अलग-अलग रंगों के आई कार्ड से मंत्रालय में पहचानेंगे अधिकारी-कर्मचारी, सरकार ने जारी किया नया आदेश

रायपुर : नवा रायपुर स्थित मंत्रालय जहाँ फाइलें नाचती हैं, और कुर्सियाँ सलामी देती हैं. अब रंग-बिरंगे फीतों के तमाशे का नया रंगमंच बन गया है. सामान्य प्रशासन विभाग ने एक ऐसा फरमान जारी किया है जिससे मंत्रालय की गलियारों में होली का माहौल बन गया. परिचय पत्र अब RFID, QR कोड, और होलोग्राम के ताम-झाम से सजे होंगे, लेकिन असल चीज फीतों का रंग है, जो अधिकारियों-कर्मचारियों का रुतबा तय करेगा.
तो चलिए इस रंगीन सर्कस में एक चक्कर लगाते हैं, जहाँ फीते का रंग ही अधिकारियों-कर्मचारियों की पहचान और किस्मत का बयां करेगा. ख़ैर कर्मचारी संगठनों ने चेताया है हमें फीते का रंगत नहीं चाहिए. आदेश नहीं बदला गया तो सामूहिक हड़ताल का सामना करना पड़ेगा.
फीता बताएगा, कौन कितना बड़ा अफसर
मंत्रालय में अब अधिकारियों की शान उनके गले में लटके फीते से जाहिर होगी. अगर मंत्रालय के शासकीय सेवक हैं तो पीला फीता आपके सीने को चौड़ा करेगा, जैसे कोई जंगल का राजा शेर. लेकिन अगर कोई बाहरी विभाग से हैं तो नीला फीता साथी होगा. मानो कह रहा हो थोड़ा और इंतज़ार करो… पीला होने की बारी आएगी और हाय रे किस्मत, अगर गैर-शासकीय शख्स है तो सफेद फीता गले में लटका मिलेगा, जैसे कोई आउटसाइडर का तमगा…
सोचिए, मंत्रालय की कैंटीन में चाय की चुस्कियों के बीच लोग एक-दूसरे के फीतों को ताड़ रहे हैं. अरे, पीला फीता बड़ा अफसर है या “सफेद भाई, तू तो बस चाय पकड़, बिरयानी पीले वालों की है. फीते का ये रंग-रूप मंत्रालय को किसी फैशन परेड में बदल देगा. जहाँ हर कोई अपने फीते की शान में इठलाता फिरेगा.
फरमान की रंगीन हवा
सामान्य प्रशासन विभाग का ये रंगीन फरमान सिर्फ मंत्रालय तक सीमित नहीं रहा. इसकी हवा इतनी तेज थी कि राजस्व मंडल बिलासपुर, विभागाध्यक्षों, संभागीय आयुक्तों, और कलेक्टरों तक जा पहुँची. अब हर सरकारी दफ्तर में फीतों की होली मनेगी. RFID और QR कोड तो ठीक, लेकिन होलोग्राम? शायद ये सुनिश्चित करने के लिए कि कोई चायवाला नीला फीता लटकाकर मंत्रालय में घुस न जाए कौन जाने कल को कोई ठेले वाला सफेद फीता लटकाकर प्रवेश पत्र दिखाने की कोशिश कर दे.
रंगों का सियासी ड्रामा
ये रंग-बिरंगे फीते सिर्फ कपड़े के टुकड़े नहीं, ब्यूरोक्रेसी की पूरी रंगत बयाँ करते हैं. पीला फीता पाने वाले गर्व से फूले नहीं समाएँगे. नीले वाले मन ही मन सोचेंगे बस थोड़ी और चमचागिरी, फिर पीला हमारा और बेचारे सफेद फीते वाले? वो तो कैंटीन में लाइन में खड़े रहेंगे, क्योंकि उनका फीता चिल्ला-चिल्लाकर कहेगा तू तो गैर-शासकीय है भाई अपनी औकात में रह.
खास बात ये कि शासकीय सेवकों के फीते पर छत्तीसगढ़ शासन का लोगो और सामान्य प्रशासन विभाग का नाम चमकेगा, लेकिन गैर-शासकीय वाले? उनके फीते पर न लोगो, न नाम बस एक सादा सफेद फीता, जैसे कोई कह रहा हो. बाहर से आए हो. बाहर ही रहो और रिटायर्ड अफसरों का क्या? उनके फीते पर भी लोगो-नाम गायब, जैसे रिटायरमेंट के बाद उनका रुतबा भी लोगो-विहीन हो गया.
ब्यूरोक्रेसी का रंगीन रैंप
कल्पना कीजिए, एक दिन मंत्रालय में नया नियम आ जाए फीते के रंग के आधार पर लिफ्ट का इस्तेमाल पीले फीते वालों को सीधे पाँचवीं मंजिल, नीले वालों को तीसरी, और सफेद वालों को भाई सीढ़ियाँ ही तुम्हारा नसीब. कैंटीन में मेन्यू भी फीते से तय हो पीले वालों को चिकन बिरयानी, नीले वालों को दाल-चावल और सफेद वालों को? बस चाय, वो भी बिना चीनी की और अगर गलती से कोई गलत फीता पहन ले तो RFID और QR कोड चिल्लाएँगे नकली फीता पकड़ो इसे.
कागजी रंगों का तमाशा
फीते तो ठीक, लेकिन परिचय पत्र बनवाने की प्रक्रिया भी कम तमाशा नहीं. विभागाध्यक्षों को पोर्टल में जानकारी भरनी है. रसीद बनानी है. ई-ऑफिस के रास्ते सत्यापन करवाना है. फिर भारसाधक सचिव उस आवेदन को “रजिस्ट्रार शाखा भेजेंग और हाँ गलती से फॉर्म में कुछ गड़बड़ हो जाए तो नया आवेदन? सीधे कूड़ेदान में नियमित शासकीय सेवकों को 5 साल की वैधता वाला स्थायी परिचय पत्र मिलेगा, लेकिन गैर-शासकीय वालों को? बस 1 साल का अस्थायी पास जैसे कह रहा हो जल्दी काम निपटाओ और निकल लो
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रंगों में रंगी ब्यूरोक्रेसी
तो ये थी रायपुर मंत्रालय की रंग-बिरंगी दुनिया जहाँ RFID, QR, और होलोग्राम से लैस परिचय पत्र तो बनेंगे, लेकिन असली रुतबा फीते का रंग बताएगा. पीला फीता पाने की होड़ में अफसरों की नींद हराम होगी. नीले वाले पीले का सपना देखेंग और सफेद वाले? वो तो बस कैंटीन की लाइन में खड़े रहेंगे, अपने फीते को गले का हार समझकर. आखिर, ब्यूरोक्रेसी में रंग ही तो रुतबा है तो तैयार हो जाइए, मंत्रालय अब सिर्फ सत्ता का गढ़ नहीं, बल्कि फीतों का फैशन शो है
अधिकारी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष कमल वर्मा ने कहा कि हम आइडी कार्ड का विरोध नहीं कर रहे हैं. हम आई कार्ड में लगने वाले फीते का विरोध कर रहे हैं, सभी का एक जैसे रंग का फ़ीता रखने की यह माँग कर रहे हैं, सरकारी कर्मचारियों के बीच इससे भेदभाव पैदा होगा.
संचालनालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष जय कुमार साहू ने सामान्य प्रशासन विभाग ने जारी आदेश का विरोध करते हुए कहा फीते का तय रंग अधिकारियों-कर्मचारियों को बांट देगा. उनके बीच भेदभाव पैदा होगा. इससे लोगों के मन में विभिन्न तरह के विचार पैदा होगी. इसलिए इस आदेश का विरोध ज़रूरी है
मंत्रालयीन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष महेंद्र सिंह राजपूत ने कहा मंत्रालय में लगभग लिफ़्ट का बँटवारा हो चुका है, कैंटीनों में भी बँटवारे टैग लग चुका है, अब कर्मचारियों के गले में रंग-बिरंगे पट्टे लगाकर कर्मचारियों में भी भेदभाव पैदा किया जा रहा है. सोचिए दूर से अगर गले टंगे फीता देखकर उनके पद से बुलाने लग जाए जैसे अरे चपरासी, कैटेगरी वाइस आवाज़ देने लगे तो इतना बुरा लगेगा. फ़ीते का कलर सभी का एक जैसे होने चाहिए अगर नहीं किया गया तो चरणबद्ध तरीक़े से आंदोलन करेंगे.
कमल वर्मा, जय कुमार साहू, और महेंद्र सिंह राजपूत का गुस्सा जायज़ है. फीता तो ठीक, पर ये रंगों का भेदभाव? मानो मंत्रालय को कोई सियासी रंगमंच बना दिया जहाँ कर्मचारी एक-दूसरे को फीते से तौले. अरे, सफेद फीता? ज़रा हटके, पीले वालों की बिरयानी पहले या नीला? थोड़ा और चमचागिरी करो राजपूत की बात तो दिल को चुभती है कल को कोई चपरासी को फीते के रंग से पुकारने लगा, तो मन कितना खट्टा होगा? लिफ्ट और कैंटीन में पहले ही बंटवारा अब गले में रंग-बिरंगे पट्टे ये तो ब्यूरोक्रेसी में होली और दीवाली एक साथ मना दी.