आंवला नवमी पर प्रेरणा महिला मंडल ने आंवला और बेल के रोपें पौधे,साथ में की पूजा अर्चना

कोरबा – कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा के साथ व्रत किया जाता है। इसे आंवला नवमी कहते हैं। ऐसा करने से पर मिलने वाला पुण्य कभी खत्म नहीं होता है। इसलिए इसे अक्षय नवमी भी कहते हैं। इसी कड़ी में बीते 21 नवंबर को जिले के आदर्श नगर की प्रेरणा “महिला मंडल” द्वारा काली मंदिर प्रांगण में आंवला और बेल के पौधों का रोपण किया गया साथ ही आंवला नवमी की पूजा भी की गई। इस अवसर पर प्रेरणा महिला मंडल की सभी सदस्या उपस्थित रही। आपको बता दें इस दिन आंवले के पेड़ का पूजन कर परिवार के लिए आरोग्यता व सुख – समृद्धि की कामना की जाती है। कैसे शुरू हुआ यह पर्व – आंवला नवमी पर आंवले के वृक्ष की पूजा और इसके वृक्ष के नीचे भोजन करने की प्रथा की शुरुआत करने वाली माता लक्ष्मी मानी जाती हैं। प्रचलित कथा के अनुसार एक बार माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करने आईं। रास्ते में भगवान विष्णु और शिव की पूजा एक साथ करने की उनकी इच्छा हुई। लक्ष्मी मां ने विचार किया कि एक साथ विष्णु और शिव की पूजा कैसे हो सकती है। तभी उन्हें ख्याल आया कि तुलसी और बेल के गुण एक साथ आंवले में पाया जाता है। तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय है और बेल शिव को। आंवले के वृक्ष को विष्णु और शिव का प्रतीक चिह्न मानकर मां लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष की पूजा की। पूजा से प्रसन्न होकर विष्णु और शिव प्रकट हुए। लक्ष्मी माता ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर विष्णु और भगवान शिव को भोजन कराया। इसके बाद स्वयं ने भोजन किया। जिस दिन यह घटना हुई उस दिन कार्तिक शुक्ल नवमी थी तभी से यह परम्परा चली आ रही है।