आई.पी.एस. दीपका में छात्रसंघ शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन
छात्र जीवन जिंदगी का सबसे सुखी जीवन होता है । प्रत्येक जिम्मेदारी हममें नेतृत्व की भावना तथा अनुशासन की भावना का विकास करती है - डॉ. संजय गुप्ता।
इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के प्रांगण में छात्रसंघ तथा हाउस प्रभारी छात्र-छात्राओं के लिए शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि श्री अमित सक्सेना (जी एम एसईसीएल दीपका) एवं श्रीमती आभा सक्सैना ( अध्यक्षा महिला समिति) , श्रीमती नेहा वर्मा (एडिशनल एसपी) उपस्थित रहे ।
कार्यक्रम की शुरूआत द्वीप प्रज्वलन के साथ हुई जिसके बाद विद्यालय छात्र संघ एवं विद्यालय के चारों सदन की छात्र-छात्राओं द्वारा आकर्षक मार्चपास्ट कर मुख्य अतिथि को सलामी दी गई और इसके बाद मुख्य अतिथि के द्वारा सभी पदाधिकारियों को शपथ दिलवाया गया । शपथ के पश्चात मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों ने अपने हाथों से सभी पदाधिकारियों को शैश एवं बैच पहनाकर सम्मानित किया एवं अपने पद पर निष्ठापूर्वक कार्य करने की प्रेरणा दी ।
विद्यालय की छात्रों द्वारा अतिथियों के स्वागत हेतु बहुत ही आकर्षक नृत्य एवं कर्णप्रिय स्वागत गीत की प्रस्तुति दी गई। इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में आयोजित छात्रसंघ शपथ ग्रहण समारोह में स्कूल काउंसिल के हेड बॉय के रूप में समीर पोद्दार ,हेड गर्ल राजनंदिनी बघेल, वाइस हेड ब्वॉय अमन मोर ,वाइस हेड गर्ल समृद्धि सिंह, गेम्स कैप्टन बॉय चक्षु कुमार, गेम्स कैप्टन गर्ल माही सिंह, वॉइस गेम्स कैप्टन ब्वॉय भीष्म यादव, वाइस गेम्स कैप्टन गर्ल निधि महतो, कल्चरल सेक्रेट्री बाय राज मेहता, कल्चरल सेक्रेट्री गर्ल विनीता साहू, वाइस कल्चरल सेक्रेट्री ब्वॉय प्रियांशु देव, वाइस कल्चरल सेक्रेट्री गर्ल निशा कंवर के अतिरिक्त एमेरल्ड हाउस, रूबी हाउस , सफायर हाउस एवं टोपाज हाउस से अलग-अलग पदों हेतु अलग-अलग विद्यार्थियों का चयन किया गया।
अपने उद्बोधन में श्री अमित सक्सेना (जीएम, एसईसीएल दीपका) ने कहा कि विद्यार्थी जीवन मानव जीवन का स्वर्णिम काल होता है । जीवन के इस पड़ाव पर वह जो भी सीखता, समझता है अथवा जिन नैतिक गुणों को अपनाता है वही उसके व्यक्तित्व व चरित्र निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाते हैं ।दूसरे शब्दों में, हम कह सकते हैं कि विद्यार्थी जीवन मानव जीवन की आधारशिला है । इस काल में सामान्यतः विद्यार्थी सांसारिक दायित्वों से मुक्त होता है फिर भी उसे अनेक दायित्वों व कर्तव्यों का निर्वाह करना पड़ता है । प्रत्येक विद्यार्थी का अपने माता-पिता के प्रति यह पुनीत कर्तव्य बनता है कि वह सदैव उनका सम्मान करे । सभी माता-पिता यही चाहते हैं कि उनका पुत्र बड़ा हौकर उनका नाम ऊँचा करे । वह बड़े होकर उत्तम स्वास्थ्य, धन व यश आदि की प्राप्ति करे । इसके लिए वे सदैव अनेक प्रकार के त्याग करते हैं । इन परिस्थितियों में विद्यार्थी का यह दायित्व बनता है कि वह पूरी लगन और परिश्रम से अध्ययन करे तथा अच्छे अंक प्राप्त करें व अच्छा चरित्र धारण करने का प्रयत्न करे ।
श्रीमती नेहा वर्मा (एडिशनल एसपी)ने कहा कि अपने गुरुओं, शिक्षकों अथवा शिक्षिकाओं के प्रति विद्यार्थी का परम कर्तव्य है कि वह सभी का आदर करे तथा वे जो भी पाठ पढ़ाते हैं वह उसे ध्यानपूर्वक सुने तथा आत्मसात् करे । वे जो भी कार्य करने के लिए कहते हैं उसे तुरंत ही पूर्ण करने की चेष्टा करे । गुरु का उचित मार्गदर्शन विद्यार्थी को महानता के शिखर की ओर ले जाने में सक्षम है ।
श्री सब्यसाची सरकार (शैक्षणिक प्रभारी) ने कहा कि विद्यार्थी का अपने विद्यालय के प्रति भी दायित्व बनता है । उसे अपने विद्यालय को उन्नत बनाने में यथासंभव योगदान करना चाहिए । विद्यालय को स्वच्छ रखने में मदद करे तथा अपने अन्य सहपाठियों को भी विद्यालय की स्वच्छता बनाए रखने हेतु प्रेरित करे । इसके अतिरिक्त वह कभी भी उन तत्वों का समर्थन न करे जो विद्यालय की गरिमा एवं उसकी संपत्ति को किसी भी प्रकार से हानि पहुँचाते हैं । वह विद्यार्थी जो विध्वंसक कार्यों में विशेष रुचि लेता है, उसे विद्यार्थी कहना ही उचित नहीं है ।
श्रीमती आभा सक्सैना (अध्यक्षा महिला मंडल) ने अपने उद्बोधन में कहा कि छात्र जीवन जिंदगी का सबसे सुखी जीवन होता है । प्रत्येक जिम्मेदारी हममें नेतृत्व की भावना तथा अनुशासन की भावना का विकास करती है ।हम स्वयं की काबिलियत को पहचान कर आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं। तथा स्वयं कोई गलती करने से पहले कई बार सोचते हैं और अन्य को भी गलत नहीं करने की सलाह देते हैं ।यदि हमें विद्यालय में किसी पद के लिए चुना गया है। तो इसका मतलब यह है कि विद्यालय में हम पर विश्वास जताया है और हमारा कर्तव्य है कि हम उनके विश्वास पर करें उतरते रहे। यह हम सबके लिए बहुत सम्मान की बात होती है। हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि बिना अनुशासन के हम जिंदगी में किसी भी लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकते। विद्यार्थी जीवन में सबसे पहला पाठ हमें अनुशासन का ही सीखना चाहिए। विद्यार्थी के लिए आवश्यक है कि वह किसी भी अन्य विद्यार्थी के साथ ईर्ष्या, द्वेष अथवा कटुता जैसी भावनाओं को न पनपने दे ।
इस अवसर विद्यालय प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि अपने सहपाठियों के साथ मृदुल व्यवहार रखना भी विद्यार्थी का परम कर्तव्य है । यदि किन्हीं परिस्थितियों में इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न होती है तो आपस में विचार करके अथवा अपने गुरुजन की सहायता से इस समस्या का हल निकालने का प्रयास करे । छात्र जीवन जिंदगी का सबसे सुखी जीवन होता है । प्रत्येक जिम्मेदारी हममें नेतृत्व की भावना तथा अनुशासन की भावना का विकास करती है । अनुशासन वह गुण है जिससे व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति आदर एवं समझौते की भावना जागृत होती है । यदि हम अपने जीवन में जिम्मेदारी नहीं लेते हैं तो हम प्रगति नहीं कर सकते यदि हर व्यक्ति अपने जीवन से संबंधित जिम्मेदारी समझ ले चाहे वह समाज के प्रति हो या राष्ट्र के प्रति हो तो निश्चित ही यह संसार सुखमय बन सकता है । सफलता के लिए जिम्मेदारी लेना आवश्यक है जिम्मेदारी हर किसी को जीवन की अनमोल सीख देती है क्योंकि जिम्मेदार व्यक्ति से जिंदगी कई इम्तिहान लेती रहती है ।
कार्यक्रम का संचालन रीतिका शुक्ला एवं श्री इशिता रॉय चौधरी ने किया तथा कार्यक्रम को सफल बनाने में विद्यालय के शैक्षणिक प्रभारी श्री सब्यसाची सरकार एवं श्रीमती सोमां सरकार (शैक्षणिक प्रभारी प्राइमरी एवं प्री प्राइमरी) के साथ ही साथ विद्यालय की समस्त टीचिंग एवं नॉन टीचिंग स्टॉफ का भरपूर सहयोग रहा ।