भारतीय कफ सिरप पर उठते सवालों के बीच सरकार का बड़ा फैसला, पहले सरकारी लैब में कराना होगा टेस्ट

पिछले कुछ महीनों में भारतीय कफ सिरप को लेकर विदेशों में सवाल उठाए गए. पहला मामला सामने तब आया, जब गाम्बिया में 60 से ज्यादा बच्चों की कप सिरप पीने से मौत हो गई. इसके बाद भारत में बनकर तैयार हुई कफ सिरप को इसके लिए जिम्मेदार बताया गया था. हालांकि जांच में कुछ भी साफ नहीं हो पाया. इसके अलावा WHO ने एक और भारतीय कफ सिरप के खतरे को लेकर अलर्ट जारी किया था. अब सरकार ने ऐसे मामलों को देखते हुए एक बड़ा फैसला लिया है, जिसके तहत किसी भी कंपनी की दवाओं और खासतौर पर कफ सिरप को विदेशों में भेजने से पहले सरकारी प्रयोगशालाओं में टेस्ट किया जाएगा.

विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा कि विदेशों में निर्यात किए जाने वाले प्रोडक्ट के सैंपल का प्रयोगशाला में परीक्षण होने के बाद ही कफ सिरप का निर्यात करने की इजाजत मिलेगी. ये नई व्यवस्था 1 जून से लागू हो जाएगी. सभी दवा कंपनियों को इसे लेकर निर्देश जारी कर दिए गए हैं.

कफ सिरप को लेकर उठे थे सवाल
भारत सरकार ने यह कदम देश में बने कफ सिरप की गुणवत्ता को लेकर दुनिया भर में उठे सवालों के बाद उठाया है. पिछले साल गाम्बिया और उजबेकिस्तान में कफ सिरप पीने से हुई क्रमशः 66 और 18 बच्चों की मौत के लिए भारत-निर्मित कफ सिरप को कथित तौर पर दोषी बताया गया था. जिसके बाद केंद्र सरकार ने इसे लेकर सख्ती दिखाई थी. अब सरकारी लैब में टेस्ट की अनिवार्यता के बाद घटिया क्वालिटी की दवाओं और कफ सिरप की भी पहचान हो पाएगी, टेस्ट में अगर प्रोडक्ट किसी भी गुणवत्ता में खरा नहीं उतरता है तो उसे विदेश नहीं भेजा जा सकेगा, साथ ही उसका प्रोडक्शन भी रोका जा सकता है.

कहां होगा कफ सिरप का टेस्ट 
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 में भारत से 17 अरब डॉलर के कफ सिरप निर्यात किए गए थे और यह राशि 2022-23 में बढ़कर 17.6 अरब डॉलर हो गई. एक अधिकारी ने कहा कि भारत से निर्यात किए जाने वाले चिकित्सा उत्पादों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने निर्यात के पहले कफ सिरप की गुणवत्ता परखने का फैसला किया है. यह परीक्षण भारतीय औषधि संहिता आयोग, क्षेत्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं और एनएबीएल से मान्यता-प्राप्त औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं में किया जा सकेगा.

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