
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने साल 2025 में अपनी शिक्षा व्यवस्था और पद्धति में कई क्रांतिकारी बदलाव किए हैं. भारत में स्कूल शिक्षा को लेकर लंबे समय से यह कहा जाता रहा है कि भारतीय एजुकेशन सिस्टम में सबसे ज्यादा जोर रटने पर है, समझने पर नहीं. यानी प्रैक्टिकल नॉलेज की कमी और दूसरी तरफ बोर्ड परीक्षा का डर. एक ही परीक्षा में सब कुछ तय हो जाना और अंकों का दबाव छात्रों पर मानसिक तनाव बढ़ाता रहा है. इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए CBSE ने स्कूल शिक्षा में कुछ बड़े और अहम बदलाव करने का फैसला किया है, जिनमें से कुछ प्रमुख बदलावों के बारे में यहां बताया गया है.
CBSE का साफ उद्देश्य क्या है?
CBSE बोर्ड का मकसद बिल्कुल साफ है. छात्रों पर परीक्षा का दबाव कम करना, उन्हें सिर्फ नंबर लाने के बजाय विषय को समझने की आदत डालना और भविष्य की पढ़ाई व करियर के लिए बेहतर तरीके से तैयार करना. इसी दिशा में CBSE ने साल में दो बार बोर्ड परीक्षा कराने और competency-based यानी समझ पर आधारित सवालों की संख्या बढ़ाने जैसे सुधारों की घोषणा की है.
कक्षा 10 के लिए साल में दो बार बोर्ड परीक्षा
CBSE ने बच्चों के मानसिक तनाव को कम करने और शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कक्षा 10 के छात्रों को साल में दो बार बोर्ड परीक्षा देने का मौका दिया है. यह बोर्ड की तरफ से लिया गया सबसे महत्वपूर्ण फैसला माना जा रहा है. यह फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत लिया गया है, ताकि बच्चों पर एक ही परीक्षा का दबाव न रहे और उन्हें अपने नंबर सुधारने का दूसरा मौका मिल सके. यह व्यवस्था 2026 के शैक्षणिक सत्र से लागू होगी.
परीक्षा पैटर्न में बड़ा बदलाव
बोर्ड ने परीक्षा पैटर्न में बड़ा बदलाव करते हुए योग्यता-आधारित सवालों पर ज्यादा जोर दिया है. इसका मतलब यह है कि अब पेपर में ऐसे प्रश्न ज्यादा पूछे जाएंगे, जो छात्रों के बौद्धिक स्तर की जांच करें और यह समझ सकें कि छात्र किसी विषय या टॉपिक को अपनी असल जिंदगी में कैसे लागू कर सकते हैं. नई व्यवस्था में बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) और समझ पर आधारित सवाल शामिल होंगे. अब सिर्फ परिभाषा या रटा हुआ उत्तर लिखना काफी नहीं होगा, बल्कि छात्रों को सोचकर जवाब देना पड़ेगा.
बोर्ड परीक्षा के लिए 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य
अब छात्रों के लिए बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए कम से कम 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य होगी. यानी पूरे एकेडमिक सेशन में अगर किसी छात्र की अटेंडेंस 75 फीसदी से कम रही, तो उसे बोर्ड परीक्षा देने की अनुमति नहीं मिलेगी. इसका मकसद यह है कि छात्र सिर्फ परीक्षा के समय नहीं, बल्कि पूरे साल पढ़ाई से जुड़े रहें.
कक्षा 11 में सब्जेक्ट चुनने के ज्यादा विकल्प
CBSE ने कक्षा 11 के लिए सब्जेक्ट चुनने की प्रक्रिया को भी आसान बनाया है. अगर कोई छात्र कक्षा 10 में बेसिक मैथ्स पढ़ता था, तो अब वह कक्षा 11 में अपने सब्जेक्ट्स में स्टैंडर्ड मैथ्स चुन सकता है. इस बदलाव से छात्रों के पास आगे की पढ़ाई और करियर के लिए ज्यादा विकल्प उपलब्ध होंगे.
APAAR ID अब अनिवार्य
- CBSE ने 2026 की बोर्ड परीक्षाओं से एक नया नियम लागू किया है. अब CBSE से जुड़े स्कूलों में पढ़ने वाले सभी भारतीय छात्रों के लिए APAAR ID होना जरूरी होगा.
- APAAR का मतलब है Automated Permanent Academic Account Registry. यह एक डिजिटल आईडी होगी, जिसमें छात्र की पढ़ाई से जुड़ा पूरा रिकॉर्ड सुरक्षित रखा जाएगा.





