जगदलपुर inn24 (रविंद्र दास) सनातन धर्म को मानने वाले तेलुगु भाषी इस वर्ष 14, 15 एवं 16 जनवरी को संक्रांति पर्व मना रहें हैं। इस पावन त्योहार को लेकर अंचल के तेलुगू समुदाय में भी जबर्दस्त उत्साह व उमंग व्याप्त है। पितरों की पुण्य स्मृति से जुड़े इस तीन दिनों तक मनाये जाने वाले पर्व के तहत पहले दिन बोगी और दूसरे दिन संक्रांति की पूजा होती है जबकि तीसरे दिन कनुमा मनाया जाता है। इस क्रम में शनिवार- रविवार की दरमियानी रात बस्तर ज़िला आंध्र समाज द्वारा बोगी मंटा विधान संपन्न किया गया। इस दौरान शहर के आंध्र समाज भवन एवं बालाजी मंदिर सहित लोगों ने अपने- अपने घरों में मध्य रात्रि से लेकर अल-सुबह तक अलाव जलाए। परंपरानुसार श्रद्धालु इस अलाव में पानी गर्म कर पावन स्नान करते हैं। तेलुगू पुरोहित पं शंकर राव ने जानकारी देते बताया कि मकर संक्रांति के पहले बोगी मंटा का पालन अशुभ शक्तियों को नाश कर शुभ शक्तियों के आगमन के लिए किया जाता है। अशुभ शक्तियों के साथ मनुष्य का अहंकार एवं द्वेष भाव भी बोगी मंटा में भस्म हो जाता है। इसके बाद मकर संक्राति से शुभ शक्तियों का आगमन होने लगता है। सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस कारण अग्नि शक्ति में भी वृद्धि होती है। मकर संक्रांति के दिन पावन स्नान, पूजा पाठ व दान दक्षिणा से लोगों को काफी पुण्य हासिल होता है। इसी तरह शहर के श्री बालाजी मंदिर में रविवार शाम श्री गोदा देवी कल्याणम पूजा का आयोजन किया गया।
बता दें कि श्री गोदा देवी को दक्षिण की मीरा भी कहा जाता है उन्होंने भगवान श्री रंगनाथ स्वामी से विवाह रचाया था। उन्हीं की याद में बोगी पर्व पर मंदिरों में हर वर्ष श्री गोदा देवी कल्याणम का आयोजन किया जाता है।