
रायपुर- छत्तीसगढ़ की राजनीति और सत्ता गलियारों को हिला देने वाले शराब घोटाले और उससे जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में एक और बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। रायपुर की विशेष अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को 5 दिन की प्रवर्तन निदेशालय (ED) कस्टोडियल रिमांड पर भेजने के आदेश दिए हैं। अब 23 अगस्त तक ईडी की टीम चैतन्य बघेल से गहन पूछताछ करेगी। पिछले एक महीने से न्यायिक रिमांड पर जेल में बंद चैतन्य बघेल को मंगलवार को विशेष अदालत में पेश किया गया।
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इससे पहले सोमवार को अदालत में शोक संवेदना (कंडोलेंस) के चलते उन्हें एक दिन के लिए न्यायिक रिमांड पर जेल भेजा गया था। आज की सुनवाई के दौरान ED ने अदालत से गुहार लगाई कि चैतन्य से और पूछताछ जरूरी है, क्योंकि कई अहम सबूत और गवाहों के बयानों से नए एंगल सामने आए हैं। अदालत ने दलीलों पर सुनवाई करने के बाद चैतन्य को 5 दिन की कस्टोडियल रिमांड पर ईडी को सौंप दिया। सुनवाई के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी अदालत पहुंचे। उन्होंने बेटे की पेशी के दौरान मौजूद रहकर पूरे घटनाक्रम पर नजर रखी।
गिरफ्तारी और आरोप
ईडी ने 18 जुलाई को भिलाई से चैतन्य बघेल को गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप है कि कथित शराब घोटाले की रकम में से उन्हें 16.70 करोड़ रुपये मिले। ईडी का कहना है कि इस रकम को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में लगाया गया और ब्लैक मनी को वाइट करने के लिए फर्जी निवेश दिखाए गए। ईडी ने दावा किया है कि शराब सिंडिकेट के साथ मिलकर करीब 1000 करोड़ रुपये की हेराफेरी (हैंडलिंग) की गई। इस रकम का बड़ा हिस्सा हवाला और रियल एस्टेट कारोबार के जरिए घुमाया गया।
विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट पर ईडी की नजर
चैतन्य बघेल के स्वामित्व वाली कंपनी बघेल डेवलपर्स के “विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट” को ईडी ने जांच के दायरे में लिया है। आरोप है कि इस प्रोजेक्ट में शराब घोटाले से जुड़ा पैसा लगाया गया। ईडी ने छापेमारी कर प्रोजेक्ट से जुड़े अकाउंटेंट के ठिकानों से कई अहम दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस जब्त किए। जांच में सामने आया कि प्रोजेक्ट पर वास्तविक खर्च करीब 13 से 15 करोड़ रुपये था, जबकि रिकॉर्ड में केवल 7.14 करोड़ रुपये ही दर्शाए गए। इसके अलावा, ईडी के अनुसार एक ठेकेदार को 4.2 करोड़ रुपये कैश में भुगतान किया गया, लेकिन इस रकम का कोई हिसाब-किताब रिकॉर्ड में नहीं था।
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राजेन्द्र जैन का बयान
विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट के कंसल्टेंट राजेन्द्र जैन ने ईडी को बताया कि निर्माण कार्यों में वास्तविक खर्च और दर्ज आंकड़े मेल नहीं खाते। उन्होंने कहा कि पूरे प्रोजेक्ट पर करीब 15 करोड़ रुपये खर्च हुए, जबकि अकाउंट बुक में केवल 7.14 करोड़ ही दर्ज किए गए। इस अंतर से साफ संकेत मिलता है कि ब्लैक मनी को खर्च कर बाद में रिकॉर्ड में छुपाया गया।
त्रिलोक सिंह ढिल्लो का ट्रांजेक्शन
ईडी की जांच में यह भी सामने आया कि कारोबारी त्रिलोक सिंह ढिल्लो ने बघेल डेवलपर्स को 5 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए थे। इस रकम से 19 फ्लैट खरीदे गए, लेकिन फ्लैट ढिल्लो के कर्मचारियों के नाम पर रजिस्ट्री कराई गई। ईडी के अनुसार, 19 अक्टूबर 2020 को एक ही दिन में सारे फ्लैट्स की खरीदारी हुई। जब कर्मचारियों से पूछताछ की गई तो उन्होंने स्वीकार किया कि खरीद उनके नाम पर जरूर हुई, लेकिन भुगतान ढिल्लो ने किया। जांच एजेंसी का कहना है कि यह एक पूर्व-योजना के तहत किया गया सौदा था, जिससे ब्लैक मनी को वैध दिखाया जा सके और अंततः रकम चैतन्य बघेल तक पहुंचाई जा सके।
राजनीतिक हलचल
चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी और अब कस्टोडियल रिमांड ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में हलचल मचा दी है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस मामले को राजनीतिक साजिश बता चुके हैं। उनका कहना है कि केंद्र सरकार और भाजपा विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए ईडी का दुरुपयोग कर रही है। वहीं भाजपा नेताओं का कहना है कि कानून अपना काम कर रहा है और अगर किसी ने भ्रष्टाचार किया है तो उसे जवाब देना ही होगा। शराब घोटाले को लेकर भाजपा लंबे समय से कांग्रेस सरकार पर हमलावर रही है। अब पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे का नाम इसमें सामने आने से भाजपा को और आक्रामक होने का मौका मिल गया है।