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Cough Syrup: कफ सिरप से कैमरून में 12 बच्चों की मौत, भारत में निर्मित होने का किया जा रहा दावा

भारत में निर्मित कफ सिरप एक बार फिर जानलेवा साबित हुआ है. मध्य अफ्रीकी देश कैमरून में कुछ महीनों में कफ सिरप पीने से 12 बच्चों की मौत होने का मामला सामने आया है. इन कफ सिरप के भारत में निर्मित होने की बात सामने आई है.

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, मध्य अफ्रीकी देश में हुई दुर्भाग्यपूर्ण मौतों के पीछे अधिकारियों को जिस खांसी की दवाई का संदेह है, उस पर यह संकेत मिलता है कि इसे भारत में बनाया गया था. नेचरकोल्ड नाम की इस कफ सीरप की लैब मध्य प्रदेश के इंदौर में है. दवा के डिब्बे की तस्वीरों में एक मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस का नंबर का नंबर भी दिख रहा है दो कि इंदौर की रीमैन लैब का बताया जा रहा है.

इस मामले पर कंपनी ने क्या कहा

रीमैन लैब के एक निदेशक नवीन भाटिया ने एक फोन इंटरव्यू में कहा कि तस्वीर में दिखाई देने वाली दवाएं हमारे जैसी दिखती हैं. उन्होंने कहा कि रीमैन सख्त क्वालिटी कंट्रोल का पालन करता है और वह दूषित दवा नहीं बना सकता था. हालांकि नकली दवाएं बनाना काफी आम है. बता दें कि पिछले एक साल से कम वक्त में यह तीसरी बार है कि जब भारतीय कफ सिरप की वजह से मौत का दावा सामने आया है.

इन देशों में भी आ चुका है मामला

इससे पहले भी गाम्बिया में 60 से अधिक और उज्बेकिस्तान में लगभग 20 बच्चों की मौत का मामला सामने आया था. उस वक्त भी उनकी मौत के पीछे भारतीय दवाओं को ही जिम्मेदार ठहराया गया था. उन मामलों में, सिरप की दवाएं दो जहरीले रसायनों, एथिलीन ग्लाइकॉल और डायथिलीन ग्लाइकॉल से दूषित पाई गईं. दो और भारतीय कंपनियों पर लाइबेरिया और मार्शल द्वीप समूह में पाए जाने वाले इसी तरह के दूषित सिरप बनाने का संदेह है. हालांकि अभी तक इस मामले में किसी के भी स्वास्थ नुकसान की कोई खबर सामने नहीं आई है.

अधिकारियों ने ये कहा

मध्य प्रदेश खाद्य एवं औषधि प्रशासन के एक अधिकारी ने ब्लूमबर्ग को बताया, “आपके सवालों के आधार पर, हमने जांच के लिए एक टीम भेजी है और हम रिपोर्ट की प्रतीक्षा कर रहे हैं.” कैमरून के अधिकारी अभी भी प्रकोप के कारणों की जांच कर रहे हैं और मौतों से जुड़े नेचुरकोल्ड नमूनों का परीक्षण करने की योजना बना रहे हैं. हालांकि अभी तक बच्चों के मरने की तादाद 12 तक पहुंच चुकी है.

ऐसा भी कहा जा रहा है कि कैमरून भेजी गई यह दवाएं इंपोर्ट करने के लिए अधिकृत नहीं थी. हो सकता है कि इनकी तस्करी की गई हो. अधिकारियों के पास इस बात की कोई भी जानकारी नहीं है कि दवाएं कहां से आईं थीं. तस्वीरों में दिखाई दे रहे प्रोडक्ट लेबल के अनुसार, खांसी की दवाई की बोतल मार्च 2022 में बनाई गई थी. इस पर यूके के पते वाली मार्केटिंग कंपनी फ्रैकेन इंटरनेशनल का नाम और लोगो है.

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