
मध्य प्रदेश के सागर जिले में एक मिशनरी स्कूल के विज्ञान लैब में मानव भ्रूण मिलने से सनसनी फ़ैल गई। शिकायत मिलने के बाद राज्य बाल आयोग जांच करने स्कूल पहुंचा। मामला जिले के बीना में स्थित मिशनरी हायर सेकंडरी स्कूल निर्मल ज्योति का बताया जा रहा है। फिलहाल राज्य बाल आयोग की टीम मामले की जांच कर रही है।
मिली जानकारी के अनुसार बीना में मिशनरी स्कूल निर्मल ज्योति हायर सेकंडरी के खिलाफ हुई शिकायत को लेकर गुरुवार को राज्य बाल संरक्षण आयोग की दो सदस्यीय टीम बीना पहुंची। टीम में शामिल आयोग सदस्य ओंकार सिंह व डॉ. निवेदिता शर्मा ने स्कूल का निरीक्षण किया। जहां पर स्कूल की बायोलॉजी लैब में एक भ्रूण मिला। भ्रूण कहां से और कब लैब में आया इसको लेकर स्कूल प्रबंधन कोई जवाब नहीं दे सका। मौके पर मौजूद प्राचार्या सिस्टर ग्रेस का कहना था कि वह कुछ समय पहले ही यहां पदस्थ हुई हैं, पूर्व में कोई लाया होगा, लेकिन इसकी जानकारी नहीं है।
वहीं भ्रूण को लेकर पहले तो प्लास्टिक का होने की बात की गई। लेकिन जब आयोग सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा ने पूछा कि इसे प्रिजर्व करके क्यों रखा गया है ? प्लास्टिक का है तो बाकी जीवों की तरह इसे भी बाहर रखो, तो प्रबंधन कोई जवाब नहीं दे सका। आयोग सदस्यों ने भ्रूण को जब्त कर मौके पर मौजूद पुलिस को जांच कराने के लिए सौंपा है। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएंगी। वहीं शिकायतकर्ता छात्र के बयान लेने के बाद आयोग सदस्य ने बीआरसी को स्कूल प्रबंधन के खिलाफ धर्म विशेष की प्रार्थना कराने के आरोप में एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।
आयोग सदस्य स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस के साथ गुरुवार की दोपहर निर्मल ज्योति स्कूल पहुंचे। स्कूल के आय-व्यय, मान्यताओं, गतिविधियों, फीस स्ट्रक्चर, स्टाफ सहित एक-एक दस्तावेज की जांच की। इस दौरान सदस्यों ने पाया कि स्कूल में पदस्थ शिक्षकों और बस चालकों का पुलिस वेरिफिकेशन ही नहीं कराया गया है। स्कूल आरटीई के दायरे में नहीं आता है। प्रबंधन ने कहा हमने 178 आर्थिक कमजोर बच्चों को फीस में छूट दी जिसकी राशि करीब 16 लाख है, लेकिन जब आयोग ने फाइल देखी तो उसमें विद्यार्थियों की तरफ से एक आवेदन बस लगा मिला। वह अमीर हैं या गरीब इसके कोई प्रमाण संस्था के पास नहीं मिले।