चट्टानों के सामने उम्मीद जीता,17 दिन बाद टनल से बाहर निकाले गए सभी 41 मजदूर, 408 घंटे बाद रेस्क्यू मिशन पूरा
चट्टानों के सामने उम्मीद जीता,17 दिन बाद टनल से बाहर निकाले गए सभी 41 मजदूर, 408 घंटे बाद रेस्क्यू मिशन पूरा
चट्टानों के सामने उम्मीद जीता,17 दिन बाद टनल से बाहर निकाले गए सभी 41 मजदूर, 408 घंटे बाद रेस्क्यू मिशन पूरा उत्तरकाशी में दिवाली के दिन हुए सुरंग हादसे में बीते मंगलवार को रेस्क्यू टीम को बड़ी सफलता मिली। 17 वें दिन रेस्क्यू टीम आखिरकार मजदूरों तक पहुंच ही गई। रेस्क्यू टीम ने एक-एक कर सभी मजदूरों को टनल से बाहर निकाला। टनल के अंदर विभिन्न राज्यों के कुल 41 मजदूर फंसे थे। बाहर आते ही मजदूरों ने रेस्क्यू टीम को शुक्रिया कहा।
चट्टानों के सामने उम्मीद जीता,17 दिन बाद टनल से बाहर निकाले गए सभी 41 मजदूर, 408 घंटे बाद रेस्क्यू मिशन पूरा
उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल हादसे के 17वें दिन आखिरकार रेस्क्यू में सफलता मिल ही गई और सभी 41 मजदूरों ने जिंदगी की ये जंग जीत ली। रेस्क्यू टीमों को काफी मशक्कत के बाद मंगलवार रात को ये सफलता मिली। अब सभी 41 मजदूरों को टनल से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। बता दें कि टनल के पास 41 एंबुलेंस पहले से ही तैनात कर दी गई थीं। मजदूरों को इन्हीं एबुलेंस से अस्पताल ले जाया गया है। इनमें से जिन मजदूरों की हालत ज्यादा खराब दिखाई देगी, उसे एयरलिफ्ट कर ऋषिकेश एम्स लाया जाएगा। टनल के पास मजदूरों के परिजन भी मौजूद थे। जैसे ही उन्होंने अपनों को देखा, उनकी आंख से आंसू निकल आए।टनल से बाहर आने के बाद मजदूरों ने रेस्क्यू टीम को शुक्रिया कहा। टनल से सबसे पहले विजय नाम का मजदूर बाहर आया था। जैसे ही विजय बाहर आया, टनल के बाहर तालियां बजने लगीं।सभी के चेहरे पर खुशी झलक रही थी. मजदूरों के परिजनों की आंखों से आंसू निकलने लगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने जब मजदूर विजय से मुलाकात की तो उनके चेहरे पर भी खुशी साफ झलक रही थी। लगा कोई जंग जीत ली हो. अब सभी 41 मजदूर सुरंग से बाहर आ चुके हैं।
दिवाली के दिन टनल में फंस गए थे 41 मजदूर
दरअसल, उत्तरकाशी में चारधाम यात्रा मार्ग पर निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर दिवाली के दिन ढह गया था, जिससे मलबे के दूसरी ओर 41 मजदूर फंस गए थे। इन्हीं मजदूरों को निकालने के लिए युद्ध स्तर पर बचाव अभियान चलाया जा रहा था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद समय-समय पर उत्तरकाशी पहुंचकर रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा ले रहे थे। साथ ही वॉकी-टॉकी पर बात कर मजदूरों को ढांढस बंधा रहे थे कि जल्द ही उन्हें टनल से बाहर निकाल लिया जाएगा। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस ऑपरेशन पर नजर बनाए हुए थे। वह रेक्स्यू ऑपरेशन को लेकर सीएम धामी से अपडेट लेते रहते थे।
इंटरनेशनल टनल एक्सपर्ट ने भी रेस्क्यू ऑपरेशन में की मदद
बता दें कि सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने थाईलैंड और नॉर्वे के एक्सपर्ट की भी मदद ली थी। इसके साथ कई और इंटरनेशनल टनल एक्सपर्ट भी मजदूरों को निकालने में अपना अनुभव साझा कर रहे थे, लेकिन इन सबके बावजूद रेस्क्यू टीम के सामने कई चुनौतियां आईं। जानकारी के मुताबिक, टनल में 8 राज्यों के 41 मजदूर फंसे हुए थे। इसमें उत्तराखंड के दो, हिमाचल प्रदेश का एक, उत्तर प्रदेश के आठ, बिहार के पांच, पश्चिम बंगाल के तीन, असम के दो, झारखंड के 15 और ओडिशा के पांच मजदूर थे।
ये सफलता भावुक कर देने वाली– PM मोदी
वहीं रेस्क्यू मिशन कंप्लीट होने पर PM नरेंद्र मोदी ने भी ‘एक्स’ पर ट्वीट किया और लिखा कि, “उत्तरकाशी में हमारे श्रमिक भाइयों के रेस्क्यू ऑपरेशन की सफलता हर किसी को भावुक कर देने वाली है। टनल में जो साथी फंसे हुए थे, उनसे मैं कहना चाहता हूं कि आपका साहस और धैर्य हर किसी को प्रेरित कर रहा है। मैं आप सभी की कुशलता और उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं.”
चट्टानों के सामने उम्मीद जीता,17 दिन बाद टनल से बाहर निकाले गए सभी 41 मजदूर, 408 घंटे बाद रेस्क्यू मिशन पूरा
टनल में किन-किन राज्यों के मजदूर फंसे थे?
गब्बर सिह नेगी (उत्तराखंड), सबाह अहमद (बिहार), सोनु शाह (बिहार), मनिर तालुकदार (पश्चिम बंगाल), सेविक पखेरा (पश्चिम बंगाल), अखिलेश कुमार (यूपी), जयदेव परमानिक (पश्चिम बंगाल), वीरेंद्र किसकू (बिहार), सपन मंडल (ओडिशा), सुशील कुमार (बिहार), विश्वजीत कुमार (झारखंड), सुबोध कुमार (झारखंड), भगवान बत्रा (ओडिशा) अंकित (यूपी), राम मिलन (यूपी), सत्यदेव (यूपी), संतोष (यूपी), जय प्रकाश (यूपी), राम सुंदर (उत्तराखंड), मंजीत (यूपी), अनिल बेदिया (झारखंड), श्राजेद्र बेदिया (झारखंड).सुकराम (झारखंड), टिकू सरदार (झारखंड), गुनोधर (झारखंड), रनजीत (झारखंड), रविंद्र (झारखंड), समीर (झारखंड), विशेषर नायक (ओडिशा), राजू नायक (ओडिशा), महादेव (झारखंड), मुदतू मुर्म (झारखंड), धीरेन (ओडिशा), चमरा उरॉव (झारखंड), विजय होरो (झारखंड), गणपति (झारखंड), संजय (असम), राम प्रसाद (असम), विशाल (हिमाचल प्रदेश), पुष्कर (उत्तराखंड), दीपक कुमार (बिहार)
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