
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट को निर्देश दिया कि वे अपनी वेबसाइट पर एक डैशबोर्ड बनाएं, जिसमें 31 जनवरी के बाद सुरक्षित किए गए मामलों, सुनाए गए फैसलों और उनकी वेबसाइट पर अपलोड करने की तारीख की जानकारी दी जाए। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कई हाई कोर्ट की आलोचना की, क्योंकि उन्होंने कई वर्षों तक सुनवाई के बाद भी आपराधिक नागरिक मामलों में फैसले नहीं दिए। इनमें झारखंड हाई कोर्ट भी शामिल है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह डाटा जनता के लिए सार्वजनिक होना चाहिए, ताकि सभी जान सकें कि कितने फैसले सुरक्षित किए गए, कितने मामलों में आदेश दिए गए और किस तारीख को वेबसाइट पर अपलोड किया गया।
जस्टिस बागची ने सहमति जताते हुए कहा कि हाई कोर्ट की वेबसाइट पर डैशबोर्ड या अलग विंडो बनाने से न्यायपालिका की जनता के प्रति जवाबदेही दिखेगी। सुप्रीम कोर्ट एक मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसमें कई मौत की सजा और उम्रकैद की सजा पाए लोगों ने वकील फौजिया शकील के माध्यम से शिकायत की थी कि झारखंड हाई कोर्ट ने उनके मामलों में अंतिम बहस सुनने और निर्णय सुरक्षित करने के बावजूद वर्षों तक फैसले नहीं दिए।

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सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के बाद झारखंड हाई कोर्ट ने उनके मामलों में फैसले सुनाए और अधिकांश आरोपी बरी कर दिए गए। इसी तरह, झारखंड की अन्य जेलों में बंद कैदियों ने भी सुप्रीम कोर्ट से ऐसे ही निर्देश की मांग की। बेंच ने फिर इस मुकदमे का दायरा बढ़ाया और सभी हाई कोर्ट से उन मामलों की जानकारी मांगी, जिनमें फैसले सुरक्षित करने के बाद भी महीनों तक फैसले नहीं सुनाए गए।



