छत्तीसगढ़ कैपिटल रीजन: 210 पदों की मंजूरी, जल्द होगा संचालक मंडल का गठन

रायपुर : छत्तीसगढ़ कैपिटल रीजन के गठन की प्रक्रिया चल रही है। बताया गया कि कैपिटल रीजन के लिए वित्त विभाग ने सेटअप मंजूर कर लिए हैं, और सीईओ से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तक 210 पदों को स्वीकृति दे दी है। जल्द ही संचालक मंडल का गठन होगा। छत्तीसगढ़ कैपिटल रीजन (एससीआर) के गठन पर विधि विभाग से परामर्श लिए जा रहे हैं। एससीआर के गठन प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर लगने के लिए सेटअप का प्रस्ताव तैयार किया गया था। करीब 240 पद सृजित करने के लिए वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा गया था, इनमें से 210 पद स्वीकृत किए गए हैं।
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पदों में मुख्य कार्यपालन अधिकारी से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तक हैं। सेट अप को मंजूरी के बाद अब संचालक मंडल के गठन की प्रक्रिया चल रही है। इसमें सीआरडीए की संरचना में मुख्यमंत्री (चेयरपर्सन), शहरी प्रशासन, सार्वजनिक कार्य विभाग, पर्यावरण विभाग के मंत्री, साथ ही राज्य सचिव और स्थानीय प्रतिनिधि (स्थानीय परिषदों और विधायक) रहेंगे। कैपिटल रीजन में रायपुर, नवा रायपुर और दुर्ग-भिलाई को शामिल किया गया है। इसमें 4 नगर निगम समेत 13 निकाय शामिल हैं। बोर्ड का गठन जल्द होगा। इसकी प्रक्रिया चल रही है।बताया गया कि इस रीजन की आबादी 2031 तक 50 लाख (5 मिलियन) से अधिक हो सकती है। जो शहर नियोजन, निवेश, जमीन उपयोग, पर्यावरण संतुलन, और अन्य विकास गतिविधियों का समन्वय करेगा। इसके लिए एक राजधानी क्षेत्र विकास निधि बनाई जाएगी। इस पर बोर्ड की पहली बैठक में प्रस्ताव को मंजूरी मिल सकती है। सीआरडीए को विशेष अवसंरचना उपकर लगाने की शक्ति दी जाएगी ताकि परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण सुनिश्चित किया जा सकेगा।

यह भी बताया गया कि प्रारंभ में लगभग 700 गांव को इस एससीआर में शामिल किए जाने की योजना है, जिससे सिर्फ शहरी केंद्र नहीं बल्कि आसपास ग्रामीण क्षेत्रों का भी समन्वित विकास हो सकेगा। डेवलपमेंट का मास्टर प्लान ‘ओवल शेप’ (अंडाकार आकृति) में होगा, जो अलग-अलग शहरों और कस्बों को जोड़ता है। 2024-25 के बजट में 5 करोड़ रुपये एससीआर कार्यालय खोलने और डीपीआर तैयार करने के लिए अलग किए गए हैं। मेट्रो रेल लिंक (रायपुर दुर्ग) की सैद्धांतिक जाँच के लिए भी 5करोड़ रुपये का प्रावधान है। इसके लिए सर्वे हो रहा है। निवेश को आकर्षित करने और परियोजनाओं के लिए पूंजी जुटाने हेतु सीएसआर को आर्थिक शक्तियाँ दी जाएँगी। बोर्ड की बैठक में जमीन अधिग्रहण और स्वामित्व के मुद्दों पर भी चर्चा हो सकती है। क्योंकि ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों को शामिल किया जा रहा है। स्थानीय लोगों (गाँवों के निवासियों) का इस विकास में विश्वास और भागीदारी जरूरत पर चर्चा की जाएगी।





