1
2
3
4
a
Add a heading-min
b-min
c-min
Independence1-min
Independence-min
1-min
2-min
3
2
1
previous arrow
next arrow
1-min
2-min
3-min
1-min (1)
2-min
WhatsApp Image 2025-08-14 at 10.18.50 AM (1)
WhatsApp Image 2025-08-14 at 10.18.50 AM
WhatsApp Image 2025-08-14 at 4.00.43 PM-min
ghanshyam yadav-min (1)
Add a heading
Add a heading-min
Add a heading0
Add a heading
15 abhi (1)
15 abhi
previous arrow
next arrow
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.16.54 PM (1)
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.16.54 PM (2)
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.16.54 PM (3)
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.16.54 PM
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.16.55 PM (1)
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.16.55 PM (2)
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.16.55 PM (3)
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.16.55 PM (4)
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.16.55 PM (5)
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.16.55 PM (6)
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.16.55 PM (7)
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.16.55 PM (8)
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.16.55 PM (9)
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.16.55 PM (10)
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.16.55 PM (11)
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.16.55 PM (12)
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.16.55 PM (14)
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.16.55 PM (15)
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.16.55 PM (16)
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.16.55 PM (17)
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.16.55 PM (18)
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.16.55 PM (19)
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.16.55 PM (20)
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.16.55 PM (22)
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.16.55 PM (23)
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.16.55 PM
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.16.56 PM (1)
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.16.56 PM
previous arrow
next arrow
1
9
3
7
4-1
13
10
11
5-1
6
8
14
2
previous arrow
next arrow

इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में विश्व एड्स दिवस पर बच्चों ने दिया एड्स के प्रति जागरूकता का संदेश

जीवन खुद को खोजने के बारे में नहीं है, जीवन खुद को बनाने के बारे में है-डॉ. संजय गुप्ता ।

विश्व एड्स दिवस पूरी दुनिया में हर साल 1 दिसम्बर को लोगों को एड्स(एक्वार्ड इम्युनो डेफिशियेंसी सिंड्रोम) के बारे में जागरूक करने के लिये मनाया जाता है । एड्स के वायरस के संक्रमण के कारण होने वाला महामारी का रोग है ।

एड्स ना सिर्फ भारत में बल्कि समस्त विश्व में लोगों के लिए एक ऐसा भयावह शब्द बना हुआ है। जिसे सुनते ही भय के मारे पसीना छूटने लगता है एड्स का अर्थ हैं शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता कम होने से अप्राकृतिक रोगों के अनेक लक्षण प्रकट होना। एचआईवी संक्रमण के बाद एक ऐसी स्थिति बन जाती है कि इससे संक्रमित व्यक्ति की मामूली से मामूली बीमारियों का इलाज भी दूभर हो जाता है और रोगी मृत्यु की ओर खिंचा चला जाता है आज यह भयावह बीमारी एक पालतू जीव की भांति दुनिया भर के करोड़ों लोगों के शरीर में पल रही है।

एड्स के प्रसार से लड़ने का केवल एक ही तरीका है और वह है जागरूकता पैदा करना। अज्ञानता एचआईवी के हस्तांतरण के कारण और तरीके हैं और यह केवल एक बुरी स्थिति को पूरी तरह से बदतर बना देता है। ऐसे में जरूरी है कि लोगों को जागरूक किया जाए कि एड्स क्या है, यह कैसे फैलता है और संक्रमण को रोकने के लिए क्या किया जा सकता है।

सरकारों और गैर-लाभकारी संगठनों ने न केवल स्वास्थ्य जांच करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों की शुरुआत की है, बल्कि उन पूर्वाग्रहों को भी दूर किया है जो इस बीमारी से पीड़ित हैं और जो इससे पीड़ित हैं। जागरूकता कार्यक्रमों ने एचआईवी के बारे में जानकारी फैलाई है और इसे सालों तक कैसे रोका जाए और उनके प्रयासों का फल मिला है। परिणाम खुद अपनी कहानी कहते हैं। एचआईवी वाले लोगों का प्रतिशत काफी कम हो गया है।

ताकि लोग आत्मसंतुष्ट न हों और यह भूल जाएं कि एड्स अभी भी घातक बीमारियों के क्षेत्र में एक खिलाड़ी है जिसके लिए विभिन्न जागरूकता पहल की गई हैं, जिनमें से सबसे प्रमुख है विश्व एड्स दिवस-एक दिन जब लोग उन लोगों के साथ अपनी एकजुटता दिखाते हैं जो इस बीमारी से पीड़ित हैं और उन लोगों को याद करते हैं जो इसके शिकार थे। अन्य पहल कमजोर लोगों और समुदायों को लक्षित करते हैं ताकि वे पूरी तरह से सूचित हों और बीमारी को फैलने से रोकने में सक्षम हों।

विश्व एड्स दिवस के अवसर पर दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में विद्यार्थियों को एड्स जैसी भयानक बीमारी के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से विशेष आमंत्रित चिकित्सक डॉक्टर पवन कुमार (डिप्टी सीएमओ एनसीएच गेवरा) के द्वारा एक कार्यशाला का आयोजन किया गया । डॉ. पवन कुमार ने इस कार्यशाला में विद्यार्थियों को एड्स की विस्तृत जानकारी दी एवं इससे बचने के उपाय के बारे में भी बताया ।डॉक्टर पवन कुमार ने विद्यार्थियों को वायरस क्या होता है ,एवं यह कैसे फैलते जाता है इसकी भी पूरी क्रियाविधि विस्तार से समझाइ। उपस्थित विद्यार्थियों ने विभिन्न प्रकार के सवाल पूछ कर अपनी जिज्ञासाओं को शांत किया। पूरी कार्यशाला में विद्यार्थियों से विभिन्न रोचक सवाल पूछे गए , जिसका सभी विद्यार्थियों ने जवाब दिया ।डॉक्टर पवन कुमार ने विद्यार्थियों को प्रत्येक सवालों के जवाब को देने के लिए प्रेरित किया। डॉक्टर पवन कुमार ने कहा कि आप जवाब अवश्य दें यदि जवाब गलत होगा तो उसको सही करके हम आपको समझाएंगे । कम से कम आप में अभिव्यक्ति की क्षमता का विकास होगा ।अच्छा है कि हम चुप ना रहें। अपने मन में आने वाले प्रत्येक शंकाओं का समाधान करते चलें। यदि मन में कोई सवाल है तो हम जरूर पूछें। डॉक्टर पी पवन कुमार ने कहा कि हमारा कर्तव्य है कि लाइलाज एवं भयावह बीमारी के प्रति हम लोगों को जागरूक करें । इससे हर संभव बचने का प्रयास करें। हम प्रत्येक परिस्थिति में संयम बरतें ।

छात्रों द्वारा लोगों में एड्स के प्रति जागरूकता लाने श्रृंखला द्वारा प्रतिरूप बनाकर संदेश दिया गया साथ। विद्यालय में विष्व एड्स दिवस पर एड्स के कारण और बचाव के प्रति लोगों को सतर्क करने जागरूक होने और एड्स के रोगियों के प्रति अमानवीय व्यवहार न करने अपितु उनमें सकारात्मक सोच लाने के उद्देष्य चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया । विद्यार्थियों को स्मार्ट बोर्ड में एड्स बीमारी के लक्षण एवं रोकथाम से संबंधित वीडियो भी दिखाकर समझाने का प्रयास किया गया ।इस पूरे कार्यक्रम में विद्यालय की जीवविज्ञान की शिक्षिका मिस पारुल परिवार का विशेष सहयोग रहा ।उन्होंने भी बच्चों से विभिन्न प्रकार के सवाल पूछ कर एड्स की जानकारी देने का बेहतर प्रयास किया।

डॉ पवन कुमार(ड्यूटी सी एम ओ एन सी एच गेवरा) ने एड्स बीमारी के लक्षण बताते हुए विद्यार्थियों को बताया कि एच॰आई॰वी) संक्रमण के बाद की स्थिति है, जिसमें मानव अपने प्राकृतिक प्रतिरक्षण क्षमता खो देता है। एड्स स्वयं कोई बीमारी नही है, पर एड्स से पीड़ित मानव शरीर संक्रामक बीमारियों, जो कि जीवाणु और विषाणु आदि से होती हैं, के प्रति अपनी प्राकृतिक प्रतिरोधी शक्ति खो बैठता है क्योंकि एच.आई.वी (वह वायरस जिससे कि एड्स होता है) रक्त में उपस्थित प्रतिरोधी पदार्थ लसीका-कोशो पर आक्रमण करता है। एड्स पीड़ित के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता के क्रमशः क्षय होने से कोई भी अवसरवादी संक्रमण, यानि आम सर्दी जुकाम से ले कर क्षय रोग जैसे रोग तक सहजता से हो जाते हैं और उनका इलाज करना कठिन हो जाता हैं।

एच.आई.वी. संक्रमण को एड्स की स्थिति तक पहुंचने में ८ से १० वर्ष या इससे भी अधिक समय लग सकता है। एच.आई.वी से ग्रस्त व्यक्ति अनेक वर्षों तक बिना किसी विशेष लक्षणों के बिना रह सकते हैं।एचआईवी संक्रमण के कुछ ही हफ्तों के अंदर, बुखार, गले में खराश और थकान जैसे फ्लू के लक्षण दिख सकते हैं. फिर एड्स होने तक आमतौर पर रोग के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते । एड्स के लक्षणों में वज़न घटना, बुखार या रात को पसीना, थकान और बार-बार संक्रमण होना शामिल हैं। हमें हर संभव इससे बचने का प्रयास करना चाहिए हमें एड्स रोगियों के प्रति सहानुभूति पूर्वक व्यवहार करना चाहिए । उन्हें शंका एवं नफरत की दृष्टि से कभी ना देखें। आखिर वह भी हमारी तरह इंसान है। एड्स का कोई इलाज मौजूद नहीं है, लेकिन एंटी-रेट्रोवायरल रेजीम (एआरवी) का सख्ती के साथ पालन करने से काफी हद तक रोग का बढ़ना कम हो जाता है और अतिरिक्त संक्रमण और जटिलताओं की भी रोकथाम होती है।

विद्यालय प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि जहाँ एक ओर जीवन में प्रतिस्पर्धा एवं दुखों का अंबार है वहीं नाना प्रकार की बीमारियों से भी इंसान ग्रसित है,ऐसी ही एक बीमारी है एड्स जो इंसान को खोखला कर देती है,दुनिया,समाज यहाँ तक कि परिवार भी व्यक्ति का साथ छोड़ देता है।
एड्स दिवस पूरे विश्व में मनाने का उद्देश्य लोगों को जागरूकता फैलाना है कि वे इस भयावह बीमारी से दूर रहें । जागरूकता कार्यक्रमों से एचआईवी के बारे में जानकारी गाँव व शहरों में तेजी से फैलाएं जिससे हर नागरिक जागरूक बनें एवं अपने भविष्य का निर्माण एक सही दिशा में कर सकें ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *