NATIONALभारत

खुशखबरी: अब डेंगू का खत्म होगा डर! भारत में बन रही पहली स्वदेशी वैक्सीन

नई दिल्ली: डेंगू जैसी खतरनाक बीमारी से अब डरने की जरुरत नहीं है. क्यूंकि इसके बचाव को लेकर अब भारत को बड़ी कामयाबी मिलने वाली है. अगर सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही इसकी वैक्सीन तैयार हो जाएगी. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के तहत काम कर रहा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV), पुणे, में इसका ट्रायल अंतिम चरण में है.

Korba News – डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही का आरोप, भड़के पिता ने चेंबर में घुसकर जड़ा थप्पड़, CCTV फुटेज आया सामने

भारत को मिलेगी स्वदशी वैक्सीन 

जानकारी के अनुसार, डेंगू वैक्सीन पूरी तरह से स्वदेशी है और इस पर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के वैज्ञानिक काफी समय से काम कर रहें है. फिलहाल इसका इंसानों पर परीक्षण चल रहा है और अब तक के नतीजे काफी सकारात्मक रहें हैं. ऐसे में अगर अंतिम चरण का यह ट्रायल सफल रह तो भारत को जल्द ही डेंगू के खिलाफ पहली स्वदेशी और सुरक्षित वैक्सीन मिल जाएगी.

डेंगू वैक्सीन बनाना चुनौती 

डेंगू वायरस के चार अलग-अलग सीरोटाइप होते हैं. इनके कारण वैक्सीन बनाना बहुत कठिन रहा है. लेकिन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की लैब्स में वैज्ञानिकों ने आधुनिक बायोटेक्नोलॉजी के सहारे जो फॉर्मूला तैयार किया है, वह इन सभी सीरोटाइप्स के खिलाफ असरदार साबित होने की उम्मीद जगा रहा है.

कोरबा – जहरीले सांप के काटने से युवक की हुई मौत, संवेदना जाहिर करने नोवा नेचर की टीम घर 

निपाह और चांदीपुरा की भी भारत बना रही वैक्सीन 

पिछले कुछ सालों में भारत में कई नए और खतरनाक वायरसों के केस सामने आए हैं. निपाह वायरस, KFD (क्यासनूर फॉरेस्ट डिजीज), चांदीपुरा वायरस, CCHF (क्राइमियन कांगो हेमोरेजिक फीवर) जैसे संक्रमणों ने गंभीर चिंता पैदा की है. इन वायरसों में कई ऐसे हैं जिनमें मृत्यु दर काफी अधिक है और जिनकी कोई प्रभावी दवा या वैक्सीन भारत में उपलब्ध नहीं थी.

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे ने इस चुनौती को स्वीकार किया है और अब यह संस्था इन घातक बीमारियों के खिलाफ वैक्सीन डेवलपमेंट में जुटी हुई है. KFD वायरस जो खासकर कर्नाटक और आसपास के राज्यों में पाया जाता है उसकी वैक्सीन एडवांस स्टेज में है.

निपाह वायरस जो पहले केवल ऑस्ट्रेलिया और कुछ विदेशी संस्थाओं पर रिसर्च के लिए निर्भर था अब उसकी वैक्सीन पर भी भारत में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी तैयार कर ली गई है.

CCHF वायरस जो जानवरों से इंसानों में फैलता है, उसके लिए डायग्नोस्टिक किट और वैक्सीन डेवलपमेंट का काम शुरू हो चुका है. चांदीपुरा वायरस बच्चों में मृत्यु दर बढ़ाता है. उस पर भी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी द्वारा वैक्सीन का काम किया जा रहा है. हाल ही में चांदीपुरा के मामले गुजरात में देखे गए थे. इन सभी प्रयासों से भारत अब वायरस के इलाज और रोकथाम में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ रहा है.