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Sonali Hinge: एक पुलिस कॉन्स्टेबल जिसने 13 साल की बच्ची की ज़िंदगी बदल दी, सोनाली हिंगे की प्रेरक कहानी

Sonali Hinge: कभी-कभी किसी की छोटी-सी कोशिश किसी की पूरी जिंदगी बदल देती है। ऐसा ही पुणे की पुलिस कॉन्स्टेबल सोनाली हिंगे ने किया जिन्होंने न केवल 13 साल की बच्ची का बाल विवाह रुकवाया, बल्कि उस बच्ची को फिर से स्कूल लौटने का हक़ दिलाया। एक बेटी जो पारिवारिक परिस्थितियों के कारण मानसिक रूप से परेशान थी, उन्हें भी मदद दिलाई। उनकी कहानी सिर्फ एक पुलिस केस नहीं, बल्कि संवेदना, साहस और महिला सशक्तिकरण की मिसाल है। आइए जानते हैं दामिनी मार्शल सोनाली हिंगे के बारे में।

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कौन हैं सोनाली हिंगे?

सोनाली हिंगे पुणे पुलिस की ‘दामिनी मार्शल टीम’ की सदस्य हैं। यह एक ऐसी टीम है जो महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा के लिए सड़कों, स्कूलों और समाज में सक्रिय भूमिका निभाती है। उनकी पहचान सिर्फ वर्दी से नहीं, बल्कि उस ममता भरी संवेदना से है जिसने कई लड़कियों का भविष्य अंधेरे से रोशनी की ओर मोड़ दिया।

दामिनी मार्शल क्या है?

दामिनी मार्शल पुणे पुलिस की एक स्पेशल महिला पुलिस टीम है, जिसका गठन संकट में फंसी महिलाओं और लड़कियों को तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए किया गया है। ये महिलाएं कमांडो वर्दी पहनती हैं और सड़कों पर गश्त करती हैं। अपराध रोकने से लेकर स्कूलों में जागरूकता अभियान भी चलाती हैं।

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सोनाली हिंगे ने रोका बाल विवाह

शिवाजीनगर के एक स्कूल में सातवीं कक्षा की छात्रा ने अचानक स्कूल जाना बंद किया तो टीचर को कुछ शक हुआ। उन्होंने पुलिस को सूचना दी। जांच में पता चला कि लड़की के माता-पिता जो दिहाड़ी मजदूर हैं, आर्थिक तंगी के कारण उसकी शादी कराना चाहते थे। यह खबर सुनते ही कॉन्स्टेबल सोनाली हिंगे हरकत में आईं। वह बच्ची के घर पहुंचीं और उनके माता पिता को समझाया। उन्होंने बड़ी विनम्रता से कहा, “शादी कोई समाधान नहीं, बेटी की पढ़ाई ही उसका भविष्य है।” उनकी संवेदनशीलता ने असर किया। लड़की के पिता ने अपनी गलती मानी और वादा किया कि उनकी चारों बेटियां पढ़ाई पूरी करेंगी और आत्मनिर्भर बनने के बाद ही शादी करेंगी।

तनावग्रस्त बेटी की मदद को बढ़ाया हाथ

ये कोई एक केस नहीं, उन्होंने पारिवारिक परेशानियों के चलते घर छोड़ने का इरादा बना चुकी 10वीं की छात्रा की भी मदद की। बच्ची ने स्कूल में जागरूकता कार्यक्रम के तहत आई दामिनी मार्शल सोनाली हिंगे के नंबर पर काॅल करके उनसे मदद मांगी। लड़की ने बताया कि माता पिता के झगड़ों और तलाक की अर्जी देने के कारण वह बहुत दुखी है और घर छोड़कर जाना चाहती है। इस पर सोनाली उससे मिलने पहुंचीं और उसे समझाने के साथ ही भावनात्मक तौर पर सहारा दिया।

इसके बाद वह छात्रा के माता पिता से मिलीं और उन्हें बच्ची की मानसिक स्थिति से अवगत कराया। इस पर उसके माता पिता को अहसास हुआ कि घर की परिस्थितियों का असर उनकी बेटी के बाल मन को बहुत बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। उन्होंने तलाक की अर्जी वापस लेकर साथ रहने का फैसला लिया और अपनी बेटी को एक खुशहाल परिवार देने का प्रयास करने का वादा भी किया।

मानवता की मिसाल बनीं सोनाली हिंगे

सोनाली का यह कार्य कानून के दायरे से बढ़कर मानवता की जीत है। उन्होंने एक बच्ची का नहीं, बल्कि एक पूरे परिवार की मानसिकता बदल दी। उन्होंने यह साबित किया कि एक संवेदनशील पुलिसकर्मी सिर्फ कानून की रक्षक नहीं, बल्कि समाज की दिशा बदलने वाली प्रेरणा भी हो सकती है। सोनाली हिंगे ने दिखाया कि सशक्त महिला वह नहीं जो सिर्फ अपने लिए लड़ती है, बल्कि वह है जो किसी और की लड़ाई को अपना बनाती है। उनका यह कदम ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की सच्ची भावना का जीता-जागता उदाहरण है।