डर ऑनलाइन ठगों का सबसे बड़ा हथियार, सतर्कता ही बचाव, भारतीय साइबर सुरक्षा एजेंसी ने बताए ठगों से बचने के तरीके
डर ऑनलाइन ठगों का सबसे बड़ा हथियार, सतर्कता ही बचाव, भारतीय साइबर सुरक्षा एजेंसी ने बताए ठगों से बचने के तरीके..
नई दिल्ली। भारतीय साइबर सुरक्षा एजेंसी सीईआरटी-आईएन ने डिजिटल अरेस्ट सहित ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों से बचने के लिए लोगों को आगाह किया। एजेंसी ने कहा कि ऑनलाइन ठगों का सबसे बड़ा हथियार भय और जल्दबाजी का हथकंडा है। जालसाज लोगों को पारिवारिक और सामाजिक बदनामी सहित कई तरह के डर दिखाकर उनके बैंक खाते खाली करा लेते हैं। सतर्कता और जागरूकता ही बचाव का सही तरीका है।
भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (सीईआरटी-आईएन) की एडवाइजरी रविवार को उस समय जारी की गई जबप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात में लोगों को इस तरह की धोखाधड़ी के प्रति जागरूक किया है। एडवाइजरी में साइबर अपराधियों के निशाने पर आने वाले लोगों से कहा गया है कि वे घबराएं नहीं, क्योंकि ठग पीड़ितों को गुमराह करने के लिए भयाक्रांत करते हैं।
इस तरह के हो रहे घोटाले
फिशिंग स्कैम: जालसाज ऐसे ईमेल व संदेश भेजते हैं, जो वैध लगते हैं। वे अक्सर बड़े ब्रांड के लोगो का इस्तेमाल कर लॉटरी या पुरस्कार के तौर पर बड़ी धनराशि जीतने का संदेश भेजते हैं। फिर पुरस्कार हासिल करने के लिए प्रोसेसिंग शुल्क व करों का भुगतान करने को कहते हैं। इस तरह ठग लोगों के लालच का फायदा उठाते हैं।
डेटिंग और नौकरी: ऑनलाइन डेटिंग एप के जरिये भी लोगों को ठगा जाता है। जहां पहले पीड़ितों से भावनात्मक जुड़ाव बनाया जाता है और फिर मेडिकल मदद और इमरजेंसी की बात कहकर धन की मांग की जाती है। वहीं, जॉब स्कैम में वैध भर्ती पोर्टल या सोशल मीडिया पर नकली भर्ती निकालकर युवाओं को ठगा जाता है। निवेश के नाम पर ठग पीड़ित की जल्दी पैसा कमाने की इच्छा का फायदा उठाते हुए अलग- अलग योजनाओं का नाम देकर बेहतर रिटर्न वादा करते हैं। कैश ऑन-डिलीवरी घोटाले में ठग सीओडी ऑर्डर स्वीकार करने वाले नकली ऑनलाइन स्टोर स्थापित करते हैं। नकली सामान भेजा जाता है। वहीं, तकनीकी सहायता घोटाले में साइबर अपराधी लोगों के तकनीकी ज्ञान की कमी का फायदा उठाकर कंप्यूटर में वायरस होने की बात कहकर पहुंचते हैं और डाटा चोरी कर लेते हैं।
ये बरतें सावधानियां
एडवाइजरी में कहा गया है कि ऑनलाइन घोटालों से बचने के लिए ध्यान में रखें कि सरकारी एजेंसियां कभी भी आधिकारिक संचार के लिए व्हाट्सएप या स्काइप जैसे मंचों का उपयोग नहीं करती हैं। डिजिटल अरेस्ट के मामलों में पीड़ितों को फोन कॉल, ई-मेल या संदेश भेजा जाता है, जिसमें दावा किया जाता है कि पीड़ित व्यक्ति चोरी या मनी लॉन्ड्रिंग जैसी अवैध गतिविधियों के लिए जांच के दायरे में हैं। ऐसे मामले में जिस केंद्रीय एजेंसी के नाम पर धमकी दी जाती है, उससे सीधे संपर्क कर फोन कॉल या संदेश को सत्यापित करें। प्रतिक्रिया देने से पहले स्थिति का शांतिपूर्वक आकलन करने के लिए कुछ समय लें। व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से बचें और फोन या वीडियो कॉल पर, विशेष रूप से अज्ञात नंबरों पर, कभी भी संवेदनशील व्यक्तिगत या वित्तीय विवरण साझा न करें। किसी भी तरह के दबाव में आकर पैसा न भेजें, क्योंकि कानून प्रवर्तन एजेंसियां तुरंत पैसे भेजने के लिए आप पर कभी दबाव नहीं डालेंगी। यदि कोई व्यक्ति फोन या ऑनलाइन माध्यम से पैसों की मांग करता है, तो समझ लें ये ठगी का मामला है और तुरंत सावधान हो जाएं। साइबर खतरे से स्वयं को बचाने के लिए सतर्क रहना और जानकारी रखना बेहद जरूरी है।