
Women Helpline Numbers: भारत में हर महिला को सुरक्षा, सम्मान और निडर रहने का अधिकार है लेकिन परिस्थितयां, वातावरण या कई विषम स्थित में महिलाएं फंस जाती हैं। ऐसे वक्त में उन्हें मदद की जरूरत होती है, पर अगर समय पर सहायता न मिले तो स्थिति गंभीर हो जाती है। कई परिस्थितियांं तो ऐसी भी बन जाती हैं, जब महिलाओं की सहायता के लिए कोई सामने नहीं आता। लेकिन सरकार और प्रशासन हमेशा महिलाओं के मुश्किल वक्त में मदद के लिए तैयार रहते हैं।
विषम हालातों में मदद के लिए इंंतजार करने से बेहतर है कि पहले से तैयारी करें। कुछ हेल्पलाइन नंबर महिलाओं के लिए जारी किए गए हैं। ये हेल्पलाइन नंबर हर महिला की सेफ्टी किट का अहम हिस्सा बन सकते हैं। हर महिला को अपने आत्मसम्मान और अधिकारों के लिए आवाज उठानी चाहिए। क्योंकि सुरक्षा सिर्फ विकल्प नहीं, अधिकार है। आइए जानते हैं महिलाओं की सुरक्षा के लिए जरूरी हेल्पलाइन नंबर, क्यों और कैसे काम आते हैं।
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महिलाओं के जरूरी हेल्पलाइन नंबर
राष्ट्रीय महिला आयोग – 181
यदि आप या आपकी जान-पहचान की कोई महिला किसी प्रकार के उत्पीड़न या भेदभाव का शिकार हो रही हो तो 181 पर कॉल कर मदद ले सकती है।
महिला हेल्पलाइन – 1091
सार्वजनिक स्थानों पर असुरक्षा, दुर्व्यवहार या पीछा होने पर 1091 तुरंत मदद मुहैया कराता है।
घरेलू दुर्व्यवहार या हिंसा – 181 (अखिल भारतीय)
घरेलू हिंसा, घरेलू उत्पीड़न या जब ज़रूरत हो, 181 कॉल करके पति, परिवार या रिश्तेदारों की हिंसा से राहत मिल सकती है।
पुलिस हेल्पलाइन – 100
जब आप या आपका परिवार तात्कालिक सुरक्षा संकट में हो, जैसे दहशत, चोरी या हमला तो 100 नंबर पर कॉल करना चाहिए।
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बच्चों की हेल्पलाइन – 1098
यदि आप किसी बच्चे को मुसीबत में देखें, जैसे शोषण, भीख मांगना और अनाथालय आदि तो 1098 मदद के लिए कॉल करें।
संकटग्रस्त महिलाओं के लिए दिल्ली हेल्पलाइन – 23379181
दिल्ली या आस-पास रहने वाली महिलाएं, जो अकेली हों या सुरक्षा की चिंता करती हों, वह इस नंबर पर काॅल करके मदद प्राप्त कर सकती हैं।
एसिड अटैक पीड़ित सहायता हेल्पलाइन – 07533066009
एसिड अटैक या किसी प्रकार की ज्यादती की स्थिति में, यह हेल्पलाइन मेडिकल, कानूनी या मानसिक समर्थन दिला सकती है।
साइबर क्राइम हेल्पलाइन – 1030
ऑनलाइन उत्पीड़न, डिजिटल शोषण, सेंसेटिव डाटा लीक या साइबर धमकी की स्थिति में 1030 पर रिपोर्ट करें।
नंबर सेव करना क्यों जरूरी?
ये नंबर अपने फोन में सेव करके रख लें। इसे किसी वजह से नहीं, बस जरूरी समझें। रात-दिन मोबाइल साथ रहता है। ऐसे में आपातकाल में सिर्फ एक कॉल ही बचाव बन सकता है। डरने की जरूरत नहीं है, मदद मांगना कमजोरी नहीं, हिम्मत की बात है। इन नंबर्स को मोबाइल, लॉक-स्क्रीन नोट या पर्स में सेव करके रखें, ताकि ज़रूरत पड़े तो तुरंत मदद मिल सके। इसके अलावा दोस्त और परिवार के साथ साझा करें, क्योंकि एक- एक की सुरक्षा से समाज सुरक्षित रहता है।





