आई.पी.एस. दीपका में आयोजित हुई विज्ञान प्रदर्शनी
आई.पी.एस. के विद्यार्थियों ने अनेक आकर्षक विज्ञान के माडलों के द्वारा व्यक्त की अपनी भावी योजनाएँ ।

दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि डॉक्टर अरविंद तिवारी, (रजिस्ट्रार, सी वी रमन यूनिवर्सिटी,कोटा बिलासपुर) ने विज्ञान प्रदर्शनी का शुभारंभ किया । विद्यार्थियों को दैनिक जीवन में विज्ञान के लाभ एवं चमत्कारों से अवगत कराया गया । कक्षा 6 वीं से लेकर कक्षा 12 वीं तक के विद्यार्थियों ने विज्ञान के विभिन्न माॅडल बनाकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया । इंडस पब्लिक स्कूल में अध्ययनरत विद्यार्थियों ने सोलर सिस्टम का चलित माॅडल दिखाया गया एवं उसकी कार्यविधि के बारे में बताया गया । कक्षा आठवीं के विद्यार्थियों ने डी.एन.ए. का भी माॅडल बनाया था साथ ही बहुत ही आकर्षक स्मार्ट सिटी का भी माॅडल कक्षा 8वीं के विद्यार्थियों ने बनाया।इस स्मार्ट सिटी में लोगों की प्रत्येक सुविधओं के साथ-साथ स्वच्छता एवं विज्ञान का समावेश किया गया था।कक्षा 9 वीं के विद्यार्थियों ने वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया,इसमें बताने का प्रयास किसा कि कैसे हम पानी को फिल्टर करके रियूज कर सकते हैं।कई विद्यार्थियों ने आटोमेटिक अलर्ट बेल बनाई और बताने का प्रयास किया कि कैसे हम अपने घर एवं सामानों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं । कक्षा 7 वीं के विद्यार्थियों ने सुसाइड अलर्ट मॉडल बनाया ।इस मॉडल के माध्यम से बताने का प्रयास किया गया कि कैसे यदि कोई आत्महत्या का प्रयास करे तो उसे बचाया जा सकता है।इसी प्रकार के एक से बढ़कर एक मॉडल इस प्रदर्शनी में देखने को मिले।सभी कक्षा के विद्यार्थियों ने अपने शिक्षकों के साथ मिलकर भरपूर मेहनत की थी।इन सभी माॅडल को तैयार करने में विद्यालय की शिक्षिकगण श्री उत्कर्ष चौधरी,श्री नरेंद्र सर, श्री सुधीर सर, सुश्री ट्विंकल, सुश्री युक्ता, श्री संजय सिंह सर,श्री अविनाश सर का विशेष सहयोग रहा । श्री उत्कर्ष चौधरी ने बच्चों का ज्ञान वर्धन किया । विद्यालय में विद्यार्थियों को रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान, खगोल विज्ञान इत्यादि के बारे में गहराई से बताने का प्रयास किया गया ।

विज्ञान से संबंधित विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया । विज्ञान प्रश्नोत्तरी, विज्ञान पहेली एवं सर्वश्रेष्ठ स्वचालित माॅडल प्रतियोगिता ।आगंतुकों ने सभी प्रतियोगिताओं का भरपूर आनंद लिया एवं अपना ज्ञानवर्धन किया । विज्ञान की विभिन्न स्वचालित माॅडल को देखकर बच्चों ने दैनिक जीवन में विज्ञान के महत्व को गहराई से समझने का प्रयास किया ।
*डॉक्टर अरविंद तिवारी, मुख्य अतिथि(रजिस्ट्रार, सी वी रमन यूनिवर्सिटी कोटा बिलासपुर )*
ने कहा कि यह विज्ञान का चमत्कार ही है कि आज मानव चाँद पर भी अपना बसेरा बसाना चाहता है । यदि इंसान के बस में हो तो मृत व्यक्ति के भी शरीर में प्राण डाल दे और यही कार्य शेष रह गया है जहाँ विज्ञान अध्यात्मिकता के आगे नतमस्तक हो जाता है ।
विज्ञान ने आज हमारी जिंदगी की प्रत्येक पहलू को स्पर्श किया है,या यूं कहें कि विज्ञान के बिना हमारा जीवन आधा अधूरा है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। आज हम प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से चहुं ओर विज्ञान से घिरे हुए हैं सुबह से लेकर शाम और रात तक विज्ञान के साथ हम हैं और हम विज्ञान के साथ हैं। यदि हमें सफल वैज्ञानिक बनना है तो हमारे अंदर जिज्ञासा प्रबल होनी चाहिए और उस जिज्ञासा को शांत करने हेतु हमें सतत प्रयास करते रहना चाहिए फिर हम देखेंगे कि हम एक नतीजे पर पहुंचेंगे और यहीं से हमारी खोज का सिलसिला आगे जारी रहता है।
*विशिष्ट अतिथि डॉक्टर शशि सिंधु ने कहा* कि विज्ञान हमारी दैनिक जीवन की आवश्यकता एवं सहयोगी है और आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है । विज्ञान का हर क्षेत्र में योगदान बढ़ गया है । अब तो विज्ञान ने बिजली के कई ऐसे उपकरण प्रदान किए हैं जिनसे मानव का काम और भी आसान बन गया है आज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञान का समावेश है।आज हम पूरी तरह से विज्ञान पर निर्भर हो गए हैं।घर,आॅफिस,सड़क,अस्पताल,दुकान हर स्थान पर हमें विज्ञान के उपकरण नजर आते हैं जो हमारे काम को आसन बनाते हैं।
*श्री सूर्यकांत सोनी विशिष्ट अतिथि (एस डी ओ कोरबा)* ने कहा कि आज के तेजी से बदलते परिवेश में विज्ञान हमारी मूलभूत आवश्यकता बन गई है । आज इंसान को आँख खोलने से लेकर आँख बंद करने तक विज्ञान की आवश्यकता बनी रहती है । अगर हम कहें कि विज्ञान के बिना आज हमारा जीवन अधूरा है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी । जरूरत है तो सिर्फ विज्ञान के अनुशासित रूप से उपयोग कि ।
*डॉक्टर संजय गुप्ता (प्राचार्य आई पी एस दीपका) ने कहा कि* विज्ञान ने आज प्रत्येक प्राणी का जीवन आसान कर दिया है । विज्ञान एक तरफ हमारा सबसे बड़ा सहयोगी है तो वहीं दुसरी ओर इसका दुरूपयोग विनाशकारी भी होता है । आज एक से बढ़कर एक अत्याधुनिक सुरक्षा उपकरणों के माध्यम से हम जमीन तो क्या आसमान की बुलंदियों से भी चप्पे चप्पे पर अपनी पैनी नजर रख कर अपने राष्ट्र की हिफाजत कर सकते हैं । आज मनुष्य पृथ्वी के अलावा मंगल और चाँद पर भी अपना आशियाना बनाने का ख्वाब साकार कर रहा है । यदि हम बात करें चिकित्सा विज्ञान की तो यह एक वृहद क्षेत्र है जिसमें विज्ञान के सहयोग के बिना अध्ययन असंभव है । आज प्रत्येक असाध्य बीमारी का उपचार विज्ञान के सहयोग से संभव हो पाया है ।
श्री वेंकट रमन जी समुद्री यात्रा के दौरान समुद्र के नीले पानी को देखकर सोचने लगे थे कि पानी का रंग नीला ही क्यों है और यही से उनके प्रयोग का सिलसिला आरंभ हुआ । उन्होने सन् 1930 में प्रकाश से संबंधित एक सफल एवं विश्व प्रसिध्द प्रयोग किया जिसे रमन प्रभाव कहा गया इसके लिए इन्हे नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया । 28 फरवरी को हम इस महान वैज्ञानिक को सम्मान देने के लिए ही राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाते हैं। अगर हममें जिज्ञासा है तो हम भी एक सफल वैज्ञानिक बन सकते हैं क्योंकि विज्ञान का प्रथम नियम जिज्ञासा ही है जो निरंतर सफल एवं असफल प्रयोगों के आधार पर एक ठोस नतीजे पर पहुँचता है ।





