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सक्ति में श्मशान घाट की जमीन की हो गई खरीदी बिक्री? तात्कालीन तहसीलदार और पटवारी पर लगा आरोप, जिला दंडाधिकारी से हुई शिकायत दर्ज

सक्ति : भू – माफियाओं की नजर अब शमशान घाट की जमीन पर भी पड़ने लगी है। जिले में ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसकी शिकायत जिला दंडाधिकारी से करते हुए जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने मांग की गई है। पूरा मामला ग्राम पंचायत पोरथा का है।

प्राप्त जानकारी अनुसार ग्राम पंचायत पोरथा के आश्रित ग्राम सिपाहीमुड़ा पटवारी हल्का नंबर 22, रा. नि.मंडल पोरथा, तहसील व जिला – सक्ति अंतर्गत स्थित शासकीय भूमि (छोटे झाड़ का जंगल) श्मशान घाट के लिए सुरक्षित भूमि थी जिसका खसरा नंबर 2, कुल रकबा 1.12 एकड़ है। उक्त भूमि राजस्व रिकार्ड के मिसल बंदोबस्त वर्ष 1929 – 30 ई. एवं निस्तार पत्रक अनुसार चराई के लिए दर्ज है। बावजूद उक्त भूमि का दो अलग – अलग टुकड़ों में विभाजन करते हुए राजस्व विभाग के अधिकारियों – कर्मचारियों के साथ साठ – गांठ कर खरीदी बिक्री कर दी गई।

इस मामले की लिखित शिकायत ग्राम पोरथा निवासी ज्ञान प्रकाश साहू द्वारा जिला दंडाधिकारी से की गई है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि उक्त भूमि का दो अलग-अलग हिस्से में बतांकन करते हुए मूल खसरा नंबर को विभाजित कर 2/1 कुल रकबा 1 एकड़ छोटे झाड़ का जंगल घास मद छत्तीसगढ़ शासन में दर्ज कर दिया गया है।

सक्ति में श्मशान घाट की जमीन की हो गई खरीदी बिक्री? तात्कालीन तहसीलदार और पटवारी पर लगा आरोप, जिला दंडाधिकारी से हुई शिकायत दर्ज

वही खसरा नंबर 2/2 कुल रकबा 0.12 एकड़ ना.बा. विष्णु पिता आलास कुमारी, पति फिरतू, हरिशंकर पिता फिरतू कंवर के नाम पर दर्ज कर तीन अलग-अलग आदिवासी क्रेताओं को विक्रय कर नामांतरण कर भूमि स्वामी मद में दर्ज कर तत्कालीन तहसीलदार एवं हल्का पटवारी द्वारा मोटी रकम लेकर तीन अलग-अलग क्रेताओं के नाम किसान – किताब एवं राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज कर दिया गया है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि उक्त भूमि राजस्व रिकॉर्ड मिशल में शासकीय मद में दर्ज थी जो तो क्या उसका पट्टा प्रदान किया गया है? और यदि किया गया है तो कब किया गया है? और उक्त भूमि के विक्रय की अनुमति सक्षम अधिकारी से ली गई थी या नहीं? यह भी आवेदक की उपस्थिति में जांच कर दोषी अधिकारी, कर्मचारी और पटवारी पर कार्रवाई करने मांग किया है।

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