सार्वभौमिक प्रेम के प्रतीक कृष्ण और उनके भक्तों के बीच एक शाश्वत बंधन – विनय मिश्रा
सार्वभौमिक प्रेम के प्रतीक कृष्ण और उनके भक्तों के बीच एक शाश्वत बंधन – विनय मिश्रा
सार्वभौमिक प्रेम के प्रतीक कृष्ण और उनके भक्तों के बीच एक शाश्वत बंधन – विनय मिश्रा
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वहां पर गोपिकाएं 56 प्रकार का भोजन रखकर नाच गाने के साथ उत्सव मना रही थीं। कृष्ण के पूछने पर उन्होंने बताया कि आज के ही दिन देवों के स्वामी इंद्र का पूजन होता है। इसे इंद्रोज यज्ञ कहते हैं। इससे प्रसन्न होकर इंद्र व्रज में वर्षा करते हैं, जिससे प्रचुर अन्न पैदा होता है। भगवान कृष्ण ने कहा कि इंद्र में क्या शक्ति है। उनसे अधिक शक्तिशाली तो हमारा गोवर्धन पर्वत है। इसके कारण ही वर्षा होती है, अत: हमें इंद्र से बलवान गोवर्धन की पूजा करनी चाहिए। बहुत विवाद के बाद श्री कृष्ण की यह बात मानी गई और व्रज में गोवर्धन पूजा की तैयारियां शुरू हो गईं। इस दौरान श्रद्धालु भक्ति के सागर में मंत्रमुग्ध दिखे। कथा के अंत में मुख्य यजमान नौमन लाल बद्रिका बाई, व्यास नारायण, सीता, सत्य नारायण चंद्रकला मनीष, प्रज्ञा, सहित श्रोताओं ने संयुक्त्त रूप से आरती में भाग लिया। कथा श्रवण करने गांव सहित दूर दूर से लोग भारी संख्या में पहुंच रहे हैं कथा का समापन 10 दिसंबर को होगा।