श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस का संदेश: ईर्ष्या से स्वयं और दूसरों का होता है नुकसान

जांजगीर-चांपा : आनंदम् रिसोर्ट अमरताल जांजगीर में विगत 2 दिन से चल रही श्रीमद् भागवत कथा जोकि पितरों को समर्पित आयोजक खडवालिया परिवार सहारनपुर से पधारे आचार्य देशमुख वशिष्ठ जी महाराज जी ने बताया कि श्री नारद जी की प्रेरणा से श्री व्यास जी ने भागवत की रचना की कथा के प्रारंभ में श्री महाभारत के प्रसंग की कथा बताई तथा माता कुंती द्वारा भगवान की स्तुति एवं विष्णु स्तुति की कथा बताई और कहा कि पितामह भीष्म ने अपनी मती रूपी बुद्धि को जव जीव भगवान को समर्पित कर देता है तो जीव का कल्याण हो जाता है व्यास जी ने बताया कि मनुष्य को चाहिए कि भगवान से जीव केवल संबंध जोड ले उसी में जीव का कल्याण है आगे की कथा में परीक्षित जन्म की कथा बताई तथा सृष्टि की उत्पत्ति की कथा बताइए और वारह भगवान की कथा का प्रसंग की कथा कही कथा के प्रसंग में व्यास जी ने बताया स्वयं मनु महाराज के वंश की कथा बताई और उतान पात्दद की कथा श्री ध्रुव चरित्र की कथा बताइ और बताया कि जीवन में भगवान को पाने कर्म का कोई नाता नहीं उन्होंने कहां ईर्ष्या करने वाला व्यक्ति दोनों पक्षों की हानि करता है दोनों परवारों का नाश का कारण बनता है सकुनी दुर्योधन की ईर्ष्या महाभारत का कारण बनी श्री कृष्ण प्रभु को अपने दिल रूपी घर में विराजमान करें ज्ञान की पुस्तकें पढ़ने के लिए समय निकालें ।