Chhattisgarh

शताब्दियों पुरानी परंपरा के साथ खिड़वाड़ किसी के भी द्वारा नही करना चाहिए .. ईश्वर खंबारी

शताब्दियों से पुरानी जोड़ा होलिका दहन की परंपरा का किया गया निर्वहन...

 

रविंद्र दास

जगदलपुर,inn24. जिले में रियासत कालीन होलिका दहन सोमवार 06 मार्च को किये जाने को लेकर 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष ईश्वर खंबारी ने शताब्दियों पुरानी परंपरा के खंडि़त किये जाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जगन्नाथ मंदिर से जुड़े किसी भी परंपरा के निर्वहन के लिए 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के ब्राह्मणों से बगैर चर्चा के कोई भी तिथि का निर्धारण कर परंपरा के साथ खिड़वाड़ किसी के भी द्वारा नही करना चाहिए। ईश्वर खंबारी ने कहा कि शताब्दियों पुरानी होलिका दहन की परंपरा को अनवरत आगे बढ़ाने के क्रम में श्रीजगन्नाथ मंदिर से भगवान श्रीकृष्ण की जोड़ा डोली मंगलवार की संध्या 8:30 निकाली जाकर भगवान श्रीनारायण विष्णु का स्मरण कर जलती होलिका के चारों तरफ परिक्रमा कर शताब्दियों पुरानी परंपरा का निर्वहन कर उस अक्षुण परंपरा को अनवरत बनाये रखने में 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज सफल रहा।

उन्होने बताया कि 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के द्वारा श्रीजगन्नाथ मंदिर से भगवान श्रीकृष्ण की डोली मंगलवार को देर रात्रि में निकाली जाकर शताब्दियों पुरानी अखंडित परंपरा का निर्वहन करते हुए श्रीश्री जगन्नाथ मंदिर से विष्णु स्वरूप श्रीकृष्णजी की डोली का परंपरानुसार पूजा अनुष्ठान के बाद फाग गीतों के साथ रथ परिक्रमा स्थल से होते हुए मावली मंदिर के समक्ष पहुंची, जहां होलिका दहन स्थल के सामने विधि-विधान के साथ परंपरा अनुसार भगवान श्रीकृष्णजी की डोली की पूजा संपन्न की गई।

उल्लेखनिय है कि 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के ब्राह्मणों के द्वारा सोमवार 06 मार्च की शाम 4.17 बजे से मंगलवार 07 मार्च को शाम 6.09 बजे तक पूर्णिमा है। ऐसे में शास्त्रों के अनुसार 07 मार्च को शाम 6.06 बजे के बाद होलिका दहन का शुभ मुहूर्त है। वहीं धुरेडी यानि रंग खेलने का दिन बुधवार 08 मार्च ही होगा, क्योंकि इस दिन प्रतिपदा पड़ रही है। इसकी जानकारी देने के बावजूद राजपरिवार के सदस्य कमलचंद्र भंजदेव के द्वारा माड़पाल में सोमवार 06 मार्च की देर रात 12 बजे होली जलाई गई, इसके अलावे राजपरिवार के कारण दंतेवाड़ा में भी एक दिन पहले 06 मार्च को ऐतिहासिक फागुन मंडई की होलिका दहन करना पड़ गया, इसके लिए फागुन मंडई का तय कार्यक्रम जो कि पहले से ही तय था, जिसमें होलिका दहन 07 मार्च को किया जाना था उसे निरस्त कर दिया गया। वहीं बाकी जगहों पर मंगलवार 07 मार्च को होलिका दहन होगा। (फागुन मंड़ई के कार्यक्रम विवरण इस प्रकार हैं, 26 फरवरी प्रथम पालकी, कलश स्थापना, 27 फरवरी द्वितीय पालकी व ताड़ फलंगा धोनी, 28 फरवरी तृतीय पालकी, खोरखुंदनी, 01 मार्च चतुर्थ पालकी, नाच मांडनी, 02 मार्च पंचम पालकी, लमहामार, 03 मार्च षष्टम पालकी, कोडरीमार, 04 मार्च सप्तम पालकी, चीतरमार, 05 मार्च अष्टम पालकी, गंवरमार, 06मार्च नवम पालकी, आंवरामार, गारी व होलिका दहन, 07 मार्च को रंग-भंग व पादुका पूजन, 08 मार्च को बड़ा मेला-मंडई, नगर परिक्रमा, 09 मार्च को देवी-देवताओं की विदाई के साथ ही फागुन मंड़ई संपन्न होगा।) राजपरिवार के सदस्य कमलचंद्र भंजदेव के गलत निर्णय से जगदलपुर की जोड़ा होलिका दहन बगैर श्रीकृष्ण की डोली के पंहुचे ही होलिका दहन कर परंपरा को खंडित करने का कार्य किया गया जिससे 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज ने सख्त नाराजगी जाहिर किया है। यहां यह बताया जाना भी आवश्यक है कि जन सामान्य भी साधारण तौर पर यह समझ सकता है कि जिस रात्रि में होली जलाई जाती है, उसके दूसरे दिन होली में रंग खेला जाता है, लेकिन एक गलत निर्णय और संवादहीनता ने होलिका दहन के बाद रंग नही खेली गई, यह उस गलत निर्णय को प्रमाणित करता है।

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