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भारत-रूस रक्षा साझेदारी मजबूत: पुतिन की यात्रा से पहले ड्यूमा ने सैन्य उपकरण आदान-प्रदान समझौते को दी मंजूरी

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4-5 दिसंबर को भारत का दौरा करने वाले हैं। पुतिन का भारत दौरा दोनों देशों के संबंधों के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है। पुतिन के दौरे से पहले रूसी संसद के निचले सदन ‘ड्यूमा’ ने भारत के साथ एक महत्वपूर्ण सैन्य समझौते को मंजूरी दी है। रूसी संसद से मंजूरी तब मिली है जब इसी साल फरवरी में दोनों सरकारों के बीच सैन्य उपकरणों के पारस्परिक आदान-प्रदान को लेकर समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। पिछले सप्ताह रूस के प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्टिन ने सैन्य समझौते को अनुमोदन के लिए ‘ड्यूमा’ को भेजा था।

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क्या बोले ‘ड्यूमा’ के अध्यक्ष?

रूसी संसद के निचले सदन ‘ड्यूमा’ के अध्यक्ष व्याचेस्लाव वोलोदिन ने सदन के पूर्ण अधिवेशन में कहा, ‘‘भारत के साथ हमारे संबंध रणनीतिक और व्यापक हैं और हम इस संबंध को महत्व देते हैं। हम समझते हैं कि समझौते को मंजूरी निश्चित रूप से दोनों देशों के संबंधों के विस्तार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।’’

क्या है भारत-रूस के बीच समझौता?

बता दें कि, भारत और रूस के बीच हुआ यह समझौता कई मायनों में बेहद अहम है। समझौता के तहत यह तय किया गया है कि भारत और रूस की सैन्य टुकड़ियों के बीच समन्वय कैसा होगा। सैन्य विमान और युद्धपोत कैसे भेजे जाएंगे साथ ही दोनों देशों के बीच सैन्य साजो सामान की पहुंच किस तरह की जाएगी। यह समझौता सिर्फ सैनिकों और सैन्य उपकरणों की तैनाती तक सीमित नहीं है बल्कि साजो सामान संबंधी व्यवस्थाओं को भी तय करता है।

भारत और रूस दोनों को होगा लाभ

रूसी संसद के निचले सदन ‘ड्यूमा’ की वेबसाइट पर भी इसे लेकर एक नोट पोस्ट किया गया है। नोट में कहा गया है कि समझौते की मंजूरी से रूस और भारत के विमानों, युद्धपोतों को दोनों देशों के हवाई क्षेत्र और बंदरगाहों के इस्तेमाल की सहूलियत मिलेगी। समझौते के तहत तय की गई प्रक्रिया का इस्तेमाल संयुक्त सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण, मानवीय सहायता, आपदा के बाद राहत कार्यों और अन्य सहमति वाले मामलों में किया जाएगा।

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भारत-रूस के बीच होंगे अहम समझौते?

इस बीत यहां यह भी बता दें कि, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण समझौते होने की संभावना है। इनमें सबसे अहम ब्रह्मोस मिसाइल के अगले पीढ़ी के वर्जन का निर्यात और सह-उत्पादन समझौता शामिल है। साथ ही S-500 एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम की आपूर्ति और तकनीकी सहयोग पर भी वार्ता हो सकती है। इसके अलावा नए लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर के संयुक्त उत्पादन या खरीद पर भी मुहर लग सकती है।