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छत्तीसगढ़ में कस्टम मिलिंग पर ब्रेक: रैक नहीं मिलने से ठप हुआ 90% काम, मिलों में जगह की भारी किल्लत

रायपुर : छत्तीसगढ़ में पिछले खरीफ सीजन के धान से राज्य को सेंट्रल पूल में अतिरिक्त 8 लाख मीट्रिक टन चावल देने की अनुमति केंद्र सरकार ने दी है। राज्य के मिलर्स धान उठाकर यह चावल तैयार करने में लगे हैं, लेकिन खास खबर चावल सप्लाई के लिए रैक नहीं मिलने के कारण परिवहन नहीं हो पा रहा है। नतीजतन मिलों में चावल का स्टॉक जमा हो गया है, अब जगह की कमी के चलते मिलर्स धान नहीं उठा पा रहे हैं। इन हालात के बीच मिलरों का दावा है कि राज्य की करीब 90 प्रतिशत राइस मिलों में काम ठप हो गया है। इस मामले में चिंता की यह बात भी है कि अब खरीफ वर्ष 2025-26 का नया धान जल्द ही आना शुरू हो जाएगा। ऐसे में धान की मिलिंग कैसे हो पाएगी?मिलरों का कहना है कि नया धान आने पर गहरा सकता है संकट

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फिर खड़ा हो गया संकट

इधर राज्य सरकार को केंद्र से 8 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त चावल की मंजूरी मिलने के बाद मिलरों को धान देना शुरू किया, ताकि चावल तैयार कर सेंट्रल पूल के कोटे में दिया जा सके। मिलरों ने अपना काम शुरू किया, लेकिन परेशानी उस समय सामने आने लगी, जब इसी चावल को अन्य राज्यों में भेजने के लिए एफसीआई को रेलवे की रैंक मिलने में मुश्किल होने लगी। इस समय भी राज्य सरकार के अधिकारियों ने नई दिल्ली जाकर आवाह किया कि राज्य के चावल के लिए रेक उपलब्ध कराई जाए, लेकिन यह नहीं हो पाया है। यही राज्य के चावल और मिलरों पर संकट की वजह बन गया है। इस संबंध में खाद्य विभाग के अधिकारी कहते हैं कि वे केंद्र से इस बारे में आग्रह कर चुके हैं, लेकिन समस्या फिलहाल बनी हुई है।

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अब सरकार से किया ये आग्रह

इस संबंध में चर्चा के दौरान छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स एसोसिएशन के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष योगेश अग्रवाल का कहना है कि मिलर्स जल्द से जल्द धान का उठाव करेंगे। साथ ही उन्होंने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि मिलों में तैयार चावल को सेंट्रल पूल में देने के लिए रैक की व्यवस्था कराई जाए।

एक और संकट सामने

राज्य में धान चावल के मामले को लेकर यह समस्या पिछले साल के धान की है। लेकिन अभी जल्द ही दीवाली के बाद माए खरीफ सीजन का धान आने वाला है। इस स्थिति में मिलरों को नया धान उठाना और भी मुश्किल हो जाएगा। कुछ अन्य मिलरों को आशंका है कि राज्य में राइस मिलिंग का कारोबार चरमरा सकता है।

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ये है मामला

पिछले खरीफ सीजन में राज्य सरकार ने 149 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की। इस धाम का एक बड़ा हिस्सा चावल बनाकर सेंट्रल पूल में एफसीआई और राज्य पूल में नागरिक आपूर्ति निगम को दिया गया था। इसके बाद भी सरकार के पास करीब 35 लाख मीट्रिक टन धान अतिशेष के रूप में बच गया था। सरकार ने इस बचे हुए धान को घाटा उठाकर नीलाम करना शुरू किया था। नीलामी के कुछ दौर होने के बाद भी सरकार के पास करीब 12 लाख मीट्रिक टन धान बाकी था। इसी बीच राज्य सरकार, खासकर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर केंद्र सरकार ने 8 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त चावल लेने की मंजूरी दे दी। इसकी वजह से सरकार का अतिशेष धान का संकट दूर हो गया।