बस्तर दशहरा का ऐतिहासिक लकड़ी टुरलू खोटला उपेक्षित…

जगदलपुर inn24 .( रविन्द्र दास).ऐतिहासिक बस्तर दशहरा का प्रारंभ जिस विधान के साथ आरंभ होता है और जिस लकड़ी के गोले को विधिवत पूजा अर्चना कर ऐतिहासिक पर्व की शुरुआत की जाती है जिसे आम बस्तरिया. जिसे टुरलू खोटला के नाम से पूजते हैं आज उपेक्षित नाली के किनारे पड़ा हुआ है आपको बता दें इसी टूरलू खोटला से रथ निर्माण के औजार बनाए जाते हैं जिससे विशालकाय रथ का निर्माण होता है जिसे विधि-विधान कर प्रशासनिक अधिकारियों बस्तर राज परिवार सहित बस्तर दशहरा से जुड़े समस्त लोगों की उपस्थिति में इसकी पूजा की जाती है. बड़े सम्मान के साथ इसे दंतेश्वरी मंदिर के प्रांगण में रखा जाता है लेकिन जिस दुर्दशा के साथ लकड़ी के गोले को नाली के किनारे डाल दिया गया है ,कहीं न कहीं बस्तर वासियों के भावनाओं के साथ कुछ कतिपय लोगों द्वारा यह जानबूझकर किया गया कृत्य लगता है..

जब हमने इस विषय पर आसपास के ठेले खोमचे वालों से जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि किसी गाड़ी वाले ने ठोकर मारी है ..
ठेले वाले की बात पर यकीन करने का सवाल ही नहीं होता..
क्योंकि इतनी भारी लकड़ी को बोलोरो या कार की ठोकर से इतनी दूर नहीं किया जा सकता. यह निश्चित ही किसी की कारस्तानी है जिसे सीसीटीवी की मदद से देखा जा सकता है यदि जानबूझकर इस प्रकार के कृत्य किया गया तो उसे कठोर कार्रवाई कर दंड दिया जाना चाहिए यह बस्तर के जनभावनाओं के खिलाफ स्वार्थवश जानबूझकर हटाया गया प्रतीत होता है.

वरिष्ठ नागरिकों पत्रकारों मंदिर के पुजारियों का कहना है कि प्रशासन संज्ञान लेकर कड़ी कार्रवाई करें ..
साथ ही इनका कहना है कि मंदिर प्रांगण के समक्ष जो दर्शक दीर्घा बैठने की व्यवस्था की गई थी जिस पर कतिपय अतिक्रमणकारियों द्वारा अतिक्रमण किया गया है उसे भी हटाया जाए..
समाचार प्रकाशित किए पर प्रशासन हरकत में आया और पवित्र लकड़ी को यथा स्थान रखा गया..

 

विश्व हिंदू परिषद हिंदू संगठन के सदस्य राज परिवार के सदस्य घटना जानकर तुरंत मंदिर प्रांगण के समक्ष इकट्ठा होकर कहा इस जिसने भी यह कृत्य किया उस पर कार्रवाई करने की मांग की है..दशहरा समिति से जुड़े सदस्यों ने कहा कि जिस सम्मान के साथ लकड़ी की पूजा की जाती है उसे उसी सम्मान के साथ घेरा कर रखा जाना चाहिए ..

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