इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में स्ट्रेस मैनेजमेंट पर हुई प्रेरक कार्यशाला,ऑस्ट्रेलिया से आए भ्राता पीटर डेमो ने व्यक्त किए अपने प्रेरक विचार
वर्तमान जीवन शैली में जिस तरह की भागदौड़ का सामना लोगों को करना पड़ता है उससे अक्सर लोगों को तनाव की समस्या से दो चार होना पड़ रहा है। संयमित जीवन जी कर तनाव से मुक्ति पाई जा सकती है।
तनाव क्या है? तनाव को किसी कठिन परिस्थिति के कारण होने वाली चिंता या मानसिक तनाव की स्थिति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। तनाव एक प्राकृतिक मानवीय प्रतिक्रिया है जो हमें अपने जीवन में चुनौतियों और खतरों का सामना करने के लिए प्रेरित करती है। हर कोई किसी न किसी हद तक तनाव का अनुभव करता है।तनाव के लक्षणों में नींद न आना, बार-बार सिरदर्द और पेट की समस्याएँ होना; बहुत ज़्यादा गुस्सा होना; और तनाव से राहत पाने के लिए भोजन, ड्रग्स और शराब का सहारा लेना शामिल है।
अक्सर व्यक्ति तनाव से मुक्ति पाने के लिए किसी न किसी व्यसनों से ग्रसित हो जाता है।वह अपराध की ओर अग्रसर हो जाता है। लेकिन समय रहते हैं तनाव मुक्त जीवन शैली का मंत्र अपना लेते हैं तो हमारा जीवन सुखमय हो जाता है।खासकर यदि हम आध्यात्मिकता की ओर मुड़ जाते हैं।
’उपरोक्त सभी बस्तों के मद्देनजर इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में’ तनाव मुक्त जीवनशैली पर एक बहुत ही प्रेरक कार्यशाला का आयोजन किया गया।यह आयोजन प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विद्यालय दीपका के तत्वाधान में आयोजित किया गया।इस कार्यशाला में विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया से पधारे भ्राता पीटर डेमो ने तनावमुक्त एवं व्यसन मुक्त जीवनशैली पर अपने प्रेरक विचार व्यक्त किए।
सर्वप्रथम सभी अतिथियों का तिलक लगाकर एवं पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया गया।’विद्यालय के सी सी ए प्रभारी सुश्री पारुल पदवार’ ने आगंतुक भ्राता ब्रह्माकुमार भाई पीटर डेमो का परिचय बताते हुए कहा कि एक चमकता सितारा हैं जो ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देश में रहते हैं लेकिन आधुनिक जीवनशैली के साथ दुनिया को अध्यात्म की उज्ज्वल लौ से रोशन करते हैं। उन्होंने अपनी तपस्या और जीवनशैली के माध्यम से हजारों युवाओं को अच्छे आचरण का संदेश देकर लाभान्वित किया है। स्कूली शिक्षा के दौरान, आपका “दिव्य ज्योति“ से साक्षात्कार हुआ, लेकिन आपकी छोटी उम्र के कारण यह एक रहस्य बना रहा। जो संस्था में शामिल होने के बाद स्पष्ट हो गया। 1976 में, जब ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय ऑस्ट्रेलिया में पहली बार ज्ञान शुरू कर रहा था, तो आप मेरे संपर्क में आए और जैसे ही आपको “ज्योति बिंदु परमात्मा शिव“ का सच्चा परिचय मिला, आपने नशे की लत को छोड़ दिया और दिव्य ज्ञान का आनंद लेना शुरू कर दिया। उस समय आपकी आयु केवल 19 वर्ष थी। तब से आपने अपना पूरा जीवन मानवता के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। आप ऑस्ट्रेलिया सहित यूरोप के विभिन्न देशों में दिव्य ज्ञान के प्रकाश को फैलाने का माध्यम बने। जिसके कारण आज संस्था की कई शाखाएँ मानवता की सेवा कर रही हैं। आपने स्वास्थ्य और शिक्षा पर अपने व्याख्यानों से कई लोगों को लाभान्वित किया है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी होने के कारण आप संस्था के अनेक प्रकाशनों का माध्यम बने, ज्ञान के अनेक चित्र निर्मित किये तथा साथ ही फोटोग्राफी, बागवानी, रसोई तथा रिट्रीट को सुचारू रूप से चलाने में भी आपने महारत हासिल की। वर्तमान में 68 वर्ष की आयु होने के बावजूद भी आप देश-विदेश में ईश्वरीय सेवा हेतु सदैव तत्पर रहते हैं।
’भ्राता पीटर डेमो ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि’ हम यदि अपनी जिंदगी का हर एक लम्हा ईश्वर को समर्पित कर दें तो हम कभी भी तनाव से ग्रसित नहीं हो सकते। तनाव हमसे कोसों दूर रहेगा। हमें अपनी जिंदगी का हर एक पल प्रभु के स्मरण में बिताना चाहिए। हमें प्रत्येक पल के लिए ईश्वर का धन्यवाद करना चाहिए। यदि हम कभी बहुत ज्यादा स्ट्रेस्ड हैं या किसी चिंता में घिर गए तो हमें किसी न किसी धार्मिक सहारे की जरूरत होती है । इस स्थिति में हम किसी भी नजदीकी आध्यात्मिक स्थल में चले जाएं, क्योंकि प्रभु के शरण या आश्रय के अलावा दुनिया में कोई भी ऐसा स्थान नहीं है ,जहां पर हमें शांति मिले। जिंदगी में कोशिश करें कि हम ताउम्र अपने माता-पिता को सम्मान दें ,क्योंकि वह भी हमारे लिए ईश्वर तुल्य हैं।प्रत्येक कार्य को प्रभु को समर्पित करते चलने से जिंदगी आसान हो जाती है।यदि हम अपने जीवनशैली,विचार और खानपान में संतुलन रखें तो बेशक हम तनाव से मुक्त हो सकते हैं।हमेशा मन में यही भाव रखें कि जो हो रहा है अच्छा हो रहा है,जो होगा वह भी अच्छा ही होगा। सभी क्रियाएं, यश, पद, सम्मान, कमी, खूबी, अभाव प्रभु को ही समर्पित है। यदि हम अपने जीवन में पॉजिटिव हो जाएं तो हम कभी स्ट्रैस्ड नहीं होंगे। बस मन यही भाव रखें की को प्राप्त है,वह पर्याप्त है।सभी आशाएं और आकांक्षा हम ईश्वर को समर्पित कर दें।वास्तव में उम्मीदें और आकांक्षाएं ही तनाव का मुख्य कारण हैं।याद रहे हमारा बस कर्म पर अधिकार है।फल देने वाला तो इस सृष्टि में आना टी कालों से विराजमान है।
ब्रह्माकुमारी स्मृति बुधिया, चार्टेड एकांउटेंट, कोरबा ने कहा कि हमारी सोच ही हमारे अनुभव को आकार देती है। सकारात्मक सोच अपनाकर, हम जीवन की चुनौतियों को अवसर में बदल सकते हैं। सकारात्मक सोच ही सफलता की कुंजी है। जब हम नकारात्मक विचारों को छोड़कर सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हैं, तो हम समस्याओं को अवसर में बदल सकते हैं। यह सोच हमें न केवल अध्ययन में, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने में मदद करती है। जब हम नकारात्मकता को त्यागते हैं, तो जीवन सरल और सुखद प्रतीत होता है। छात्र जीवन चुनौतियों से भरा होता है, लेकिन आत्म-विश्वास हमारी सबसे बड़ी ताकत है। जब हम अपने आप पर विश्वास करते हैं, तो हम किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
’विद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा कि’ आज हर किसी का जीवन तनाव से पूर्ण है।विद्यार्थियों को पढ़ाई का तनाव है तो युवाओं को रोजगार का। लेकिन तनाव कोई हम अपनी जिंदगी में हावी करते हैं तो आगे जीवन कठिन हो जाता है। हमें चाहिए कि हम एक स्वस्थ जीवन शैली एवं शाकाहार पूर्ण जीवन शैली अपना कर इन तनाव से मुक्त रहें ।साथ ही जिंदगी में आध्यात्मिकता का समावेश करें।तनाव आपको अवसाद और चिंता जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकता है। नौकरी या शिक्षा में बदलाव, जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव, पारस्परिक चुनौतियाँ और वित्तीय चिंताएँ सभी तनाव के प्रमुख स्रोत हैं।तनाव से निपटा न जाए तो इससे कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, स्ट्रोक, मोटापा और मधुमेह आदि।योग आसन और श्वास अभ्यास की अपनी श्रृंखला के साथ, तनाव से राहत देने वाला एक लोकप्रिय साधन है। योग शारीरिक और मानसिक अनुशासन को एक साथ लाता है जो आपको शरीर और मन की शांति प्राप्त करने में मदद कर सकता है। योग आपको आराम करने और तनाव और चिंता को कम करने में मदद कर सकता है।