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Chhattisgarhअपराधछत्तीसगढ

CG Crime: रेप के सबूत मिटाने वाले आरोपी की जमानत याचिका अदालत ने की खारिज

रायपुर – राजधानी रायपुर में न्याय के लिए संघर्षरत बलात्कार पीड़िता के साथ हो रहे अन्याय और प्रशासनिक निष्क्रियता की कहानी अब प्रदेश भर के लिए एक उदाहरण बनती जा रही है – एक ऐसा उदाहरण, जिसमें बलात्कार पीड़िता को न्याय के बजाय धमकी, दस्तावेज चोरी, और पुलिस की चुप्पी मिली।

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आरोपी निलेश सरवैया को गिरफ्तार कर जब न्यायालय पेश किया गया तब पत्नी नाजिया अंसारी उर्फ बबली ने दी जान से मारने की धमकी

आरोपी निलेश सरवैया को गिरफ्तार कर जब मजिस्ट्रेट न्यायालय पेश किया गया उसी दौरान आरोपी निलेश की पत्नी नाजिया अंसारी उर्फ बबली एवं उसके साथ मौजूद पूर्व निगरानी शुदा हिस्ट्रीशीटर ने न्यायालय परिसर में ही पीड़िता को खुलेआम धमकी दी। अगर जान बचानी है तो केस वापस ले, वरना अगली बार तेरी लाश उठेगी। इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि अपराधी अब न्यायालय के चारदीवारी में भी अपने आपराधिक मंसूबे दिखाने से नहीं चूक रहे।

बलात्कार पीड़िता के अनुसार, निलेश सरवैया ने स्वयं पीड़िता को बताया कि उसके पास बलात्कार से संबंधित मेडिकल दस्तावेज और शैक्षक प्रमाणपत्र मौजूद हैं, जो पीड़िता के घर से चोरी किए गए दस्तावेजों में शामिल थे। जब पीड़िता ने आरोपी और उसकी पत्नी नाजिया अंसारी (जो कि पूर्व निगरानी शुदा हिस्ट्रीशीटर शेख नवाबुद्दीन उर्फ नब्बू की सग्गी साली) से उन दस्तावेजों की वापसी हेतु निवेदन किया, तो नाजिया अंसारी ने साफ इनकार कर दिया और कहा, तेरे कागज नहीं लौटाएंगे, जो करना है कर ले।

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722 दिन बाद दर्ज हुआ बलात्कार से संबंधित मेडिकल दस्तावेज की चोरी का मामला – पुलिस की निष्क्रियता उजागर

सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि इतने गंभीर अपराध की शिकायत बार-बार किए जाने के बावजूद थाना खम्हारडीह और रायपुर पुलिस ने लगभग दो वर्षों तक कोई कार्रवाई नहीं की। बलात्कार पीड़िता को 722 दिन तक थाने के चक्कर काटने पड़े, वरिष्ठ अधिकारियों से गुहार लगानी पड़ी, तब जाकर बलात्कार संबंधित मेडिकल दस्तावेज की चोरी का अपराध दर्ज किया गया।

यह पहला मामला नहीं था जब पुलिस ने पीड़िता की आवाज को दबाने की कोशिश की। जब पीड़िता ने छत्तीसगढ़ में हुए सबसे बड़े कोयला घोटाले से जुड़े कुख्यात अपराधी निखिल चंद्राकर के विरुद्ध बलात्कार की शिकायत लेकर थाना खम्हारडीह पहुंची, तत्कालीन थाना प्रभारी विजय यादव ने वीरता की आड़ में शिकायत लेने से ही इनकार कर दिया। पुलिस की निष्क्रियता जब अत्यधिक हो गई, तब पीड़िता ने प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और राष्ट्रीय महिला आयोग को पत्राचार कर न्याय की गुहार लगाई। इसके बाद ही राष्ट्रीय महिला आयोग, नई दिल्ली की एक सदस्य स्वयं रायपुर पहुंचीं, और उनके स्पष्ट निर्देशों के बाद तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल आईयूसीएडब्ल्यू की तत्कालीन महिला डीएसपी ललिता मेहर एवं तत्कालीन थाना प्रभारी विजय यादव द्वारा 193 दिन बाद एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें कुख्यात अपराधी निखिल चंद्राकर के विरुद्ध बलात्कार का अपराध अंततः कायम किया गया।

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