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Bharat Bandh : आज भारत बंद का ऐलान, स्कूल-कॉलेज से लेकर बाजार तक, जानिए क्या खुला-क्या बंद

नई दिल्ली: दलित और आदिवासी संगठनों ने हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सुरक्षा की मांग को लेकर आज ‘भारत बंद’ का आह्वान किया गया है। ‘नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन्स’ (एनएसीडीएओआर) ने मांगों की एक सूची जारी की है जिसमें अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए न्याय और समानता की मांग शामिल हैं। भारत बंद के ऐलान के बीच आम लोग ये जानना चाहते हैं कि आज देश भर में क्या-क्या बंद रहेगा? आइए बताते हैं आज क्या खुला रहेगा और क्या बंद?




क्या-क्या खुला रहेगा?

दलित संगठनों ने आम लोगों के लिए एडवाइजरी जारी करके अपील की है कि मेडिकल सेवाओं, पुलिस और फायर सेवाओं को छोड़कर सुबह 6 बजे से रात के 8 बजे तक सब कुछ बंद रखा जाए। हालांकि सरकारी दफ्तर, बैंक, पेट्रोल पंप , स्कूल और कॉलेज में सामान्य रूप से काम-काज होगा। अभी तक इन्हें बंद रखने को लेकर कोई भी आदेश सामने नहीं आया है। वहींबंद के आह्वान के बावजूद सार्वजनिक परिवहन, रेल सेवाएं चालू रहेंगी।

भारत बंद के दौरान क्‍या बंद रहेगा?

एससी-एसटी कोटे को लेकर भारत बंद के ऐलान पर अभी तक किसी राज्य सरकार ने कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं। पश्चिमी यूपी और राजस्थान जैसे राज्यों में इसका असर जरूर देखने को मिल सकता है। ऐसे में पुलिस प्रशासन को अलर्ट पर रखा गया है। हालांकि आम लोगों से भी अपील की गई है कि वे अपने घरों से बाहर न निकलें। भारत बंद का आह्वान करने वाले संगठनों ने कहा है कि देश में कोई भी सार्वजनिक परिवहन नहीं चलेगा, लेकिन इसे लेकर कोई आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है। कुछ जगहों पर सार्वजनिक परिवहन सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। इसके अलावा कुछ जगहों पर निजी दफ्तर बंद किए जा सकते हैं।

Bharat Bandh : आज भारत बंद का ऐलान, स्कूल-कॉलेज से लेकर बाजार तक, जानिए क्या खुला-क्या बंद

क्यों किया जा रहा भारत बंद?

एससी-एसटी संगठनों ने हाल में सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की पीठ द्वारा सुनाए गए फैसले के प्रति विपरीत दृष्टिकोण अपनाया है, जो उनके अनुसार, ऐतिहासिक इंदिरा साहनी मामले में नौ जजों की पीठ द्वारा लिए गए फैसले को कमजोर करता है, जिसने भारत में आरक्षण की रूपरेखा स्थापित की थी। एनएसीडीएओआर ने सरकार से अनुरोध किया है कि इस फैसले को खारिज किया जाए क्योंकि यह अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के संवैधानिक अधिकारों के लिए खतरा है। संगठन एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण पर संसद द्वारा एक नये कानून को पारित करने की भी मांग कर रहा है जिसे संविधान की नौवीं सूची में समावेश के साथ संरक्षित किया जाए।

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