छत्‍तीसगढ़ में शराबबंदी पर अंतिम राज्य का दौरा, मिजोरम में चार दिन रहकर जानेंगे हकीकत

शराबबंदी के बाद राज्यों में सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन का अध्ययन करने के लिए बनी राज्य सरकार की राजनीतिक समिति बिहार के बाद अब मिजोरम का दौरा करेगी। विधानसभा चुनाव के पहले समिति का यह अंतिम दौरा माना जा रहा है। इससे पहले समिति के पदाधिकारी गुजरात और बिहार का दौरा कर चुके हैं।

रायपुर ग्रामीण विधायक सत्यनारायण शर्मा के नेतृत्व में विधायकों की टीम 10 अप्रैल से मिजोरम दौरे पर रहेगी। चार दिवसीय दौरे के दौरान शराबबंदी के बाद उपजी स्थितियों को लेकर विभिन्न् पहलुओं की पड़ताल की जाएगी। बिहार दौरे के बाद समिति ने शराबंदी के सामने कई चुनौतियां गिनाईं थीं। यह भी कहा था कि शराबबंदी के बाद भी राज्यों में शराब की बिक्री बंद नहीं हुई है।

राज्य सरकार ने चुनावी घोषणा-पत्र में शराबबंदी का एलान तो कर दिया है, लेकिन इसे अभी तक लागू नहीं किया जा सका है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक चुनाव के पहले शराबबंदी का मुद्दा भाजपा के लिए बड़ा हथियार साबित हो सकता है, क्योंकि कांग्रेस के लिए यही एक ऐसा विषय है, जिस पर सरकार बैकफुट पर है। शराबबंदी के लिए बनी समिति की रिपोर्ट मिजोरम दौरे के बाद एक साथ सरकार को सौंपी जा सकती है। समिति की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार शराबबंदी पर फैसला लेगी।

छत्तीसगढ़ में लगभग 60 प्रतिशत अनुसूचित क्षेत्र है। यहां शराबबंदी को लेकर अभी से सवाल उठना शुरू हो चुका है। उद्योग मंत्री कवासी लखमा और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम अनुसूचित क्षेत्रों में शराबबंदी के फैसले पर एतराज जता चुके हैं। यहां आदिवासी बहुल इलाकों में मदिरा से जुड़ी कई परंपराएं और संस्कार को भी शराबबंदी पर सरकार के अनिर्णय की एक वजह माना जा रहा है।

शराबबंदी समिति (राजनीतिक) अध्यक्ष सत्यनारायण शर्मा ने कहा, अप्रैल के दूसरे हफ्ते में मिजोरम दौरा हो सकता है। राज्यों के दौरे के बाद सरकार को अंतिम रिपोर्ट सौंपी जाएगी।

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