
श्री श्याम मित्र मंडल कोरबा की कार्यप्रणाली पर उठे गंभीर सवाल, हाईकोर्ट ने 60 दिनों में शिकायत पर निर्णय लेने सहायक पंजीयक, फर्म्स एवं सोसायटीज़, बिलासपुर को दिया निर्देश
श्री श्याम मित्र मंडल कोरबा की कार्यप्रणाली पर उठे गंभीर सवाल, हाईकोर्ट ने 60 दिनों में शिकायत पर निर्णय लेने सहायक पंजीयक, फर्म्स एवं सोसायटीज़, बिलासपुर को दिया निर्देश
कोरबा की प्रमुख धार्मिक व लोकप्रिय धार्मिक संस्था श्याम मित्र मंडल इन दिनों आंतरिक विवादों और कानूनी जाँच के घेरे में है। संस्था ‘श्री श्याम मित्र मंडल’ के वित्तीय वर्ष 2023-24 हेतु चुने गये पदाधिकारी — अध्यक्ष रोहिणी सुल्तानिया, सचिव विमल मोदी, और कोषाध्यक्ष मनोज अग्रवाल (मन्नी) पर गंभीर नियमों की अनदेखी, वित्तीय अनियमितताओं, अपारदर्शी संचालन और सदस्यता तथा चुनाव प्रक्रिया में मनमानी के आरोप लगे हैं।
**संस्था के तीन सदस्यों — सचिन कुमार सिंघल, मुकेश कुमार अग्रवाल और धीरज अग्रवाल — ने इस संबंध में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (W.P.(C) No. 5083/2024) दायर की, जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने सहायक पंजीयक, फर्म्स एवं सोसायटीज़, बिलासपुर को 60 दिनों के भीतर शिकायतों का निपटारा करने का निर्देश दिया है। यह भी स्पष्ट किया गया कि अदालत ने मामले के गुण-दोष (merits) पर कोई टिप्पणी नहीं की है। निर्णय लेते समय सभी पक्षों को उचित सुनवाई का अवसर प्रदान किया जाए।*
कोषाध्यक्ष- मनोज अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में जवाब दाखिल कर दावा किया कि:
वर्ष 2006-07 से 2023-24 तक की अवधि के दौरान पूर्व अध्यक्ष एवं सचिव द्वारा संस्था का कोई उपयुक्त रजिस्टर तैयार नहीं किया गया और न ही किसी प्रकार का वित्तीय विवरण प्रस्तुत किया गया। पूर्व अध्यक्ष एवं सचिव का यह कर्तव्य था कि वे संस्था के पंजीयन कार्यालय को उक्त अभिलेख सौंपते, किन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया। उनके द्वारा कर्तव्य के पालन में की गई उपेक्षा के कारण वर्तमान कार्यकारिणी समिति को ₹40,400/- (रूपये चालीस हजार चार सौ मात्र) का चालान भरकर संस्था का लंबित रिकॉर्ड नियमित कराना पड़ा।
पूर्व पदाधिकारियों द्वारा स्वयं के कर्तव्यों के निर्वहन में विफल रहने एवं मंदिर कोष के उपयोग में की गई अनियमितताओं के उपरांत अब इस प्रकार झूठी शिकायतों के माध्यम से न्यायालय को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है, जो न केवल अनुचित है बल्कि तानाशाही एवं प्रक्रिया के दुरुपयोग का परिचायक भी है।
वर्ष 2006-07 से 2023-24 के मध्य श्री राजेंद्र अग्रवाल, श्री कैलाश मोदी, श्री संजय गुप्ता, श्री कैलाश अग्रवाल (अधिवक्ता), श्री विनोद अग्रवाल, श्री नरेश अग्रवाल, श्री संजय गोयल, श्री संतोष मोदी, श्री महावीर केडिया, श्री भीकमचंद अग्रवाल, श्री सतीश गुप्ता, श्री राजकुमार मोदी श्री श्याम मित्र मंडल के अध्यक्ष पद पर पदस्थ थे।
याचिका व विभिन्न शिकायतों में आरोप लगाया गया है कि पूर्व पदाधिकारी — अध्यक्ष रोहिणी सुल्तानिया, सचिव विमल मोदी, और कोषाध्यक्ष मनोज अग्रवाल (मन्नी) संस्था के संचालन में पारदर्शिता का पूर्णतया अभाव रखते हुए वित्तीय अनियमितताओं और अनुचित सदस्यता प्रक्रिया में संलिप्त हैं। याचिका व विभिन्न शिकायतों में यह मुख्य आरोप लगाया गया कि:
1. सहयोग राशि के संग्रह में पारदर्शिता का अभाव, बिना रसीद के संग्रह और निजी प्रचार में फंड का प्रयोग।
2. VIP पास का भेदभावपूर्ण वितरण।
3. आम सभा व कार्यकारिणी बैठक के बिना निर्णय लेना।
4. धार्मिक भावनाओं का हनन — संकीर्तन में बाउंसर व सांपों का प्रदर्शन।
5. सोशल मीडिया पर असहमति जताने वालों को व्हाट्सएप समूह से हटाना।
6. सदस्यता में हेराफेरी और चुनाव की निष्पक्षता पर संदेह।
**क्या है पूरा मामला?*
श्याम मित्र मंडल, जो वर्ष 2006 से श्री श्याम बाबा मंदिर, कोरबा का संचालन कर रही है ने वर्ष 2023-2024 के लिए दिनांक 12/02/2023 को श्री रोहिणी सुल्तानिया को अध्यक्ष व श्री विमल मोदी को सचिव व श्री मनोज अग्रवाल को कोषाध्यक्ष के रूप में चयन किया। 22 वॉ श्री श्याम वार्षिक उत्सव 2024 समाप्त होते ही तत्काल संस्था के 25-30 सदस्यों ने अध्यक्ष श्री रोहिणी सुल्तानिया को पत्र भेजकर संस्था की सामान्य सभा की बैठक बुलाने की मांग की थी। इसमें वार्षिक महोत्सव आयोजन में पारदर्शिता की कमी, वित्तीय अनियमितताओं , VIP पासों का भेदभावपूर्ण वितरण, धार्मिक भावनाओं का अपमान, और सेवा कार्यों में बाउंसरों की नियुक्ति जैसे मुद्दे उठाए गए थे। साथी उनके कार्यकाल के घोषित मुख्य आयोजन जैसे ट्रेन से खाटू यात्रा, सामूहिक गया भागवत में धन का आय-व्यय का मुद्दा विचारणीय प्रशन था।
उनके द्वारा आम सभा ना बुलाने की स्थिति में कुछ सदस्यों ने संरक्षक मंडल को भी आमसभा बुलाने के लिए निवेदन किया था परंतु जब उनके द्वारा भी उनकी शिकायतों का कोई निराकरण नहीं किया तब सहायक पंजीयक, फर्म्स एवं सोसायटीज़, बिलासपुर को शिकायत भेजी गई थी जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि अध्यक्ष को भेजे गए पत्रों का कोई उत्तर नहीं दिया गया और संस्था के कुछ सदस्यों की ओर से मांग की गई कि आम बैठक बुलाई जाए एवं संस्था की कार्यप्रणाली की समीक्षा हो।
लगभग ढाई महीने बीतने के बाद भी सहायक पंजीयक, फर्म्स एवं सोसायटीज़, बिलासपुर कोई कार्रवाई नहीं की तब पुनः सहायक पंजीयक महोदय को एक पत्र प्रेषित कर अवगत कराया गया कि कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण वर्तमान कार्यकारिणी के हौसले बुलंद है और बिना किसी नियम का पालन किये दिनांक 1.10.2024 को उनके द्वारा नई कार्यकारिणी का गठन किया जाना है और अपनी कोषाध्यक्ष को अध्यक्ष पद पर नियुक्त करना है। अंततः कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (W.P.(C) No. 5083/2024) दायर की गयी।
न्यायालय द्वारा जांच के लिए दिए गए आदेश के बाद अब सभी की निगाहें सहायक पंजीयक, बिलासपुर पर हैं। वे तय करेंगे कि संस्था में क्या वास्तव में अनियमितताएं हुई हैं, या यह आंतरिक राजनीति का हिस्सा है।