कुसमुंडा की जमीन में गेवरा खदान प्रभावितों को बसावट का विरोध शुरू… प्रबंधन को ज्ञापन सौंप कर जल्द से जल्द विस्थापन और मुआवजे की मांग…
सतपाल सिंह

कुसमुंडा की जमीन में गेवरा खदान प्रभावितों को बसावट का विरोध शुरू…
प्रबंधन को ज्ञापन सौंप कर जल्द से जल्द विस्थापन और मुआवजे की मांग…

कोरबा – जिले के कुसमुंडा खदान में कोयला खनन के लिए खदान से लगे ग्रामों का अधिग्रहण कर उन्हें बसावट, मुआवजा देने की प्रक्रिया जोर – शोर से चल रही है। इसी कड़ी में खोडरी पाली को ग्राम खम्हारिया और जटराज चंद्र नगर को जोड़ा पुल के पास की डंपिंग में बसावट दिया जा रहा है। इसके अलावा खम्हरिया के पास गेवरा खदान से प्रभावित नरईबोध को बसावट प्रस्तावित किया गया है। भिलाई बाजार वाले सर्वमंगला नगर में बसावट मांग रहे है। जबकि आने वाले समय में कुसमुंडा खदान विस्तार में गेवरा बस्ती, बरपाली सहित कई और गांव विस्थापित होने है, ऐसे में इन गांव वालों ने बसावट रोजगार इत्यादि समस्या को देखते हुए अपने हक अधिकार के लिए मोर्चा खोलने की तैयारी कर ली है। उनका कहना है कि कुसमुंडा से प्रभावित ग्रामों को कुसमुंडा क्षेत्र में विस्थापित किया जाए। 
ग्रामीणों का कहना है कि वर्ष 2015 में इंदिरा स्टेडियम कुसमुंडा में आयोजित जनसुनवाई में प्रबंधन ने स्पष्ट रूप से घोषणा की थी कि गेवरा ग्राम का विस्थापन वैशालीनगर – खमरिया ग्राम में किया जाएगा इस सार्वजनिक घोषणा को 11 वर्ष बीत चुके हैं लेकिन दुर्भाग्यवश आज तक न तो विस्थापन की प्रक्रिया शुरू की गई है न ही महत्वपूर्ण DRCC बैठक बुलाई गई है और न ही ग्रामीणों को उनका वैध मुआवज़ा प्रदान किया गया है ।
ग्रामीणों ने SECL प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि गेवरा ग्राम को जानबूझकर पीछे धकेलते हुए जरहाजेल डंपिंग और बरमपुर डंपिंग जैसी अन्य परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जा रही है ग्रामीणों ने इसे जनसुनवाई में किए गए वादों का खुला उल्लंघन और ग्रामवासियों के साथ घोर अन्याय बताया है।
ग्रामीणों के अनुसार यह अनदेखी दर्शाती है कि उन्हें जानबूझकर परियोजना से बाहर करने की कोशिश की जा रही है जो कि सरासर धोखा है ।
ग्रामीणों की तीन सूत्रीय तत्काल मांगें..
ग्रामीणों ने SECL प्रबंधन को स्पष्ट करते हुए निम्नलिखित तीन सूत्रीय मांगों को तुरंत पूरा करने की मांग की है:-
01. तत्काल DRCC बैठक:- गेवरा ग्राम के विस्थापन और मुआवज़े पर अंतिम निर्णय लेने हेतु DRCC Meeting अविलंब आयोजित की जाए ।
02. समान प्राथमिकता:- गेवरा ग्राम को जरहाजेल डंपिंग और बरमपुर डंपिंग के समान स्तर पर विस्थापन प्रक्रिया में तुरंत शामिल किया जाए ।
03. 11 साल का मुआवज़ा:- 11 वर्षों से लंबित उनके वैध मुआवज़े का तत्काल और पूर्ण भुगतान सुनिश्चित किया जाए ।
ज्ञापन के अंत में ग्रामीणों ने SECL कुसमुंडा प्रबंधन को कड़ी चेतावनी दी है उनका कहना है कि यदि प्रबंधन ने इन महत्वपूर्ण मांगों पर जल्द से जल्द सकारात्मक कार्रवाई नहीं की तो गेवरा के ग्रामीण एक होकर बड़े स्तर पर और निर्णायक आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे ।





