो रूपये के भ्रष्टाचार में 4 चहेते फर्मो को ना केवल कार्य आबंटित किया गया, बल्कि इन फर्मो को बगैर काम कराये ही करोड़ों रूपये का भुगतान कर दिया गया। छात्रावास मरम्मत के नाम पर हुए करोड़ों रूपये के भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद तत्कालीन कलेक्टर संजीव झा ने टीम गठित कर जांच के आदेश दिये थे। लेकिन आज तीन वर्ष बीत जाने के बाद अब कार्यवाही की गति तेज होने की उम्मीद है।
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करोड़ों के कार्यो से सम्बंधित सारे दस्तावेज कार्यायल से करा दिये गायब आपको बता दे तत्कालीन सहायक आयुक्त माया वारियर का भ्रष्टाचार से पुराना नाता है DMF घोटाले में पूर्व कलेक्टर रानू साहू के साथ जेल की हवा खा चुकी है ,उनके कार्यकाल में हुए करोडो के भ्रष्टाचार की जांच में कई चौकाने वाली जानकारी सामने आ रहे है जिसमे केंद्र सरकार से मिले फंड से कराये गये सारे सिविल कार्यो से संबंधित फाइल, कैश बुक सहित निविदा से संबंधित सारे दस्तावेजों को आफिस से गायब कर दिया गया है । इस पूरे मामले पर कलेक्टर अजीत वसंत ने जांच के आदेश दिये आदेशानुसार जांच टीम ने छात्रावासों का भौतिक सत्यापन किया गया, जिसके बाद खुलासा हुआ कि संबंधित अधिकारियों ने ठेका कंपनियों द्वारा आधे-अधूरे कार्य के बाद भी फर्जी तरीके से कागजों में पूर्ण बताकर लाखों रूपये का भुगतान कर करोडो के भ्रष्टाचार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसी तरह इस भ्रष्टाचार में संलिप्तता रखने वाले कई और नाम सामने आने की संभावनाए बढ़ गई है।
जांच में 80 लाख रूपये का मिला बोगस पेमेंट,48 लाख के 4 कार्य आज भी नहीं हो सके शुरू
कलेक्टर अजीत वसंत के निर्देश पर हुए जांच में पाया गया कि छात्रावास मरम्मत और नवीनीकरण के नाम पर ठेका कंपनियों को जमकर फायदा पहुंचाया गया है। करीब 3 करोड़ 83 लाख 28 हजार रूपये के 34 निविदा कार्यो को आबंटन सिर्फ 4 ठेका कंपनियों को दिया गया। इनमें मेसर्स श्री साई ट्रेडर्स को 73.28 लाख रूपये के 9 कार्य, मेसर्स श्री साई कृपा बिल्डर्स को एक करोड़ 14 लाख रूपये के 9 कार्य, मेसर्स एस.एस.ए.कंस्ट्रक्शन को 49 लाख रूपये के 6 कार्य और मेसर्स बालाजी इंफ्रास्ट्रक्टर कटघोरा को 1 करोड़ 47 लाख रूपये के 10 कार्य आबंटित किये गये। लेकिन जांच में इन सारे 34 निविदा और भुगतान से संबंधित एक भी दस्तावेज कार्यालय में नही मिल सके। वहीं भौतिक सत्यापन में करीब 80 लाख रूपये के ऐसे कार्य मिले, जिनका कार्य कराये बगैर ही कागज में कार्य पूर्ण बताकर ठेका कंपनियों को बोगस पेमेंट कर दिया गया।
पूर्व सहा.आयुक्त, SDO और सब-इंजीनियर के खिलाफ कार्रवाई के लिए सचिव को लिखा पत्र
कोरबा में आदिवासी विकास विभाग में हुए इस भ्रष्टाचार के मामले में करीब 2 साल से चल रहे जांच में अब विभाग ने एफआईआर कराया है। विभाग से जारी पत्र में बताया गया है कि मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत की अध्यक्षता में इस भ्रष्टाचार की जांच की गयी। जांच में पाया गया कि अनुच्छेद 275 (1) के तहत मिली राशि से कराये गये कार्यो से संबंधित निविदा अभिलेख, कार्य ओदश, प्राक्कलन, तकनीकि स्वीकृति, माप पुस्तिका, देयक व्हाउचर से संबंधित मूल नस्ती एवं अभिलेख कार्यालय में उपलब्ध नही मिलें। वहीं जांच में 48 लाख के 4 कार्य आज तक अप्रारंभ मिले, जबकि 80 लाख रूपये के फर्जी भुगतान बगैर कार्य कराये फर्मो को किये गये। इन सारे खुलासे के बाद आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त श्रीकांत कसेर ने कलेक्टर अजीत वसंत के निर्देश पर तत्कालीन सहा.आयुक्त माया वारियर, विभाग के तत्कालीन एसडीओं अजीत कुमार तिग्गा, तत्कालीन उप अभियंता राकेश वर्मा के खिलाफ कार्रवाई के लिए सचिव को पत्र लिखा गया है। सचिव से आदेश के बाद जवाबदार अधिकारियों के खिलाफ जहां वैधानिक कार्रवाई का एक्शन लिया जायेगा। वहीं कलेक्टर के आदेश पर 4 फर्मो और आदिवासी विकास विभाग के डाटा एंट्री आपरेटर कुश कुमार देवांगन के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज किया गया है।