
नई दिल्ली: डूम्सडे फिश यानी कयामत या प्रलय मछली को पिछले दिनों तमिलनाडु के एक तट में देखा गया है. जब से यह मछली नजर आई है तब से ही यहां पर लोगों में डर का माहौल है. बताया जा रहा है कि मई महीने के अंत में यह मछली, जाल में पकड़ी गई थी. इस मछली को असल में ओरफिश भी कहा जाता है. एक लंबी और बिल्कुल किसी रिबन के जैसी नजर आने वाली यह मछली 30 फीट लंबी थी. कहते हैं कि जब-जब यह मछली नजर आती है, तब-तब दुनिया में कुछ अशगुन होता है. इसे इस साल दुनिया के कई हिस्सों में देखा गया है.
30 फीट लंबी होती है मछली
ओरफिश या डूम्सडे फिश को रेगलेकस ग्लेस्ने के नाम से भी जाना जाता है. गहरे समंदर में रहने वाली यह मछली 30 फीट तक लंबी हो सकती है. इसे समुद्र में सबसे बड़ी बोनी मछलियों में से एक माना जाता है. यह आमतौर पर 200 से 1,000 मीटर की गहराई में रहता है और इस वजह से, ओरफिश का दिखना बेहद दुर्लभ है. इसकी बॉडी एकदम चांदी सी नजर आती है और इसका धड़ एकदम लाल सा नजर आता है. इस वजह से कुछ लोग इसे पुराणों से भी जोड़ते हैं.
जापान में लोग मानते है मनहूस
जापान में लोग मानते हैं कि अगर यह मछली नजर आती है तो देश में भूकंप या सुनामी आती है. बताया जाता है कि साल 2011 में यह मछली नजर आई थी और उसके बाद भयानक सुनामी आई थी जिसमें कई हजार लोगों की मौत हो गई थी. कई दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में भी ओरफिश के दिखने को लंबे समय से प्राकृतिक आपदाओं की कहानियों से जोड़ा जाता रहा है. कुछ देशों में तो यह भी माना जाता है कि इस मछली के अचानक दिखने को ऐतिहासिक तौर पर एक चेतावनी जैसा देखा जाता है कि पृथ्वी जल्द ही हिल सकती है.
क्या सोचते हैं वैज्ञानिक
तमिलनाडु में देखे जाने के बाद से स्थानीय मछुआरें तो परेशान है हीं और साथ ही साथ ऑनलाइन भी चिंता बढ़ गई है. जबकि वैज्ञानिक इन बातों से कोई सरोकार नहीं रखते हैं. उनका कहना है कि ओरफिश एक गहरी रहने वाली मछली है. यह तभी बाहर आती है कि जब चोट लगती है या फिर मुद्री धाराओं का विचलन तेजी से होती है. प्रशांत क्षेत्र में साल 2019 में हुए एक सर्वे के अलावा कई वैज्ञानिक अध्ययनों में भी कोई बात साबित नहीं हो पाई है.