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ज्योतिष

क्या आपके बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लगता? तो अपनाएं ये वास्तु उपाय और देखें फर्क

पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करना बहुत आवश्यक है क्योंकि इससे ही बच्चे का शैक्षिक विकास होता है। लेकिन जब बच्चा पढ़ाई में लगातार पिछड़ने लगे, तो इसका कारण वास्तु दोष भी हो सकता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में कुछ नियमों का पालन करने से नेगेटिविटी कम होती है और बच्चे का मन पढ़ाई में लगने लगता है।

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वास्तु शास्त्र और पढ़ाई का संबंध

वास्तु शास्त्र में कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं, जो बच्चों के ध्यान को पढ़ाई की ओर केंद्रित करने में मदद करते हैं। पढ़ाई के साथ बढ़ती प्रतिस्पर्धा और तनाव बच्चों को प्रभावित करते हैं। ऐसे में, बच्चों को शिक्षा में सफलता पाने के लिए वास्तु शास्त्र के उपाय अपनाए जा सकते हैं।

क्यों नहीं लगता पढ़ाई में मन?

वास्तु शास्त्र का पालन घर में सुख और समृद्धि लाता है, लेकिन अगर घर के कमरे वास्तु नियमों के अनुसार न हो, तो बच्चे का ध्यान पढ़ाई में नहीं लग पाता। विशेष रूप से, स्टडी रूम में वास्तु दोष बच्चों के मनोबल को प्रभावित करते हैं। इससे उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता और वे तनाव महसूस करते हैं।

वास्तु के अनुसार दिशा का महत्व

स्टडी रूम का स्थान: स्टडी रूम हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। अगर स्टडी रूम दक्षिण या पश्चिम दिशा में है, तो बच्चा पढ़ाई में मन नहीं लगा पाता है।

बच्चे का मुख: बच्चों को स्टडी करते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करके नहीं बैठना चाहिए। दक्षिण दिशा में अग्नि की प्रधानता होती है, जिससे बच्चे का मन विचलित हो सकता है और वे चिड़चिड़े हो सकते हैं।

स्टडी रूम में विशेष सामान: स्टडी रूम में शिक्षा से जुड़ी चीजें जैसे एजुकेशन टावर, ग्लोब या पिरामिड रखें। इसके अलावा, स्फटिक गोले उत्तर दिशा में दीवार पर लगाए जा सकते हैं। माता सरस्वती, गणेश जी और हनुमान जी की तस्वीरें भी स्टडी रूम में रखें।

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अलमारी और अन्य सामान की व्यवस्था

अलमारी का स्थान: स्टडी रूम में अलमारी हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा में रखें। इसके साथ-साथ, बच्चे को हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुख करके पढ़ने के लिए प्रेरित करें।

अनावश्यक वस्तुएं न रखें: स्टडी रूम में वीडियो गेम्स, सीडी प्लेयर, या अन्य व्यस्त करने वाली वस्तुएं न रखें। ये चीजें बच्चे का ध्यान भटकाती हैं और पढ़ाई में नकारात्मकता लाती हैं।

स्टडी रूम में मोमबत्ती का उपयोग: वास्तु के अनुसार, बच्चों के स्टडी रूम में मोमबत्ती जलाने से उनका ध्यान पढ़ाई में केंद्रित होता है। मोमबत्ती को उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पूर्व दिशा में जलाना अच्छा रहता है।

स्टडी टेबल का आकार और दिशा

टेबल का आकार: स्टडी टेबल का आकार हमेशा रेक्टेंगल (आयताकार) होना चाहिए। अनियमित आकार के टेबल बच्चों की पढ़ाई में विघ्न डाल सकते हैं।

टेबल की दिशा: स्टडी टेबल का मुख हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।

केसर का तिलक और अन्य उपाय

केसर का तिलक: अगर बच्चे का ध्यान पढ़ाई में नहीं लगता है, तो उनकी जेब में फिटकरी का टुकड़ा रखें और हर दिन केसर का तिलक उनके माथे और नाभि पर लगाएं।

स्टडी रूम में संयम: स्टडी रूम में कभी भी टीवी, वीडियो गेम या अनावश्यक चीजें न रखें। इससे बच्चों का ध्यान भटकता है।

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दीवारों का रंग और स्टडी रूम का माहौल

दीवारों का रंग: बच्चों के स्टडी रूम की दीवारें हमेशा हल्का रंग जैसे बादामी, आसमानी, सफेद या हल्का फिरोजी होनी चाहिए। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

अच्छी रोशनी: स्टडी रूम में पर्याप्त रोशनी का होना बहुत जरूरी है। कम रोशनी से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव पड़ता है, जिससे बच्चों का ध्यान भटकता है।

उत्तर-पूर्व दिशा में स्टडी रूम होना चाहिए

बच्चों का स्टडी रूम हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए, क्योंकि यह दिशा सूर्य देव के प्रभाव से सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। दक्षिण या दक्षिण-पूर्व दिशा में स्टडी रूम होने से बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता और उनकी एकाग्रता प्रभावित होती है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार, अगर बच्चों के पढ़ाई के कमरे में सही दिशा, रंग, और सजावट हो, तो उनका मन पढ़ाई में लगेगा और उनकी बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होगी। ये उपाय बच्चों को मानसिक शांति और सफलता प्राप्त करने में मदद करते हैं।